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दसवीं की बालभारती किताबों में गलतियां, शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। किताबों से ही बच्चे सही पाठ पढ़ते हैं, लेकिन किताबों में ही यदि गलती हो तो बच्चों के भविष्य पर प्रश्नचिह्न उठना स्वाभाविक है। इन दिनों ऐसी ही त्रुटियां दसवीं कक्षा की बालभारती की किताबों में सामने आ रही है , जिससे शिक्षा विभाग की किरकिरी हो रही है। ऐसे में डैमेज कंट्रोल स्वरूप बालभारती द्वारा एक शुद्धि पत्रक जारी कर स्कूलों को भेज दिया गया है। पत्रक के अनुसार पढ़ाने के लिए प्रधानाचार्यों से कहा गया है। लेकिन यहां सवाल खड़ा हो रहा है कि जो किताबों में छपा है, बच्चे तो वहीं पढ़ेंगे। इससे उन पर असर पड़ सकता है।
हैरान करने वाली बात यह है कि कक्षा दसवीं की पुस्तक में हिन्दी के नामचीन लेखक ‘गजेंद्र रावत’ को राजेंद्र रावत लिखा गया है, जिसे सुधारित करके भेजा गया है। वहीं पेज नंबर 82 में घूमने की जगह ‘घमूने’ लिखा गया है। इस तरह की गलतियों को शुद्धि पत्रक के माध्यम से सुधार कर महाराष्ट्र राज्य पाठ्य पुस्तक निर्मिती व अभ्यासक्रम संशोधन मंडल बालभारती ने अपना-अपना पल्ला झाड़ लिया है।
बच्चों पर पड़ सकता है असर
शैक्षणिक वर्ष 2018-2019 में कक्षा दसवीं की जो पाठ्य पुस्तकें तैयार की गईं हैं, उन्हें मंडल की साइट पर अपलोड किया गया है। पुस्तक के पेज नंबर 107, 116, 117, 122 व 123 में छपी गलतियों को सुधारा गया है। अनुक्रमणिका में मीराबाई की जगह संत मीराबाई लिखा गया है, 20 नं. पेज पर बेनालिया की जगह बेनालियम सुधारित किया गया है। वहीं कक्षा 10वीं के सांइस एंड टेक्नोलॉजी की पुस्तक में कई फॉमूलों में गलती है, जिसे सुधारित किया गया है। पेज नंबर 4 में डायग्राम में भी गलती है। डायग्राम नंबर 15 में कैट फोरलेग की जगह फोरलेग ऑफ ऑक्स प्रिंट है। देखा जाए, तो यह एक गलती नहीं है, बल्कि भूगोल, सांइस, हिंदी, मराठी और अन्य विषयों में कई गंभीर गलतियां हैं, लेकिन इन गलतियों को एक शुद्धिपत्रक देकर महाराष्ट्र राज्य पाठ्य पुस्तक निर्मिती व अभ्यासक्रम संशोधन मंडल ने अपना बचाव कर लिया है। गणित और मराठी में भी गलतियां देखी जा सकती हैं। इसका असर विद्यार्थियों पर हो सकता है, क्योंकि किताब में जो लिखा होता है, उसे ही विद्यार्थी सही मानता है। भले ही शिक्षक उसे शुद्ध करके पढ़ाएं।
अनुवाद के कारण हैं गलतियां
पहले किताबें मराठी माध्यम में तैयार होती हैं, उसके बाद हिंदी वर्जन में अनुवाद किया जाता है। इसकी वजह से कई गंभीर गलतियां हैं। इस सत्र में ये गलतियां शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों को झेलनी पड़ेंगी। इन गलतियों को शुदिधपत्रक के अनुसार सुधार कर पढ़ाया जा रहा है। वैसे भी हिंदी माध्यम के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है। कई जगह तो प्रश्न कुछ और उत्तर कुछ और ही हैं। ऐसी स्थिति में शिक्षक का समझदार होना अावश्यक है, वरना अर्थ का अनर्थ हो जाएगा।
सुनील नायक, हेडमास्टर, ज्ञान विकास माध्यमिक स्कूल, नंदनवन
Created On :   4 Sept 2018 11:19 AM IST