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कर्नाटक की मेडिकल स्टूडेंट को पुणे के कालेज में प्रवेश को हाईकोर्ट की मिली मंजूरी

डिजिटल डेस्क,मुंबई । बांबे हाईकोर्ट ने चोट के चलते क्षतिग्रस्त घुटनों के इलाज के लिए दूसरे राज्य के निजी मेडिकल कालेज में पढ़ाई कर रही एक छात्रा को महाराष्ट्र के मेडिकल कालेज में MBBS के दूसरे वर्ष के पाठ्यक्रम में प्रवेश देने का निर्देश दिया है। इससे पहले मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया MCI ने छात्रा को एडमिशन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) देने से इंकार कर दिया था। एमसीआई के मुताबिक नियमानुसार छात्रा को निजी मेडिकल कालेज से सरकारी मेडिकल कालेज में स्थानांतरित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। छात्रा के घुटने के लिए जिस इलाज की जरुरत है, वह कर्नाटक में उपलब्ध है। उसे महाराष्ट्र आने की जरुरत नहीं है।
MCI के खिलाफ दायर की थी याचिका
MCI के इस रुख के खिलाफ मूल रुप से पुणे निवासी छात्रा कल्याणी जोशी ने बांबे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति भूषण गवई व न्यायमूर्ति बीपी कुलाबावाला की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने पाया कि छात्रा अपने छात्रावास के वाश रुम में गिर गई थी। जिससे उसके घुटनों में गहरी चोट लगी है। इसका इलाज मुंबई, पुणे व बेलगांव के सुपर स्पेशैलिटी अस्पताल में हो सकता है। महाराष्ट्र के जिस कालेज में वह एडमिशन चाहती है, कालेज उसे एडमिशन देने को तैयार है। जोशी कर्नाटक स्थित रैचूर के जिस नवोदय कालेज में पढ़ती हैं, उसे भी जोशी के महाराष्ट्र के कालेज में जाने पर ऐतराज नहीं है। इस स्थिति में हमारी समझ से यह परे है कि MCI को क्यों आपत्ति है? यदि MCI छात्रा को एडमिशन के लिए एनओसी देती है तो इससे कौन से मानक प्रभावित होंगे। खंडपीठ ने एमसीआई द्वारा छात्रा को एनओसी न देने के तर्क को अस्वीकार करते हुए को MCI को एक सप्ताह के भीतर एनसोसी जारी करने का निर्देश दिया जिससे छात्रा की शिक्षा का रास्ता अब साफ हुआ है।
Created On :   20 Jan 2018 6:18 PM IST