लाइव म्यूजिक कंसर्ट्स और पार्टी ऑल नाइट कॉन्सेप्ट में बढ़ रही है एमडी ड्रग्स की लत

MD drug addiction on the rise in live music concerts and party all night concept
लाइव म्यूजिक कंसर्ट्स और पार्टी ऑल नाइट कॉन्सेप्ट में बढ़ रही है एमडी ड्रग्स की लत
चिन्ता का विषय लाइव म्यूजिक कंसर्ट्स और पार्टी ऑल नाइट कॉन्सेप्ट में बढ़ रही है एमडी ड्रग्स की लत

डिजिटल डेस्क, नागपुुर। लाइफ स्टाइल बदल रही है, तो बदल रहे हैं हर तौर-तरीके भी। पिछले कुछ वर्षों में कई बदलाव सामाजिक क्षेत्र में देखे जा रहे हैं। इस बदलावों के केंद्र में युवा वर्ग है। खासकर कोरोना के बाद से शहर में इस बदलाव को चारों तरफ देखा जा रहा है। एक तरफ जहां लाइव म्यूजिक कंसर्ट्स का चलन बढ़ा है, तो दूसरी तरफ शहर में नए क्लब ने भी अपनी जगह बना ली है, जिससे पार्टी कल्चर काफी बढ़ चुका है। ‘पार्टी ऑल नाइट' कॉन्सेप्ट की धूम मची है। दूसरे शब्दों में कहें तो उपराजधानी में अब केवल वीकेंड्स पर पार्टी नहीं होती, बल्कि शनिवार की तरह ही पार्टी करने वालों की भीड़ हर शाम देखी जा सकती है। इन कंसर्ट्स में नागपुर सहित विदर्भ के कई युवा शामिल होते हैं। यही कारण है कि तेजी से मध्यम वर्गीय परिवार के युवाओं तक अम्लीय पदार्थों के सेवन का चलन पहुंच रहा है। हाई प्रोफाइल लोग तो पहले से ही इसके दायरे में हैं। हैरतअंगेज रूप से मादक पदार्थों का सेवन करने वालों में इन दिनों अधिक प्रमाण पढ़े-लिखे युवाओं का बढ़ रहा है, जिनमें मेडिकल और इंजीनियरिंग क्षेत्र से जुड़े चेहरों को देखा जा रहा है। 

चूंकि इसमें शान-ओ-शौकत साफ झलकती है, इसलिए ड्रग्स की बिक्री करने वाले पैडलर्स भी सक्रिय हो गए हैं। इनके माध्यम से शाम गहराते ही शहर के कई इलाकों में नशे का सामान बेचने वाले एक्टिव हो जाते हैं। आसानी से उनके पास उपलब्ध हो जाने वाले ड्रग्स के नाम भी चौंकाने वाले होते हैं। जैसे सबसे ज़्यादा बिकने वाले गांजा का कोड "ग्रीन स्टफ’ ‘म्याऊ -म्याऊ ’ तो एमडी मेफेड्रोन को "टिकट’ और चरस को "पौवा "कहा जाता है। हर एरिया के अनुसार पेडलर नाम में बदलाव करते हैं। इसके लिए शहर के युवा हर माह करोड़ों रुपए खर्च कर रहे हैं। पुलिस के हाथ में छोटे ड्रग पैडलर्स ही आते हैं, जिनके पास से बहुत कम मात्रा में ही मादक पदार्थों की बरामदगी हो पाती है। बड़े ड्रग पैडलर्स पकड़ से बाहर ही होते हैं। एक जानकारी के अनुसार, शहर में छोटे-बड़े सैकड़ों ड्रग पैडलर्स सक्रिय हैं, जो नशे का कारोबार करते हैं। 

नशाखोरी से संबंधित मामलों पर नजर डालें, तो स्पष्ट होता है कि शहर के मध्यम वर्गीय युवाओं में नशे की लत बढ़ती जा रही है। पांचपावली, सक्करदरा, यशोधरानगर, शांतिनगर, कामठी, सीताबर्डी, मोमिनपुरा, कलमना, पारडी, नंदनवन जैसे इलाकों में संबंधित मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इनमें अंबाझरी और धरमपेठ जैसे संभ्रांत इलाके माने जाने वाले थानों में अपेक्षाकृत कम दर्ज हुए मामले संकेत दे रहे हैं कि शहर के मध्यम वर्गीय परिवार के युवाओं में नशे की लत बढ़ रही है और उसमें भी अधिकतर एमडी ड्रग्स का सेवन करने वाले मिल रहे हैं।    

आंकड़ों पर नज़र डालें तो वर्ष 2022 में 279 मामले दर्ज किए गए। करीब 399 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें सबसे अधिक मामले गांजे के है।103 मामले पूरे साल भर के दरमियान दर्ज किए गए और कुल 2,45,05,314 रुपए का गांजा बरामद किया गया।
गांजे के बाद सबसे अधिक मेफेड्रोन ड्रग का इस्तेमाल किया गया। 30 मामले दर्ज किए गए और 80,66,480 रुपए का  एमडी बरामद किया गया। ब्राउन शुगर के 5 मामले सामने आए। इसमें 1,00,200 रुपए का माल बरामद किया गया। 
चरस के कुल 3 मामले दर्ज हुए हैं, 24,055 रुपए का माल बरामद किया गया। 
और बनी हुई रेडीमेड पीने पकड़े जाने के 138 मामले सामने आए। 
कोकीन और भांग का प्रमाण  कम रहा। पिछले साल 2022 में  सबसे अधिक कार्रवाई सितंबर महीने में  की गई। 

साल की शुरुआत में ही 16 मामलों में कार्रवाई : इस साल  जनवरी माह में अब तक 16 कार्रवाई एनडीपीएस एक्ट के तहत की जा चुकी है। अभी तक 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर उनसे करीब 4,05,780 रुपए का माल बरामद किया गया है।  

फैशन के नाम पर इलेक्ट्रिक सिगरेट : सिगरेट, तंबाकू, गांजा के बाद अब नया ट्रेंड इलेक्ट्रिक सिगरेट "वेप "का है, जिसे मादक पदार्थ विरोधी कानून के तहत प्रतिबंधित किया हुआ है। कॉलेज जाने वाले युवाओं में इसका चलन अधिक देखा जाता है, खासकर लड़कियों में यह काफी प्रचलित है। 1500 रुपए तक मिलने वाले "वेप’ को पूरी तरह से बैन किया हुआ है।

उच्च शिक्षितों में ज्यादा इस्तेमाल 

मनोज सिडाम, पुलिस निरीक्षक, एनडीपीएस के मुताबिक उच्च शिक्षित युवाओं द्वारा ड्रग का इस्तेमाल करना समाज में गलत संदेश पहुंचता है। डॉक्टर, इंजीनियर्स जैसे पेशे वाले युवा पढ़ाई में एकाग्रता लाने के लिए शुरुआती तौर पर इसका सेवन करते हैं, लेकिन वह कब उनके गले  की हड्डी बन जाता है, ये पता ही नहीं चलता।

 

Created On :   29 Jan 2023 9:47 AM GMT

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