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कोरोना संकट : टल सकता है विधानमंडल का शीतकालीन अधिवेशन
डिजिटल डेस्क, मुंबई। विधानमंडल का शीतकालीन अधिवेशन इस बार नागपुर की बजाय मुंबई में पहले ही शिफ्ट हो चुका है, जब राज्य की महा आघाडी सरकार इसे टालने पर विचार कर रही है। आगामी 7 दिसंबर से शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र को कोरोना संकट के चलते आगे के लिए टालने पर विचार विमर्श हो रहा है। राज्य सरकार ने चरणबद्ध तरीके से लॉक डाउन में ढील दी है पर सरकार लगातार कह रही है कि अभी भी कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ है। ठंढ के मौसम में इसके और फैलने की संभावना है। इससे कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ सकती है। सरकार के एक मंत्री की माने तो शीतकालीन सत्र टालने पर विचार हो रहा है। दीवाली के मौके पर बाजार में खरीदारी के लिए खूब भीड़ जुटी। त्यौहार के मौके पर कोरोना को लेकर लोग निश्चिंत दिखाई दिए। ऐसे में सरकार को आशंका है कि अगले 10 दिनों में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ सकती है। आगामी 10 दिनों के आकड़ो पर सरकार की खास नजर रहेगी।
शीतकालीन-बजटसत्रएकसाथ
नवंबर के अंतिम सप्ताह में विधानमंडल कामकाज सलाहकार समिति की बैठक होगी। इस बैठक में कोरोना के आकड़ों पर विचार करते हुए अधिवेशन की बाबत फैसला लिया जाएगा। इसके पहले विधानमंडल के मानसून अधिवेशन के दौरान विधायको, विधानभवन के कर्मचारियों और अधिवेशन कवर करने वाले पत्रकारों की कोरोना जांच हुई थी। उस वक्त 31 विधायक व कर्मचारी कोरोनापॉजिटिव पाए गए थे। अब शीतकालीन सत्र में भी यहजांच प्रक्रिया होगी। मंत्री ने कहा कि दिसंबर अधिवेशन के बाद फरवरी में ही बजट सत्र का आयोजन करना पड़ेगा। दो माह बादफिर से विधायको, कर्मचारियों की कोरोना जांच करनी पड़ेगी। बार बार यह प्रक्रिया परेशान करने वाली है। इस लिए शीतकालीन सत्र व बजट सत्र एक साथ आयोजित किया जा सकता है।
आर्थिक संकट भी एक कारण
कोरोना का असर राज्य के राजस्व संग्रह पर पड़ा है। एक तरफ राजस्व कम हुआ, तो दूसरी ओर स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च बढ़ा है। ऐसे में अधिवेशन टाल कर राज्य सरकार कुछ पैसे भी बचाना चाहती है। मंत्री ने कहा है शीतकालीन व बजट सत्र एक साथ आयोजित करने को लेकर सत्ता पक्ष विपक्ष से चर्चा करेगा।
Created On :   16 Nov 2020 7:56 PM IST