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रिसर्च स्कालर्स के लिए चलाए जा रहे उपक्रम, फेलोशिप ऊंट के मुंह में जीरे के समान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मानव संसाधन विकास मंत्रालय अार विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने बीते कुछ वर्षों में देश में रिसर्च की गुणवत्ता और संख्या बढ़ाने पर जोर दिया है। इस दिशा में रिसर्च स्कॉलर्स को प्राेत्साहित करने के लिए कई उपक्रम भी चलाए जा रहे हैं, रिसर्च फेलोशिप इसमें प्रमुख है। मगर राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में शोधार्थियों को दी जाने वाली फेलोशिप काफी कम होने से शोधार्थियों में निराशा है। फिलहाल यूनिवर्सिटी में शोधार्थियों को 3 हजार रुपए फेलोशिप मिलती है, जो काफी कम है। इस दिशा में हाल ही में सीनेट सदस्यों ने कुलगुरु डॉ.सिद्धार्थविनायक काणे से मुलाकात करके उन्हें समस्या से अवगत कराया है।
ऐसी हैं मुश्किलें
सीनेट सदस्यों ने फेलोशिप की राशि 3 हजार से बढ़ा कर 12 हजार रुपए तक करने की मांग की है। पीएचडी करने की प्रक्रिया में शोधार्थियों को कई तरह के शुल्क अदा करना पड़ता है। इसमें रजिस्ट्रेशन फीस, रिटेनशन फीस, थीसिस सब्मिशन फीस, एप्लिकेशन फीस ऑफ सुपरवाइजर जैसे कई प्रकार के शुल्क हैं। ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर तबके के शोधार्थियों के लिए इतनी कम फेलोशिप में काम चला पाना खासा मुश्किल होता है। पीएचडी करने के लिए गहन अध्ययन जरूरी है न केवल पुस्तकालयों में उपलब्ध किताबें और जर्नल बल्कि, राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय किताबें और जर्नल रेफर करने की भी जरुरत पड़ती है। यह खर्च शोधार्थी को उठाना पड़ता है। इसी तरह पीएचडी संशोधन को मान्यता दिलाने के लिए किसी रिसर्च कांफ्रेंस में हिस्सा लेकर रिसर्च पेपर पब्लिश करना होता है, जिसका शुल्क भी विद्यार्थी को ही भरना है।
शोधार्थियों की संख्या हुई है कम
पूर्व में नागपुर विवि में हर वर्ष करीब 500 विद्यार्थी पीएचडी करते थे, लेकिन पीएचडी प्रवेश परीक्षा की सख्ती के बाद शोधार्थियों की संख्या खासी कम हो गई है। विवि अपनी ओर से करीब 50 शोधार्थियों को को "राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज संशोधन छात्रवृत्ति" प्रदान करता है। ऐसे में सीनेट सदस्यों ने फेलोशिप की रकम बढ़ाने की मांग की है।
Created On :   3 Sept 2018 11:45 AM IST