स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण मामले में यथास्थिति बनाए रखें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण से संबंधित मामले में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। इसका मतलब यह है कि जिन 367 जगहों पर चुनाव की अधिसूचना पहले जारी हो चुकी है, वहां आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि मामले में पांच सप्ताह तक यथास्थिति बनाए रखी जाए।
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस अभय ओका और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने आज महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। याचिका में बीती 20 जुलाई और 28 जुलाई के आदेशों को वापस लेने के साथ ही स्थानीय निकाय चुनावों में चुनाव प्रक्रिया को फिर से अधिसूचित करने की मांग की गई थी, जहां चुनाव प्रक्रिया पहले से ही अधिसूचित है, ताकि ओबीसी आरक्षण लागू किया जा सके।
पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ का गठन करेगी। इस बीच पूर्व के आदेश में कोई बदलाव नहीं होगा। पांच सप्ताह तक यथास्थिति बनाए रखी जाए। मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान कहा कि आप (महाराष्ट्र सरकार) चाहते हैं कि चुनाव आयोग ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने के लिए फिर चुनाव प्रक्रिया को फिर से अधिसूचित करें। मैं इस मामले को अंतिम निपटान के लिए नहीं ले सकता। यथास्थिति बनाए रखी जाए। इसे 4 से 6 सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया जाएगा। इसके बाद पीठ ने मामले में 5 सप्ताह तक यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश देते हुए कहा कि इसके लिए एक विशेष पीठ का गठ किया जाएगा।
गौरतलब है कि बीती 28 जुलाई को मामले में हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस एमएम खानविलकर, जस्टिस अभय ओका और जस्टिस पारदीवाला की पीठ ने निकाय चुनाव में आरक्षण देने के लिए दोबारा अधिसूचना जारी करने के मामले में राज्य चुनाव आयोग को जमकर फटकार लगाई थी और साफ किया था कि जिन 367 जगहों पर चुनाव की अधिसूचना पहले जारी हो चुकी है, वहां बिना आरक्षण के ही चुनाव होंगे। इसके साथ ही कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर राज्य चुनाव आयोग इसमें कोई बदलाव करता है, तो सुप्रीम कोर्ट की अवमानना मानी जाएगी।
पीठ ने आगे कहा था कि प्रतिपक्ष ने 20 जुलाई के आदेश को पढने में भूल की। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि बांठिया आयोग की रिपोर्ट के संदर्भ में राज्य चुनाव आयोग को 367 स्थानीय निकायों के संबंध में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव प्रक्रिया को पूरा करना है। हालांकि, निर्वाचन क्षेत्र आधारित अत्यावश्यकताओं को देखते हुए चुनाव आयोग अधिसूचित चुनावों की तारीखों में फिर से बदलाव कर सकता है।
Created On :   22 Aug 2022 9:45 PM IST