बिजली चोरी से महावितरण को प्रतिवर्ष हो रहा 10.50 करोड़ नुकसान

बिजली चोरी से महावितरण को प्रतिवर्ष हो रहा 10.50 करोड़ नुकसान
बिजली चोरी से महावितरण को प्रतिवर्ष हो रहा 10.50 करोड़ नुकसान

लिमेश कुमार जंगम, नागपुर। बिजली चोरी रोकने के लाख प्रयासों के बावजूद बिजली चोरी रोकना प्रशासन के लिए असंभव होता रहा है। विभाग के दस्तावेजों के अनुसार बीते वित्तीय वर्ष में विदर्भ में कुल 12 हजार 779 मामलों में बिजली चोरी पकड़ी गई। इसके लिए संबंधित प्रशासन ने जुर्माने के तौर पर 43 करोड़ 47 लाख 82 हजार रुपए वसूल करने थे, लेकिन प्रशासन को इसमें पर्याप्त कामयाबी नहीं मिल पाई है। करीब 10 करोड़ 50 लाख 9 हजार रुपए से अधिक का नुकसान हर साल महावितरण को भुगतना पड़ रहा है। इस मामले में प्रशासन के प्रयास नाकाफी हैं। सूत्रों के अनुसार विभाग के अफसरों की लापरवाही कार्यशैली और निचले स्टॉफ की मिलीभगत के चलते हर साल यह रकम डूबत खाते में चली जाती है। बिजली चोरी का इतना बड़ा आंकड़ा महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी के आला अफसर, स्थानीय प्रशासन एवं उड़न दस्तों के अथक प्रयासों के बावजूद सामने आया है।

विदर्भ में 12779 मामलों में कार्रवाई
विभाग एवं उड़न दस्तों की कार्रवाई में विदर्भ से कुल 12 हजार 779 मामलों में बिजली चोरी की वारदातों को उजागर किया गया है, जिसमें से 9090 मामलों में विभाग ने कार्रवाई की है, जबकि 3089 कार्रवाई को उड़न दस्तों ने अंजाम दिया है। विभाग की कार्रवाई में 3685 स्थानों पर बिजली चोरी के हुक पकड़े गए। इनमें से 2613 प्रकरणों में संबंधितों को दोषी बनाया गया। वहीं 823 ऐसे मामले उजागर हुए, जिनमें बिजली चोरी की कार्रवाई धारा-126 के तहत अर्थात तय कार्य के लिए दी गई बिजली को अन्य उद्देश्यों के लिए अवैध ढंग से उपयोग में लाया गया था। इसके अलावा ऐसे 4582 मामलों में विभाग ने बिजली उपकरणों से छेड़छाड़ व चोरी के उद्देश्य से की गई कोशिश को बेनकाब किया था।

11722 ग्राहकों पर लगाया जुर्माना
विदर्भ में बिजली चोरी करते हुए पकड़े गए कुल 12 हजार 779 ग्राहकों में से 11 हजार 722 ग्राहकों के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की गई है, जिसमें से विभाग द्वारा 8018 ग्राहकों के खिलाफ तथा उड़न दस्तों द्वारा 3704 लोगों के खिलाफ जुर्माना लगाया गया है। विगाभ अंतर्गत कार्रवाई में कुल 772 आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया है। वहीं 3490 ग्राहकों के विरोध में कानूनी समझौते के तहत अधिक जुर्माना लगाकर उनसे 2 करोड़ 41 लाख 22 हजार रुपए की राशि वसूल की गई है।

वसूली करना टेढ़ी खीर
विदर्भ में जिन 12 हजार 779 ग्राहकों में से 11 हजार 722 ग्राहकों के खिलाफ जुर्माने की कार्रवाई की गई थी। उनके खिलाफ महावितरण ने 43 करोड़ 47 लाख 82 हजार रुपए का जुर्माना वसूल करने की योजना बनाई। प्रशासन के लाख प्रयासों के बावजूद वे संबंधितों से 32 करोड़ 96 लाख 92 हजार रुपए से अधिक की राशि वसूल नहीं पाए हैं । यही वजह है कि महावितरण को बीते वित्तीय वर्ष में फरवरी की अंतिम बैलेंस शीट के अनुसार बिजली चोरी के कारण 10 करोड़ 50 लाख 9 हजार रुपए का घाटा सहना पड़ा है। यदि लंबे समय तक महावितरण का यही हाल रहा, तो इस विभाग के बुरे दिन आ सकते हैं।

पकड़ाए 2351 आरोपी  महावितरण कंपनी विशेष मुहिम और उड़न दस्तों की छापामार कार्रवाई में नागपुर जिले के कुल 2 हजार 351 बिजली चोरों के प्रकरण सामने आए। इनके खिलाफ विभाग ने 10 करोड़ 67 लाख रुपए का जुर्माना किया। संबंधित मामलों में अब तक 6 करोड़ 44 लाख 29 हजार रुपए की वसूली की जा चुकी है, जबकि एकमात्र नागपुर जिले में ही महावितरण को 4 करोड़ 22 लाख रुपए से अधिक का नुकसान झेलना पड़ा है। विभाग की ओर से की गई कार्रवाई में विदर्भ में 772 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 303 आरोपी नागपुर के हैं।


कानूनी पेंच के कारण आती है बाधा
कुछ कानूनी पेंच हैं। इससे बिजली चोरी के प्रकरणों में कुछ वसूली रुक जाती है। विद्युत अधिनियम की धारा 126 के अंतर्गत पकड़े गए प्रकरणों में उपभोक्ता को अपील आदि में जाने का प्रावधान है। इससे कुछ वसूली अपील के निर्णय तक रुकती है। इसी प्रकार धारा 135 के अंतर्गत पकड़े गए प्रकरणों में जो उपभोक्ता कंपाउंडिंग के साथ रकम नहीं भरते, उनके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई जाती है। यह सरकार के प्रकरण के रूप में परिवर्तित होता है और चार्जशीट दाखिल होने के बाद सरकार ही इन प्रकरणों को चलाती है। प्रकरण में न्यायालय का निर्णय आने के बाद ही यह रकम महावितरण को मिल सकती है। ऐसे में पकड़े गए प्रकरणों में कुछ रकम की वसूली रुक जाती है।
-भालचंद्र खंडाईत, प्रादेशिक निदेशक, नागपुर परिक्षेत्र

Created On :   3 May 2018 6:45 AM GMT

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