महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक घोटाला : बढ़ सकती हैं अजित पवार, मुश्रीफ और पाटील की मुश्किलें 

Maharashtra co-operative bank scam: Pawar, Mushrif and Patils problems may be increase
महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक घोटाला : बढ़ सकती हैं अजित पवार, मुश्रीफ और पाटील की मुश्किलें 
महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक घोटाला : बढ़ सकती हैं अजित पवार, मुश्रीफ और पाटील की मुश्किलें 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र को-आपरेटिव बैंक के 25 हजार करोड़ रुपए के कथित घोटाले के मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता व राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार सहित अन्य कई नेताओं की मुसीबत बढ सकती है। गुरुवार को बांबे हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) को बैंक के संचालकों व अन्य 70 लोगों के खिलाफ पांच दिन के भीतर मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद पाया है कि पवार व मामले से जुड़े अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए प्रथम दृष्टया काफी विश्वसनीय सबूत है और यह संज्ञेय अपराध का खुलासा करते हैं। न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति एसके शिंदे की खंडपीठ ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ अगले पांच दिन के भीतर मामला दर्ज करने का निर्देश दिया है। इससे पहले ईओडब्लू के डीसीपी श्रीकांत परोपकारी ने खंडपीठ के सामने दावा किया था कि इस मामले में कोई अपराध नहीं बनता है। 

बगैर एफआईआर कैसे निकाला निष्कर्ष

खंडपीठ ने साफ किया कि बगैर जांच के पुलिस के इस मत को स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि इस मामले में कोई अपराध नहीं हुआ है। कानून इसकी इजाजत नहीं देता है। क्योंकि शिकायत मिलने के बाद मामले की जांच करना पुलिस का कर्तव्य है और इसकी रिपोर्ट मैजिस्ट्रेट को भेजना उसकी जिम्मेदारी है। पुलिस ने इस मामले में अब तक तो एफआईआर भी नहीं दर्ज की है ऐसे में वह कैसे इस निष्कर्ष पर पहुंच सकती है कि कोई मामला नहीं बनता। घोटाले के संबंध में की गई शिकायत में रांकापा के वरिष्ठ नेता अजित पवार के अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील, रांकापा नेता हसन मुश्रीफ व कांग्रेस नेता मुधकर चव्हाण के अलावा बैंक के अलग-अलग जिलों में खुली बैंक की शाखाओं के वरिष्ठ अधिकारियों का समावेश है। ये सभी नेता इस बैंक के संचलक रह चुके हैं।  शिकायत में दावा किया गया है कि 2007 से 2011 के बीच बैंक को करीब एक हजार करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। 

नेताओं की वजह से हुआ नुकसान 

इस मामले को लेकर नाबर्ड व महाराष्ट्र सहकारिता विभाग की ओर से दायर की गई रिपोर्ट में बैंक को हुए नुकसान के लिए रांकापा नेता अजित पवार व बैंक के दूसरे निदेशकों को जिम्मेदार ठहराया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक अधिकारियों की निष्क्रियता व उनके द्वारा लिए गए निर्णय के चलते बैंक को काफी नुकसान हुआ है। नाबार्ड की आडिट रिपोर्ट के मुताबिक चीनी कारखानों को कर्ज देने में बैंक की ओर से नियमों का उल्लंघन किया गया है। उस वक्त राकांपा नेता अजित पवार बैंक के निदेशक थे। नाबर्ड की इस रिपोर्ट के बावजूद कोई एफआईआर नहीं दर्ज की गई थी। सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र अरोड़ा ने इस मुद्दे को लेकर पहले पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में वर्ष 2015 व 29 जनवरी 2018 को  शिकायत की थी। इसके बाद उन्होंने अधिवक्ता एसबी तलेकर के माध्यम से प्रकरण को लेकर एफआईआर दर्ज किए जाने का निर्देश देने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। गुरुवार को खंडपीठ ने नाबार्ड व दूसरी रिपोर्ट पर गौर करने के बाद कहा कि प्रथम दृष्टया रिपोर्ट में दी गई सूचना व सबूत विश्वसनीय नजर आ रहे हैं। लिहाजा ईओडब्लू इस मामले को लेकर पांच दिन के भीतर याचिकाकर्ता की ओर से की गई शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करे। 
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Created On :   22 Aug 2019 5:25 PM GMT

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