मेट्रो कारशेड जमीन विवाद जमीन स्थनांतरण का आदेश वापस ले राज्य सरकार - हाईकोर्ट

Metro car shad land dispute: State government Should withdraws land transfer order - High Court
मेट्रो कारशेड जमीन विवाद जमीन स्थनांतरण का आदेश वापस ले राज्य सरकार - हाईकोर्ट
मेट्रो कारशेड जमीन विवाद जमीन स्थनांतरण का आदेश वापस ले राज्य सरकार - हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मेट्रो कारशेड के लिए कांजुरमार्ग की 102 एकड़ जमीन स्थानांतरित करने के विषय में जारी किया गया आदेश प्रथम दृष्टया खामीपूर्ण नजर आ रहा है। लिहाजा राज्य सरकार या तो इसे वापस ले अन्य़था हम इसे खारिज करके इस विषय पर सभी पक्षों को सुनने के बाद जिलाधिकारी को दोबारा आदेश जारी करने को कहेंगे। सोमवार को बांबे हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान मौखिक रुप से यह मत व्यक्त किया है। हाईकोर्ट में जमीन स्थनांतरण के खिलाफ केंद्र सरकार की ओर से दायर याचिक पर सुनवाई चल रही है। याचिका में मुख्य रुप से उपनगर के जिलाधिकारी की ओर से जमीन स्थनांतरण को लेकर 1 अक्टूबर 2020 को जारी किए गए आदेश को चुनौती दी गई है। याचिका में केंद्र सरकार ने दावा किया है कि जमीन पर उसका मालिकाना हक है। इसलिए कलेक्टर की ओर से जारी किए गया आदेश अवैध है। इसलिए इसे रद्द कर दिया जाए।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने जमीन स्थनांतरण को लेकर कलेक्टर की ओर से जारी किए गए आदेश पर गौर करने के बाद कहा कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि कलेक्टर को इस बात की जानकारी थी कि जमीन को लेकर सीविल कोर्ट में मामला प्रलंबित है फिर भी कलेक्टर ने कानूनी प्रक्रिया के तहत मामले से जुड़े सभी पक्षों को सुने बगैर जमीन के स्थनांतरण को लेकर आदेश जारी कर दिया। प्रथम दृष्टया हमे यह आदेश खामियों(इनफरमिटी) से ग्रसित नजर आ रहा है।

लिहाजा राज्य सरकार इस आदेश को वापस ले और सभी पक्षों को सुनने के बाद कलेक्टर नए आदेश पारित करे अन्यथा हम इस आदेश को रद्द कर देंगे और कलेक्टर कानून के तहत दोबार निर्णय लेने को कहेगे। खंडपीठ ने अपने इस सुझाव पर राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी को इस बारे में निर्देश लेकर बुधवार तक जानकारी देने को कहा है। इस पहलेश्री कुंभकोणी ने कहा कि फोन पर ठीक तरीके से कलेक्टर को अपनी बात समझा नहीं पाए है और फिलहाल विधानमंडल का सत्र चल रहा है इसलिए उन्हें थोड़ा वक्त दिया जाए। इस दौरान एडिशनल सालिसिटर जनरल अनिल सिंह ने खंडपीठ से कलेक्टर के आदेश को रद्द करने का निवेदन किया। पहले मेट्रो कारशेड आरे में बननेवाला था लेकिन बाद में राज्य सरकार ने इसे कांजुरमार्ग में बनाने का निर्णय किया है।

वहीं मामले में हस्तक्षेप आवेदन करनेवालेवाले महेश कुमार गरोडिया की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता श्याम मेहता ने खंडपीठ को इस विषय पर सिविल कोर्ट में प्रलंबित दावे(सूट) की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सिविल कोर्ट ने इस मामले में अंतरिम आदेश(इंजक्सन) भी जारी किया है। गरोडिया ने भी कांजुरमार्ग की जमीन पर अपना दावा किया है। श्री मेहता ने कहा कि जमीन स्थनांतरण का आदेश जारी करते समय उनके पक्ष को भी नहीं सुना गया है। वहीं मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता डा.मिलिंद साठे ने कहा कि मेट्रो जनहित से जुड़ा प्रोजेक्ट है। हम चाहते है कि जमीन के मालिकाना हक के विवाद से यह प्रोजेक्ट प्रभावितन होना चाहिए। इस तरह खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद मामले की सुनवाई 16 दिसंबर 2020 तक के लिए स्थगित कर दी।
 

Created On :   14 Dec 2020 8:12 PM IST

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