मराठा आरक्षण मामला : सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी फैसले पर विचार के लिए सभी राज्यों को नोटिस जारी किया

Maratha Reservation Case: Supreme Court issues notice to all states for consideration of Indira Sawhney verdict
मराठा आरक्षण मामला : सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी फैसले पर विचार के लिए सभी राज्यों को नोटिस जारी किया
मराठा आरक्षण मामला : सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी फैसले पर विचार के लिए सभी राज्यों को नोटिस जारी किया

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मराठा आरक्षण पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान संविधान में आरक्षण के प्रावधान और इसकी बदलती जरुरतों को लेकर कई मुद्दे सामने आए। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने यह कहते हुए सारे राज्यों को नोटिस जारी किया है कि इस मामले में अदालत के फैसले का व्यापक असर होगा, इसलिए मामले में सबके कानूनी मुद्दों को सुना जाना जरुरी है। कोर्ट ने मराठा आरक्षण पर सुनवाई के लिए एक नया कैलेंडर घोषित किया है जिसके मुताबिक अगली सुनवाई 15 मार्च से शुरु होगी।सुनवाई के दौरान पांच जजों की बेंच इसकी जांच करेगी, क्या 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण की अनुमति दी जा सकती है? महाराष्ट्र सरकार के एसईबीसी एक्ट, 2018 क्या इंदिरा साहनी मामले के मार्गदर्शक सूचनाओं को ध्यान में रखते हुए पारित किया गया है? क्या संविधान के 102वें संशोधन में राज्यों को सामाजिक और आर्थिक तौर पर पिछड़ों को आरक्षण देने की शक्ति से वंचित करता है? क्या 102वां संशोधन एसईबीसी के संबंध में अपनी संरचना से राज्यों को वंचित करने वाले संविधान के संघीय ढांचे को प्रभावित करता है? अगर करता है तो क्या 102वां संशोधन घटनात्मक दृष्टि से वैध है या नहीं? 1992 के इंदिरा साहनी मामले में संविधान पीठ के आरक्षण सीमा को 50 फीसदी करने के फैसले पर फिर से विचार के लिए मराठा आरक्षण मसले को 11 जजों की बेंच में भेजे जाने की जरुरत है? इन सभी प्रारंभिक मुद्दों की की जांच के लिए सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है और अगली सुनवाई के दौरान इस मामले में कानूनी मुद्दों को रखने के लिए कहा है।

सुप्रीम कोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई कर रहा है जिसने सामाजिक और शैक्षणिक रुप से पिछड़े वर्ग (एसईबीसी) अधिनियम के तहत दिए आरक्षण की वैधता को बरकरार रखा था। एसईबीसी के तहत शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया गया। इसे बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी, जिसने जून 2019 में कानून की वैधता को बरकरार रखा, लेकिन शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में कोटा को घटाकर 12 प्रतिशत और नौकरियों में 13 प्रतिशत कर दिया। याचिकाओं ने इस कानून को इस आधार पर चुनौती दी है कि यह सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी के फैसले में निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करता है।

 

Created On :   8 March 2021 4:57 PM GMT

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