सीएम की घोषणा के बाद भी ठंडे बस्ते में स्मारक का काम- बाबासाहब के संघर्ष का निवासस्थान उपेक्षित

Memorial work in cold storage even after CMs announcement
सीएम की घोषणा के बाद भी ठंडे बस्ते में स्मारक का काम- बाबासाहब के संघर्ष का निवासस्थान उपेक्षित
नागपुर सीएम की घोषणा के बाद भी ठंडे बस्ते में स्मारक का काम- बाबासाहब के संघर्ष का निवासस्थान उपेक्षित

डिजिटल डेस्क, नागपुर| भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. बाबासाहब आंबेडकर यांनी अपना संघर्ष का काल 1912 ते 1934, ऐसे करीब 22 वर्ष जिस इमारत में व्यतीत किए। वह निवासस्थान आंबेडकरी समाज के लिए प्रेरणा स्थल है। अत्यंत जर्जर हो चुकी इस इमारत की सरकार उपेक्षा कर रही है। सरकार को तत्काल इस मामले में दखल लेकर इमारत को संरक्षित कर उसे स्मारक के रूप में विकसित करने की मांग डॉ. बाबासाहब आंबेडकर प्रेरणा समिति के अध्यक्ष शंकर लाेखंडे ने रविवार को पत्र परिषद में की। उन्होंने बताया कि, मुंबई के मध्यवर्ती परेल में बीआईटी चाल क्र.-1 एक ऐतिहासिक इमारत है। या चाळ की दूसरी मंजिल पर कमरा क्र.-50 व 51 में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने मां रमाई के साथ करीब 22 वर्ष गुजारे। यह उनका संघर्ष काल था। इस चाळ में ही राजर्षी शाहू महाराज ने बाबासाहब से पहलीबार भेंट ली और मूकनायक समाचार पत्र शुरू करने के लिए 2500 रुपए की आर्थिक मदद भी दी। इसी चाल में रहकर बाबासाहब एमए, पीएचडी से लेकर सभी पदवियां लीं। एेसी अनेक घटनाओं की साक्षी यह चाल ऐतिहासिक है। समिति के प्रयासों से तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस चाल को भेंट देकर यहां राष्ट्रीय स्मारक करने की घोषणा की थी, लेकिन उसके बाद कुछ भी नहीं हुआ। सरकार को इस संदर्भ में कदम उठाने की मांग समिति ने की आहे। पत्र परिषदेत उत्तम शेवडे, संतोष आंबेकर आदि उपस्थित थे।
 

Created On :   10 April 2023 2:18 PM IST

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