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उस नरभक्षी बाघिन ने शावकों को दिया जन्म, नहीं मारेंगे गोली

डिजिटल डेस्क, नागपुर । पिछले काफी समय से फारेस्ट को छकाने वाली नरभक्षी बाघिन को गोली नहीं मारी जाएगी ऐसा इसलिए किया जा रहा हैै क्योंकि हाल ही में बाघिन ने शावकों को जन्म दिया है। यह फैसला फारेस्ट ने लेते हुए उसे जंगल में छोड़ने की तैयारी की है। बता दें कि वन विभाग ने यवतमाल जिले के रालेगांव और केलापुर तहसील में आतंक मचाने वाली बाघिन को गोली मारने का फैसला लिया था और अब अपने फैसले को पलट लिया है। दरअसल, बाघिन ने हाल ही में दो शावकों को जन्म दिया है। ऐसे में वन विभाग ने फैसला लिया है कि वे बाघिन को गोली नहीं मारेंगे। उसे बेहोश करके पकड़ कर सुरक्षित स्थान पर छोड़ेंगे। शावकों को बगैर बेहोश किए सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाएगा। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस पूरी कार्रवाई के दौरान वन विभाग को एनटीसीए के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करना होगा।
अभी तक क्या हुआ...
यह बाघिन बीते दिनों खूंखार हो गई थी। वन विभाग के अनुसार, बीते 18 महीने में इस बाघिन ने 10 गांव वालों की हत्या की है और 50 से ज्यादा मवेशियों को भी शिकार बनाया है।
बीते दिनों जब वन विभाग ने इसे गोली मारने का निर्णय लिया, तब बाघिन के बचाव में वन्यप्रेमी सामने आए।
वन्यप्रेमी सरिता सुब्रमण्यम और जैरिल बनाईत ने बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में वन विभाग के आदेश को चुनौती दी। मामले में सुब्रमण्यम की ओर से ड.आर.एल.खापरे और बनाईत की ओर से एड.तुषार मंडलेकर ने पक्ष रखा।
बाघिन सखी, सावरखेडा, उमरी क्षेत्र मंे विचरण कर रही है। वन विभाग की 200 अधिकारियों-कर्मचारियों की टीम पिछले तीन महीने से उसे बेहोश करने की कोशिश कर रही है, लेकिन सफलता नहीं मिली है। यहां तक कि ट्रैप कैमरे भी विफल साबित हो रहे हैं।
पहले दिए थे गोली मारने के आदेश
इस संबंध में हुई बैठक में राष्ट्रीय व्याघ्र संवर्धन प्राधिकरण के वरिष्ठ अधिकारियों, वन्यजीव विशेषज्ञों और पीसीसीएफ ने बाघिन को देखते ही गोली मारने के निर्णय पर मुहर लगाई थी। इस फैसले को बदल कर अब वन विभाग ने उसे बेहोश करके पकड़ने का निर्णय लिया है।

Created On :   9 March 2018 10:52 AM IST