अपने ही 187 कर्मचारियों के विरुद्ध कोर्ट में लड़ाई लड़ रही है मनपा, स्थानांतरण नहीं होना भी बड़ी समस्या

Manpa is fighting a battle against its own 187 employees in the court
अपने ही 187 कर्मचारियों के विरुद्ध कोर्ट में लड़ाई लड़ रही है मनपा, स्थानांतरण नहीं होना भी बड़ी समस्या
अपने ही 187 कर्मचारियों के विरुद्ध कोर्ट में लड़ाई लड़ रही है मनपा, स्थानांतरण नहीं होना भी बड़ी समस्या

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी में सार्वजनिक विकास कार्यों की जिम्मेदारी संभाल रही महानगरपालिका को कई स्तर पर शिकायतों और विरोध का सामना करना पड़ रहा है। कर्मचारियों को अनुशासन में रखने के लिए समय-समय पर नए नियम लागू कराए जाते हैं। ऐसी भी स्थिति बनती है, जब मनपा प्रशासन को कर्मचारियों के विरोध में न्यायालय जाना पड़ता है। बीते 5 साल का ही रिकार्ड देखा जाए, तो 187 कर्मचारियों के विरुद्ध मनपा न्यायालय में संघर्ष कर रही है। कर्मचारियों को सजा दिलाने या दंडित कराने में मनपा को सफलता नहीं मिल पाई है। सिवाए इसके इन सालों में 177 कर्मचारियों ने मनपा को ही न्यायालय में घसीट लिया है। मनपा कर्मचारियों का समय पर स्थानांतरण नहीं होना भी समस्या बनता रहा है। 

सामाजिक कार्यकर्ता अभय कोलारकर ने सूचना अधिकार के तहत मनपा प्रशासन से ली जानकारी में यह खुलासा हुआ। जनवरी 2015 से मार्च 2020 तक विविध विषयों पर जानकारी मांगी गई। उनमें महत्वपूर्ण प्रश्नों पर कोलारकर को मनपा प्रशासन की ओर से उत्तर मिला है कि फिलहाल जानकार जुटाई जा रही है। मनपा के स्थायी कर्मचारी, अस्थायी व ठेके पर काम करनेवाले कर्मचारियों के बारे में भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। भ्रष्टाचार व मनपा के नियमों के उल्लंघन के मामले में बीते 5 साल में 23 कर्मचारियों को काम से निकाला गया है। इनमें सबसे अधिक 10 कर्मचारी 2017 में निकाले गए। 

2016 में 6 व इस वर्ष मार्च तक 4 कर्मचारियों को निकाला गया है। मनपा में भ्रष्टाचार व कार्य अक्षमता के मामले में यह भी पाया गया कि कई कर्मचारी एक ही स्थान व पद पर कई वर्षों से कार्यरत थे। यह भी पाया गया कि एक ही स्थान व पद पर रहने के कारण कर्मचारियों की मानसिकता पर वितरित परिणाम होता है। कर्मचारियों में कुंठाभाव निर्माण होता है। नयापन नहीं रहता है। 

लिहाजा 2013 में कर्मचारियों के स्थानांतरण के संबंध में नई नीति बनाई गई। उस नीति के अनुसार वर्ग 1 से वर्ग 2 के कर्मचारियों का 3 वर्ष में स्थानांतरण किया जाता है। वर्ग 3 के कर्मचारियों का 5 वर्ष व वर्ग 4 के कर्मचारियों का 7 वर्ष में स्थानांतरण किया जाता है। हालांकि इनका स्थानांतरण शहर में ही होता है। कार्य विभाग व सेवापुस्तिका में बदलाव होता है।

Created On :   8 July 2020 4:52 PM IST

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