पहले इंसान ब्रांड लॉयल होता था, अब ब्रांड फ्लर्टी का जमाना : मार्केटिंग एडवाइजर संजीव कोटनाला

Way back Man was more brand loyal, Now the era for different brands - Adviser Kotnala
पहले इंसान ब्रांड लॉयल होता था, अब ब्रांड फ्लर्टी का जमाना : मार्केटिंग एडवाइजर संजीव कोटनाला
पहले इंसान ब्रांड लॉयल होता था, अब ब्रांड फ्लर्टी का जमाना : मार्केटिंग एडवाइजर संजीव कोटनाला

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पहले इंसान ब्रांड लॉयल होता था। वह एक ब्रांड को पकड़कर चलता था, लेकिन अब वह ब्रांड फ्लर्टी हो गया है। वह अलग-अलग ब्रांड का उपयोग करने लगा है। पहले हम दिखावा करने से घबराते थे, लेकिन अब जमाना दिखावे का हाे गया है। यह कहना है ब्रांड व मार्केटिंग एडवाइजर संजीव कोटनाला का। वह जेएनकेविवि जबलपुर से एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट हैं। उन्होंने दैनिक भास्कर के संपादकीय सहयोगियों से नागपुर में चर्चा की। हाल ही में उन्होंने "चिमेरा ऑफ लैंसडाउन" नामक एक किताब लिखी है। उन्होंने बताया कि यह किताब उत्तराखंड के लैंसडाउन हिल स्टेशन पर आधारित है। यह कहानी अनुराधा नामक कैरेक्टर के आसपास घूमती है।

किताब में बताया गया है कि लैंसडाउन एक खूबसूरत हिल स्टेशन है। लैंसडाउन के कुछ नागरिकों के जीवन में पैरानार्मल कहानियां जुड़ने लगी हैं। किताब में राज बुंदेला के स्वामित्व वाले मुख्य बाजार के पास पुराना दो मंजिला बंगला "पौड़ी निवास" है। 5 दोस्त मिलकर अपने आसपास हो रहीं असाधारण गतिविधियों का पता लगाकर उनका सामना करने के लिए जुटते हैं। पांचों अलग-अलग क्षेत्र में कार्यरत हैं। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, सभी का संबंध पौड़ी निवास से आता है। पौड़ी निवास को लेकर बहुत सी कहानियां हैं। इसी प्रकार यह कहानी अलग-अलग चुनौतियाें से गुजरती हुई आगे बढ़ती है। 

श्री कोटनाला का मानना है कि आप जिस जगह को बहुत अच्छी तरह से जानते हैं, उस पर ही स्टोरी करें। उन्होंने बताया कि पहले इस किताब का शीर्षक "इट्स ऑलवेज हैप्पन लाइक दिस" रखा गया था, किंतु यह शीर्षक पढ़कर ही स्टाेरी सामने आ जाती थी, इसीलिए शीर्षक में बदलाव लाया गया। उन्होंने बताया कि किताब बहुत ही रोचक है। हर कैरेक्टर की अपनी अलग-अलग कहानी है। किताब को बहुत अच्छा रिस्पाॅन्स मिल रहा है। जल्द ही बाजार में दूसरी किताब भी लाॅन्च की जाएगी। यह किताब लवस्टोरी पर आधारित होगी। इसका शीर्षक "इनचैंटिंग नीली" रखा गया है। 

ऑनलाइन उपलब्ध 
श्री कोटनाला द्वारा लिखित यह किताब ई कॉमर्स वेबसाइट पर उपलब्ध है। ई-बुक फॉर्मेट में भी इसे पढ़ा जा सकता है।  

कोई भी बन सकता है ब्रांड
श्री कोटनाला के अनुसार ब्रांड को कमोडिटी बनाने में समय नहीं लगता, लेकिन कमोडिटी को ब्रांड बनाने में समय लग जाता है। एक्सपेक्टेशन, परसेप्शन और एक्सपीरियंस से ब्रांड बनता है। ब्रांड कोई भी बन सकता है, सवाल यह है कि आप उस पर मेहनत कितनी करते हैं। अखबार अपने क्षेत्र में ब्रांड बनता है, दोस्तों और रिश्तेदारों में भी ब्रांड होते हैं। आज का ग्राहक सुपर अवेयर है। कोई भी जानकारी इंटरनेट पर जाकर तुरंत पता कर लेता है, लेकिन इंटरनेट पर मिलने वाली हर जानकारी सही नहीं होती।

Created On :   22 March 2019 1:28 PM IST

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