प्रतिदिन 500 छोटे वाहनों में संकलित कचरा भी भांडेवाड़ी पहुंचने तक होता डबल, अब वे-ब्रिज की क्षमता को लेकर उठ रहे सवाल

Loot of crores - garbage collected in 500 small vehicles every day would have doubled till it reached Bhandewadi
प्रतिदिन 500 छोटे वाहनों में संकलित कचरा भी भांडेवाड़ी पहुंचने तक होता डबल, अब वे-ब्रिज की क्षमता को लेकर उठ रहे सवाल
करोड़ों की लूट का खेल प्रतिदिन 500 छोटे वाहनों में संकलित कचरा भी भांडेवाड़ी पहुंचने तक होता डबल, अब वे-ब्रिज की क्षमता को लेकर उठ रहे सवाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी में लंबे समय से कचरे के व्यवस्थापन को लेकर घोषणाएं हो रही हैं, लेकिन प्रभावी योजना काे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। साल भर पहले दो निजी कंपनी एजी एन्वायरो और बीवीजी को 10 जोन में घरों से कचरा संकलन और परिवहन का दायित्व सौंपा गया है, लेकिन दोनों एजेंसी के काम में लापरवाही हो रही है। नागरिकों और नगरसेवकों की लगातार शिकायतों के बाद मनपा प्रशासन ने दोनों एजेंसी की जांच आरंभ की है, लेकिन जांच के दौरान भी भांडेवाड़ी में जमा होने वाले रोजाना के कचरे की गणना अब भी नहीं हो रही है। इतना ही नहीं, रोजाना 500 छोटे वाहनों में संकलित होने वाला 950 मीट्रिक टन कचरा भी भांडेवाड़ी पहुंचने तक 1350 मीट्रिक टन हो जाता है। कचरे के वजन की गणना करने के लिए वे-ब्रिज लगाया गया है, लेकिन इस वे ब्रिज की क्षमता को लेकर अब भी प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। इतना ही नहीं, कचरा संकलन करने के बाद एजेंसी के कर्मचारी कचरे को मिश्रित कर वजन भी बढ़ा रहे हैं। कचरे का वजन बढ़ाने के लिए पेड़ों के अवशेष, निर्माणकार्य सामग्री को भी डालकर लाया जा रहा है। भांडेवाड़ी के अधिकारी इस कारनामे को देखकर भी अनदेखी कर रहे हैं। 2014 में कनक रिसोर्सेज और 2019 हंजर बायोटेक से भी मनपा को करोड़ों का नुकसान हुआ था।

100 करोड़ का बायोमाइनिंग

शहर से निकलने वाले कचरे का व्यवस्थापन के नाम पर बरसों से मनपा करोड़ों का खर्च कर रही है, लेकिन कचरे के पहाड़ अब भी भांडेवाड़ी में बने हुए है। दो साल पहले पहाड़ों को हटाकर आरडीएफ (रिफ्यूज्ड डिराइवड फ्यूल) निकालने की जिम्मेदारी जिग्मा कंपनी को दी गई है। दिसंबर 2022 तक जिग्मा कंपनी बोतल, कांच, प्लास्टिक सहित जमा कचरे को विलगीकरण कर व्यवस्थापन करेगी। इस काम के लिए 100 करोड़ रुपए का खर्च मनपा प्रशासन कर रहा है।

शहर में फुले मार्केट, गोकुलपेठ बाजार, कॉटन मार्केट सहित कई इलाकों में सब्जी और फलों का कचरा निकल रहा है। इस कचरे को गीला श्रेणी में शुमार कर संकलित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही कागज, प्लास्टिक सहित अन्य सामग्री को सूखे कचरे के रूप में वाहनों में जमा करना है, लेकिन एजेंसी के कर्मचारी कचरे को संकलन करने में खासी लापरवाही कर रहे हैं।  

मनपा ने 5 जून 2017 को कचरा विलगीकरण योजना आरंभ की। योजना में कचरा संकलन के वाहनों में हरे और नीले रंग के डिब्बों को लगाकर विलगीकरण आरंभ हुआ। इस पर 20 लाख रुपए से अधिक का खर्च किया गया है। बावजूद इसके अब भी घरों से निकलने वाला कचरा विलगीकरण नहीं हो रहा है। 

ऐसे चल रहा खेल

शहर के करीब 7 लाख घरों से गीला और सूखा कचरा संकलन की जिम्मेदारी दो एजेंसी एजी एन्वायरो और बीवीजी को दी गई है। 1 से 5 जोन के लिए एजी एन्वायरों कंपनी को 1950 रुपए प्रति टन संकलन शुल्क दिया जाता है, जबकि 5 से 10 क्रमांक जोन के लिए बीवीजी कंपनी को 1800 रुपए प्रति टन का शुल्क भुगतान होता है। अनुबंध के मुताबिक दोनों कंपनियांे को 500 से अधिक छोटे वाहनों में तीन श्रेणी में गीला, सूखा और खतरनाक कचरे को विलगीकरण कर भांडेवाड़ी में पहुंचाना। शहर से प्रतिदिन करीब 900 से 1,000 मीट्रिक टन कचरा संकलन होता है, लेकिन भांडेवाड़ी पहुंचने तक कचरे का वजन 1350 से 1500 मीट्रिक टन हो जाता है। इन कंपनियों की ओर से शहर के कचरे के बजाय निर्माणकार्य सामग्री और पेड़ों के अवशेषों को लादकर कचरे का वजन बढ़ाया जा रहा है, ताकि मनपा से अधिक शुल्क को वसूल किया जा सके। हैरानी यह है कि कचरा संकलन और भांडेवाड़ी में पहुंचाने की प्रक्रिया की मनपा अधिकारी कभी भी जांच नहीं कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर मिश्रित कचरे के पहुंचने से खाद बनाने के लिए भी सही मायनों में कचरा नहीं मिल पा रहा है।  

 

Created On :   3 Oct 2021 3:00 PM IST

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