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सीमित नहीं रहा कला का क्षेत्र, पुरुष भी होते हैं रंगोली बनाने में माहिर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कला का क्षेत्र सीमित नहीं है। इसमें किसी प्रकार का बंधन भी नहीं है। पुरुष, महिला, बच्चे, बुजुर्ग, अमीर-गरीब सभी कला के जरिए नाम कमा रहे हैं। कलाकार तो सिर्फ कलाकार होता है। रंगोली बनाना भी एक कला है। इस बनाने में धैर्य रखने की जरूरत होती है। इसमें हाथ एकदम फ्री होना चाहिए, साथ ही फिनशिंग भी होनी चाहिए। कलर कॉम्बिनेशन की अच्छी जानकारी होनी चाहिए। आमतौर पर कहा जाता है कि रंगोली बनाना महिलाओं का काम है, लेकिन ऐसा नहीं है। पुरुष भी रंगोली बनाने में माहिर होते हैं। वे खुद तो रंगोली बनाते ही हैं, साथ ही रंगोली बनाना सिखाते भी हैं। छोटी हो या बड़ी रंगोली मिनटों में बनाकर तैयार कर देते हैं। रंगोली विशेषज्ञ कहते हैं कि इसमें फ्री हैंड और रंगों का ज्ञान होना जरूरी है। इसे बनाने में काफी मेहनत लगती है। रंगोली बनाने वाले पुरुष कलाकारों ने चर्चा के दौरान अपने अनुभवों को शेयर किया।
मेरा पैशन है
रंगोली बनाना मेरा पैशन है। मैं पिछले 30 वर्ष से रंगोली बना रहा हूं। अभी तक करीब डेढ़ लाख लोगों को प्रशिक्षित कर चुका हूं। इस कार्य में मेरी पत्नी रोहिणी मेरा साथ देती है। रंगोली बनाने के लिए मैंने 1600 से अधिक वर्कशॉप भी ली है। इसके लिए मैंने भारत वर्ष सहित विदेश यात्रा भी की है। हमारा उद्देश्य नई पीढ़ी को कला के प्रति आकर्षित करना है। इसलिए हमारा प्रयास रहता है कि युवा पीढ़ी को ज्यादा से ज्यादा इसमें रुचि लेनी चाहिए। आज भी मैं रंगोली बनाता हूं। कला के प्रति हर व्यक्ति की रुचि होनी चाहिए।
चंद्रकांत घरोटे, सेवानिवृत्ति बैंक अधिकारी
चाहे कोई भी त्योहार हो, मैं हमेशा रंगोली बनाता हंू। जॉॅब करने के साथ ही मेरी रंगोली बनाने में विशेष रुचि है। रामनवमी के अवसर पर पूरी कॉलोनी में मैंने ही रंगोली बनाई। मैं रंगोली के अलावा मेहंदी और पेेंटिंग भी बनाता हूं। गुढ़ी पाड़वा की रात में 12 बजे के बाद कॉलोनी में रंगोली बनाई थी। कलाकार को अपनी कला को जब भी दिखाने का मौका मिले, उसे झिझकना नहीं चाहिए। रंगोली बनाना भी बढ़िया आर्ट है। मैंने रंगोली बनाने का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है। भारतीय संस्कृति में रंगोली को शुभ माना जाता है, किसी भी शुभ कार्य में घर के आंगन में रंगोली जरूर बनाई जाती है।
- अरुण रत्नापारखी, वर्किंग
चाहे कोई भी त्योहार हो, मैं हमेशा रंगोली बनाता हंू। जॉॅब करने के साथ ही मेरी रंगोली बनाने में विशेष रुचि है। रामनवमी के अवसर पर पूरी कॉलोनी में मैंने ही रंगोली बनाई। मैं रंगोली के अलावा मेहंदी और पेेंटिंग भी बनाता हूं। गुढ़ी पाड़वा की रात में 12 बजे के बाद कॉलोनी में रंगोली बनाई थी। कलाकार को अपनी कला को जब भी दिखाने का मौका मिले, उसे झिझकना नहीं चाहिए। रंगोली बनाना भी बढ़िया आर्ट है। मैंने रंगोली बनाने का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है। भारतीय संस्कृति में रंगोली को शुभ माना जाता है, किसी भी शुभ कार्य में घर के आंगन में रंगोली जरूर बनाई जाती है।
- अरुण रत्नापारखी, वर्किंग
Created On :   14 April 2019 5:34 PM IST