फायरिंग में फिसड्डी यहां के पुलिस जवान, 10 साल से नहीं चलाई बंदूक

maharashtra police firing training ordered by Director General of Mumbai
फायरिंग में फिसड्डी यहां के पुलिस जवान, 10 साल से नहीं चलाई बंदूक
फायरिंग में फिसड्डी यहां के पुलिस जवान, 10 साल से नहीं चलाई बंदूक

अभय यादव, नागपुर। सुनकर आश्चर्य हो सकता है, लेकिन यह सच है कि शहर पुलिस के अनेक जवान ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले 10 साल से बंदूक चलाई ही नहीं। और तो और, कई अधिकारी भी ऐसे हैं, जो गोली चलाने का प्रशिक्षण तक नहीं ले पाए। ऐसे में अंदाजा लगाना आसान है कि समय पड़ने पर इनके सामने कैसी मुसीबत आती होगी। शहर में 8 हजार से अधिक पुलिस अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें से कई ऐसे पुलिस जवान हैं, जिन्होंने करीब 10 वर्ष से बंदूक चलाई ही नहीं हैं।

कुछ जवानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि फायरिंग प्रशिक्षण का सकुर्लर मुंबई से राज्य के पुलिस महानिदेशक के आदेश पर निकाला जाता है। फरवरी से अप्रैल माह के बीच प्रशिक्षण होता है। नंबर आने तक समय पूरा हो गया तो प्रशिक्षण आगे टल जाता है। यह स्थिति सिर्फ पुलिस जवानों की ही नहीं है। अधिकारियों का भी यही हाल है। कई ऐसे अधिकारी हैं, जो 3-4 वर्ष से गोली चलाने का प्रशिक्षण ही लेने नहीं जा सके।

पहले तो मिल भी जाता था अवसर

पहले हिंगना, गोरेवाड़ा और सीताबर्डी किला परिसर में फायरिंग रेंज होने से फायरिंग करने का अवसर मिल जाता था। वर्ष 2007 में नागपुर के अंदर फायरिंग रेंज बंद कर दिया गया। अब नागपुर पुलिस अधिकारियों- कर्मचारियों को फायरिंग का प्रशिक्षण लेने के लिए शहर से करीब 62 किलोमीटर दूर भंडारा पुलिस की फायरिंग रेंज पर जाकर प्रैक्टिस करनी पड़ती है।

500 जवान ही एक वर्ष में ले पाते हैं प्रशिक्षण

सूत्रों के अनुसार, हर वर्ष करीब 500 पुलिस के जवान ही प्रशिक्षण ले पाते हैं। एक पुलिस जवान को प्रशिक्षण के दौरान करीब 15 गोलियां दी जाती है। इनमें से वह 5 गोलियों से खड़े होकर, 5 गोलियां जमीन पर सोकर और 5 गोलियां घुटने के बल बैठकर फायरिंग करना सीखता है।

CID कार्यालय के पीछे की जगह का हुआ था चयन

करीब 10 वर्ष पहले जब फायरिंग रेंज पर जाकर हथियार चलाने के प्रशिक्षण की समस्या आई, तब पुलिस तालाब के पास CID कार्यालय के पीछे की जगह पर पुलिस ने फायरिंग रेंज के लिए जगह चुना। नेशनल फायर कॉलेज की जगह होने के चलते वहां भी फायरिंग रेंज नहीं बन पाया।

इस कारण बंद कर दी गई फायरिंग रेंज

  • हिंगना रोड  स्थित एसआरपीएफ कैंप में कुछ समय पहले शहर पुलिस के जवान फायरिंग रेंज में जाकर प्रैक्टिस किया करते थे। इस क्षेत्र में आबादी बढ़ने पर फायरिंग रेंज को बंद कर दिया गया।
  • गोरेवाड़ा के जंगल में पीछे सेना का फायरिंग रेंज बनाया गया था। इस फायरिंग रेंज पर पुलिस को भी प्रैक्टिस करने दिया जाता था। करीब 10 वर्ष पहले एक चरवाहे को गोली लग गई थी, इसके बाद  इस फायरिंग रेंज को भी बंद कर दिया गया। 
  • सीताबर्डी किले परिसर में गणेश टेकड़ी मंदिर में जब नागरिकों की आवाजाही बढ़ गई तब इस फायरिंग रेंज को भी बंद कर दिया गया। नतीजतन, पुलिस महकमे की अभी तक खुद की स्वतंत्र फायरिंग रेंज नहीं बन पाई है।

पुलिस को फायरिंग रेंज की जरूरत है
शहर पुलिस को फायरिंग रेंज की जरूरत है। देश में आधुनिक हथियार पुलिस महकमे में आ चुके हैं। यह भी सही है कि नागपुर पुलिस के पास स्वतंत्र फायरिंग रेंज यानी फायरिंग बट नहीं है। हिंगना में एसअारपीएफ और पुलिस की कॉमन जगह थी, जिस पर पुलिस को फायरिंग करने का मौका मिलता था। यह जगह मेट्रो में चली गई है। पुलिस विभाग ने हिंगना क्षेत्र में एक जगह का फायरिंग रेंज के लिए चयन किया है। संभवत: पुलिस के पास आने वाले समय में स्वतंत्र  फायरिंग रेंज हो जाएगी।
-शिवाजी बोडखे, सह पुलिस आयुक्त , नागपुर शहर

  • क्या होंगे हम हाइटेक....

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पिछले तीन वर्ष में अपराध को कम करने के लिए कई कदम उठाए जाने की बात कर चुके हैं पर बात बनती नहीं दिख रही है। गृह मंत्रालय नागपुर शहर पुलिस की फायरिंग रेंज मामले में क्या ठोस रणनीति बनाएगी, इस पर नजर टिकी हैं। नागपुर में हाइटेक पुलिस का सच  जेल ब्रेक, जेल में हत्या, मेडिकल अस्पताल परिसर में महिला की हत्या, कामठी- कन्हान से गायब हुए 10 वर्षीय बालक का घटना के 15 दिन बाद भी कोई सुराग नहीं मिल पाना, आदि घटनाएं बयां कर रही है और यह शर्मसार भी कर रही है।

Created On :   12 Oct 2017 9:40 AM GMT

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