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महिला स्वराज ने आदेश पर जताई निराशा, कहा - पोक्सो अपराध के आरोपी को जमानत देना ठीक नहीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्वराज इंडिया की महिला इकाई महिला स्वराज ने पोक्सो अपराधों के आरोपी को जमानत देने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर निराशा व्यक्त की है। माननीय न्यायाधीश ने आरोपी को यह कहते हुए जमानत दे दी कि होठों पर चुंबन और नाबालिग के निजी अंगों को छूना आईपीसीह की धारा 377 के तहत अप्राकृतिक अपराध नहीं है। महिला स्वराज ने यहां जारी बयान में कहा कि यह देखते हुए कि यहां पीड़ित नाबालिग है और मामले को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण पोक्सो अधिनियम के तहत निपटाया जाना है, ऐसा आदेश चौंकाने वाला है। महिला स्वराज ने कहा कि पोक्सो अधिनियम का मूल उद्देश्य ही हमारे बच्चों को यौन शोषण से बचाना और अपराधों के प्रति सख्ती बरतना है। पोक्सो अधिनियम के सिद्धांतों में यह मानना भी है कि भले ही दुर्व्यवहार करने का सिर्फ इरादा रहा हो और किसी भी कारण से वह असफल रहा हो, फिर भी अपराधी को दंडित किया जाना चाहिए। दरअसल यह पहला उदाहरण नहीं है, जब न्यायपालिका के कुछ वर्गों द्वारा यौन अपराधों को हल्के में लिया गया है। जनवरी 2021 में बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने पोक्सो अधिनियम के तहत यौन उत्पीड़न की व्याख्या में केवल यौन इरादे से ‘त्वचा से त्वचा’ के संपर्क को शामिल किया था। महिला स्वराज का कहना है कि ऐसी घटनाएं पितृसत्तात्मक मानसिकता और संवेदनहीनता को दर्शाती है।
Created On :   17 May 2022 9:41 PM IST