वकील के माध्यम से माल्या की दलील- मुझे भगौड़ा घोषित करना आर्थिक मृत्युदंड जैसा

Mallyas plea through advocate : Declaring Fugitive like economically death Penalty
 वकील के माध्यम से माल्या की दलील- मुझे भगौड़ा घोषित करना आर्थिक मृत्युदंड जैसा
 वकील के माध्यम से माल्या की दलील- मुझे भगौड़ा घोषित करना आर्थिक मृत्युदंड जैसा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। शराब कारोबारी विजय माल्या ने अपने वकील के माध्यम से बांबे हाईकोर्ट में कहा है कि उसे भगौड़ा घोषित करना आर्थिक मृत्यु दंड देने जैसा है। पिछले साल मुंबई की विशेष अदालत ने माल्या को भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया था। जिसके खिलाफ माल्या ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में माल्या ने भगौड़ा आर्थिक अपराधी कानून के कई प्रावधानों को चुनौती दी है। इसके अलावा याचिका में माल्या ने कहा है कि विशेष अदालत के आदेश के बाद से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मेरी संपत्ति जब्त करना शुरु कर दिया। एक तरह से निचली अदालत ने मुझे भगौड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर मुझे आर्थिक मृत्युदंड प्रदान कर दिया है। बुधवार को न्यायमूर्ति आरवी मोरे व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान माल्या की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने जो कर्ज लिया था उस पर लग रहा ब्याज लगातार बढ रहा है। मेरे मुवक्किल अपनी संपत्ति बेचकर अपने कर्ज का भुगतान कर सकते हैं, लेकिन सरकार उन्हें ऐसा करने की इजाजत नहीं दे रही है। मेरे मुवक्किल का अपनी संपत्ति पर नियंत्रण नहीं है। इस तरह से मेरे मुवक्किल को भगौड़ा अपराधी घोषित कर उन्हें आर्थिक मृत्युदंड की सजा दी गई है।

संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई पर रोक की मांग

इस दौरान देसाई ने खंडपीठ ने आग्रह किया कि देशभर में मेरे मुवक्किल की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई पर रोक लगाई जाए। लेकिन खंडपीठ ने फिलहाल इस विषय को लेकर माल्या को किसी भी तरह की अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया। इस दौरान ईडी की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता डीपी सिंह ने कहा कि भगौड़ा आर्थिक अपराधी कानून बिल्कुल भी कठोर नहीं है। यह कानून जांच एजेंसी को खुद से कोई कार्रवाई करने से रोकता है।  कोर्ट की अनुमति के बिना कोई भी कार्रवाई नहीं की जा सकती है। फिर चाहे संपत्ति को जब्त करने से जुड़ी कार्रवाई क्यों न हो। करोड़ों रुपए लेकर भागे लोगों से रकम वसूलने के लिए यह कानून लाया गया है। खंडपीठ ने फिलहाल इस मामले में अटार्नी जनरल को नोटिस जारी किया है और मामले की सुनवाई स्थगित कर दी है। 
 

Created On :   24 April 2019 4:26 PM GMT

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