केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करे महाराष्ट्र सरकार, मांग को लेकर पवार से मिले शेट्टी 

Maharashtra government should pass a resolution against the agriculture laws of the center
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करे महाराष्ट्र सरकार, मांग को लेकर पवार से मिले शेट्टी 
केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करे महाराष्ट्र सरकार, मांग को लेकर पवार से मिले शेट्टी 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष तथा पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने प्रदेश सरकार से केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में महराष्ट्र विधानमंडल में प्रस्ताव पारित करने की मांग की है। शेट्टी ने इस संबंध में मंगलवार को राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और उपमुख्यमंत्री अजित पवार से अलग-अलग मुलाकात की। मंत्रालय में हुई बैठक में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार किसानों का प्रतिनिधित्व कर रही है। सरकार किसानों के हितों के लिए कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी। पत्रकारों से बातचीत में शेट्टी ने कहा कि सरकार को 5 जुलाई से शुरू होने वाले विधानमंडल के मानसून अधिवेशन में केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में प्रस्ताव पारित करना चाहिए। शेट्टी ने कहा कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के मद्देनजर किसानों और कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) की रक्षा के लिए राज्य के विपणन कानून में संशोधन विधेयक मानसून अधिवेशन में पेश करने वाली है। लेकिन सरकार को पहले विपणन संशोधन विधेयक के मसौदे को सार्वजनिक करना चाहिए। सरकार यह विधेयक जल्दबाजी में सदन में पारित न कराए। शेट्टी ने कहा कि केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमा पर किसान सात महीनों से आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार की  कृषि कानूनों को लेकर कोई स्पष्ट नीति नजर नहीं आ रही है। ऐसी स्थिति में देश में एक संदेश जाना जरूरी है कि राज्य की महाविकास आघाड़ी सरकार किसानों के साथ है। इसके लिए सरकार को केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में सदन में प्रस्ताव पारित करना चाहिए। 

दिल्ली में किसान नेताओं ने कहा - भाजपा-आरएसएस अहंकार का खेल छोड दें

दिल्ली की चारों सीमाओं पर नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसान 7 महीने से आंदोलित है, लेकिन केन्द्र सरकार ने अब तक अपना अडियल रवैया नहीं छोडा है। किसान नेताओं ने कहा है कि भाजपा-आरएसएस सरकार को अहंकार के खेल नहीं खेलना चाहिए और किसानों की जायज मांगों को तुरंत पूरा करना चाहिए। उनका कहना है कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि सरकार तीन काले कानूनों को निरस्त नहीं करे और सभी किसानों के लिए एमएसपी की गारंटी के लिए एक कानून न लाए। किसान नेताओं ने कहा है कि हरियाणा, यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के अपने नेता किसान आंदोलन के परिणामस्वरुप पार्टी के भविष्य को लेकर चिंतित है, लेकिन सरकार कृषि कानूनों को खारिज करने पर टस से मस नहीं हो रही है। संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा के पूर्व मंत्री संपत सिंह द्वारा हरियाणा भाजपा अध्यक्ष को लिखे पत्र का हवाला देत हुए कहा है कि उन्होंने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए आंदोलन का समर्थन किया और आंदोलन के परिणामस्वरुप पार्टी के भविष्य को लेकर चिंता जाहिर की।उत्तरप्रदेश में भी चुनावौं से पहले भाजपा नेताओं का आकलन जमीन पर किसानों के आंदोलन के प्रभाव के आसपास है। किसान आंदोलन के मामले में अपनी ही पार्टी के सदस्यों की भी अनदेखी कर रही है, जबकि पार्टी चुनावी संभावनाओं को लेकर चिंतित हैं।

कृषि में आईडिया डिजिटलीकरण योजना में न करें जल्दबाजी  

केन्द्र सरकार ने कृषि को बदलने के लिए (इंडिया डिजिटल इकोसिस्टम ऑफ एग्रीकल्चर) पर एक पराम र्श पत्र निकाला है। किसान मोर्चा ने कहा है कि सरकार को भारी खामियों को अनदेखी करके और बगैर पूर्ण परामर्श और बगैर उचित लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के कृषि में अपनी आईडिया डिजिटलीकरण योजना मे जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। यह किसानों की आय या हितों के नाम पर निगमों के व्यवसायों की सुविधा के लिए एक और एजेंडा है। साथ ही लोकतांत्रिक परामर्श प्रक्रियाओं के उल्लंघन की दिशा में एक प्रक्रिया। माइक्रोसॉफ्ट और पतंजलि जैसे कई निगमों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं, विशेष पायलटों के लिए विशेष संस्थाओं के चयन का कोई आधार नहीं है। किसान नेताओं ने कहा है कि विभिन्न कंपनियों के साथ वर्तमान समझौता ज्ञापनों को वापस लेना चाहिए। किसान नेताओं ने कहा है कि आंदोलन स्थल पर बुधवार को सभी मोर्चों के द्वारा हूल क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाएगा। हूल क्रांति संथाल विद्रोह के रूप में भी जाना जाता है।


 

Created On :   29 Jun 2021 4:35 PM GMT

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