विपक्ष में रहकर भी किए जा सकते हैं कई काम, महंगे पेट्रोल के लिए संप्रग सरकार जिम्मेदार

Many works can be done even in opposition
विपक्ष में रहकर भी किए जा सकते हैं कई काम, महंगे पेट्रोल के लिए संप्रग सरकार जिम्मेदार
दैनिक भास्कर से खास चर्चा विपक्ष में रहकर भी किए जा सकते हैं कई काम, महंगे पेट्रोल के लिए संप्रग सरकार जिम्मेदार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। विकास की राजनीति का आवाहन करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व राज्यपाल राम नाईक ने कहा है कि किसी भी सरकार में विपक्ष की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। विपक्ष में रहकर भी कई कार्य किए जा सकते हैं। पेट्रोल डीजल के बढ़े दामों को लेकर उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व की संप्रग सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा- खपत और आपूर्ति का प्रभाव पदार्थों के दाम पर रहता है। लेकिन पेट्रोल डीजल के दाम नियंत्रण के लिए पहले जो प्रयास किए गए थे उसपर संप्रग सरकार के समय ध्यान नहीं दिया गया। महंगे पेट्रोल के लिए संप्रग सरकार ही जिम्मेदार है। सोमवार को नाईक ने दैनिक भास्कर कार्यालय में संपादकीय सहयोगियों के साथ चर्चा की। वे केंद्र में पेट्रोलियम मंत्री रहे है। रेल राज्यमंत्री के अलावा उत्तरप्रदेश के राज्यपाल भी रहे हैं। अपने कार्यकाल के अनुभव साझा करते हुए उन्होंने जोर देकर कहा कि विपक्ष में रहकर भी कई कार्य किए जा सकते हैं। उनके प्रयास से मुंबई का नामकरण हुआ। उसके बाद चेन्नई,कोलकाता, बंगलुरु सहित अन्य शहरों के नाम उन राज्यों की मांग के अनुरुप किया गया। संसद में उनकी मांग पर वंदेमातरम गायन अनिवार्य कराया गया। स्तनपान के संबंध में उनके निजी विधेयक को अन्य दलों के जनप्रतिनिधियों का भी समर्थन मिला था।

ईंधन उत्पादन में आत्मनिर्भरता

पेट्रोल डीजल के दाम नियंत्रण के लिए ईंधन उत्पादन में आत्मनिर्भरता के प्रयासों को बल देना होगा। देश में 70 प्रतिशत क्रूड आईल अर्थात कच्चा तेल आयात किया जाता है। बकौल नाईक-पेट्रोलियम मंत्री रहते हमने ईंधन के लिए इथेनाल उत्पादन पर ध्यान दिया था। गन्ना उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा था। लेकिन संप्रग सरकार के समय इस मामले पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया। राजनीति और अर्थव्यवस्था का प्रभाव वस्तुओं के दामों पर पड़ता है।

यह भी कहा

जाति आधार के मतदान में मौलिक अंतर आ गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्य जाति आधार से ऊपर है। राज्यपालों में तुलना नहीं की जा सकती है। राज्यपाल संविधान का ध्यान रखकर कार्य करें तो मुख्यमंत्री पर प्रभाव पड़ता है। समयांतर में हर क्षेत्र में परिवर्तन होता है। राजनीतिक दलों में परिवर्तन भी स्वाभाविक है। महत्व इस बात का है कि वर्तमान पीढ़ी को क्या उचित लग रहा है। शिवसेना को बचाने के लिए उद्धव ठाकरे के प्रयासों में विश्वास की कमी दिख रही है। उनका नेतृत्व असफल दिख रहा है। पदाधिकारियों से शपथ लेने का आशय यही है कि उन्हें अपने लोगों पर भरोसा नहीं है।

प्रधानमंत्री का आर्डिनेंस फाड़नेवाले की मानसिकता समझ सकते हैं

कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर राम नाईक ने राहुल गांधी की चुटकी ली। उन्होंने कहा-प्रधानमंत्री का आर्डिनेंस फाड़नेवाले की मानसिकता को समझा जा सकता है। उन्होंने कहा लालकृष्ण आडवाणी की यात्रा एक वाहनों पर थी। कांग्रेस की यात्रा कंटेनरों पर है। यात्रा में संवाद का महत्व है। प्रेस क्लब में प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में नाईक बोल रहे थे। मुस्लिम धर्म स्थल पर सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत के जाने के मामले को उन्होंने अनुकरणीय कहा। राज्य में विधानपरिषद सदस्यों की नियुक्ति के लंबित मामले पर उन्होंने कहा कि इसका उत्तर यहां के राज्यपाल ही दे सकते है। लेकिन उत्तरप्रदेश में वे राज्यपाल थे तब ऐसा ही मामला सामने आया था। 9 नामों की सूची पर शिकायतें मिल रही थी। तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से चर्चा कर पहले 3 सदस्यों को नियुक्त किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि भाषा जोड़ने के लिए होती है। उर्दू को मुसलमान की भाषा मान लेना ठीक नहीं है। पीएफई के समान आरएसएस पर कार्रवाई संबंधी कांग्रेस नेता दिग्विजयसिंह के बयान पर कहा कि यह विषय महत्व देने लायक नहीं है। दिग्विजय जैसे लोगों का उपयोग ट्वीट के लिए किया जाता है। 


 

Created On :   26 Sept 2022 7:49 PM IST

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