गलती से कुत्ते को कुचलने वाले युवक के खिलाफ FIR दर्ज करने पर लगाया जुर्माना, दोषी पुलिस अधिकारी से वसूली

Man fined for filing FIR against man who accidentally crushed dog
गलती से कुत्ते को कुचलने वाले युवक के खिलाफ FIR दर्ज करने पर लगाया जुर्माना, दोषी पुलिस अधिकारी से वसूली
हाईकोर्ट गलती से कुत्ते को कुचलने वाले युवक के खिलाफ FIR दर्ज करने पर लगाया जुर्माना, दोषी पुलिस अधिकारी से वसूली

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने गलती से कुत्ते को कुचलनेवाले एक स्विगी डिलीवरी बॉय के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए राज्य सरकार पर 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। अदालत ने कहा है कि सरकार जुर्माने की रकम एफआईआर दर्ज करनेवाले पुलिस अधिकारी से वसूल कर याचिकाकर्ता युवक को दे। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते ढेरे व न्यायमूर्ति पीके चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि लापरवाही से गाड़ी चलाने व जान जोखिम में डालने से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की धाराओं (धारा 279,337) को ऐसे मामलों में नहीं लगाया जा सकता है, जहां पीड़ित जानवर हो। क्योंकि पशु इंसान नहीं हैं। इंसान के पीड़ित होने पर ही इन धाराओं में एफआईआर दर्ज की जा सकती है। खंडपीठ ने कहा कि  पशु मालिक अपने पशु को अपने बच्चे की तरह मानते हैं। लेकिन वे इंसान नहीं है। इसलिए इस मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 279 व 337 के तहत मामला नहीं बनता है। 

खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि इस मामले में धारा 279 व 337 के तहत अपराध का खुलासा नहीं होता है फिर भी पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ इन धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है। इसलिए राज्य सरकार पर 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाता है। सरकार यह रकम मामले में एफआईआर दर्ज करनेवाले पुलिस अधिकारी से वसूलें और उसे याचिकाककर्ता को दे। दरअसल 18 वर्षीय याचिकाककर्ता युवक साल 2020 में मरीन ड्राइव इलाके में खाना पहुंचाने के लिए मोटर साइकिल से जा रहा था।इस मामले से जुड़े शिकायतकर्ता सड़क पर आवारा कुत्ते को खाना खिला रहे थे। तभी अचानक कुत्ता मोटर साइकिल के सामने आ गया। इस हादसे में गंभीर चोट लगने के चलते कुत्ते की मौत हो गई। याचिकाकर्ता उस समय इंजीनियरिंग की पढाई कर रहा था। इस हादसे में उसे भी चोट लगी थी। इसके बाद कुत्ते को खान खिला रहे व्यक्ति ने युवक के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। 

पुलिस ने याचिकाककर्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 337,279, 429, व मोटर वेहिकल कानून व प्राणियों से क्रूरता पर प्रतिबंध लगानेवाले कानून की धारा के तहत भी मामला दर्ज किया। जिसे रद्द करने की मांग को लेकर युवक ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में युवक का कुत्ते को मारने का कोई इरादा नहीं था। अभियोजन पक्ष यह भी दिखाने में नाकाम रहा है कि युवक तय सीमा से अधिक रफ्तार से गाड़ी चला रहा था। इस मामले में कुत्ता अचानक युवक की गाड़ी के सामने आ गया था। जिसके चलते यह हादसा हुआ है।इसलिए इस मामले में दर्ज एफआईआर  से अपराध का खुलासा नहीं होता है।युवक के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाता है। 

 

Created On :   5 Jan 2023 9:40 PM IST

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