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सीधी जिले के 1 लाख 31 हजार छात्रों को दिया जा रहा मध्यान्ह भोजन - व्यय हो रहे सवा करोड़
डिजिटल डेस्क सीधी। प्राथमिक, माध्यमिक स्कूलों के बच्चों के लिये बनने वाले मध्यान्ह भोजन पर शासन के सवा करोड़ रूपये खर्च हो रहे हैं। इस राशि में खाद्य सामग्री, ईंधन का व्यय शामिल नहीं है बल्कि रसोइयों पर इतना बड़ा खर्चा आ रहा है। करीब 1 लाख 31 हजार 371 छात्र छात्राओं के लिये 4649 रसोइये पंजीबद्ध किये गये हैें।
मध्यान्ह भोजन योजना को छात्र, अभिभावक और शिक्षक भले ही फिजूल मान रहे हों पर सरकार तो योजना के संचालन में भारी भरकम राशि व्यय कर रही है। जिले में कुल 2299 स्कूल और आंगनवाड़ी केन्द्र संचालित हैं जहां पढऩे आने वाले छात्रों को मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था कराई जाती है। करीब 1 लाख 31 हजार 371 छात्रों पर मध्यान्ह भोजन तैयार करने के लिये लगाये गये रसोइयों पर 1 करोड़ 19 लाख 20 हजार 335 रूपये व्यय हो रहे हैें। इतनी राशि 2244 कुकिंग एजेंसी के खाते में भेजी जा रही है। जानकारी के मुताबिक सर्वाधिक राशि 35 लाख 67 हजार 970 रूपये सीधी जनपद क्षेत्र में व्यय हो रही है। इसके बाद सिहावल जनपद क्षेत्र में 29 लाख 78 हजार 438 रूपये खर्च किये जा रहे हैं। रामपुर नैकिन जनपद क्षेत्र में 24 लाख 8 हजार 405 रूपये, मझौली जनपद क्षेत्र में 19 लाख 72 हजार 616 रूपये तथा कुसमी जनपद क्षेत्र की स्कूलों में 9 लाख 92 हजार 906 रूपये खर्च हो रहे हैें। इतनी बड़ी राशि केवल मध्यान्ह भोजन पकाने में व्यय हो रही है जबकि खाद्यान्न, तेल मसाला, ईंधन आदि पर अलग से राशि खर्च की जा रही है। सरकार इतनी बड़ी राशि स्कूली छात्रों के लिये खर्च कर रही लेकिन अभी तक एक भी समूहों का नाम सामने नहीं आया है जो बेहतर मध्यान्ह भोजन उपलब्ध कराने के लिये पुरूष्कृत हुये हों या उल्लेखनीय कार्य की क्षेत्र में चर्चा हो। इन सब मामले में हर जगह केवल गड़बड़ी की ही शिकायत रहती है जिस कारण निचले स्तर से लेकर ऊपर तक के संबंधित अधिकारी हिस्सेदारी निभाते देखे जाते हैें। जिन छात्र छात्राओं को योजना से लाभांवित होना चाहिए वे कागजी खानापूर्ति से संतुष्ट होकर रह जाते हैें।
शहर की हालत और खराब
मध्यान्ह भोजन योजना के क्रियान्वयन में केवल ग्रामीण क्षेत्रों में ही गड़बड़ी नहीं देखी जा रही बल्कि शहर में तो और भी बदतर स्थिति बनी हुई हेै। जिला मुख्यालय में एक से बढ़कर एक अधिकारियों के मौजूदगी के बाद भी शहर में संचालित करीब दो दर्जन स्कूलों के बच्चों को गर्म भोजन कभी कभार ही नसीब हो पाता है। एक जगह तैयार होने वाले मध्यान्ह भोजन को वाहन में लादकर स्कूलों तक पहुंचाने में इतना समय व्यतीत हो जाता है कि मध्यान्ह भोजन बासी भोजन के बराबर स्वाद देने लगता है। कई जगह तो भोजन की गाड़ी तब पहुंचती है जब पहली पाली की छुट्टी हो चुकी होती है या छुट्टी के समय ही वाहन पहुंचता है। मध्यान्ह भोजन में दाल-चावल के अलावा पानीदार आलू की सब्जी ही बच्चों को नसीब हो पा रही है। मीनू का शहरी क्षेत्र में कभी भी पालन नहीं हुआ है।
रसूखदारों के कब्जे में समूह
मध्यान्ह भोजन योजना का संचालन स्वसहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है। स्वसहायता समूहों को इसलिये योजना का भार सौंपा गया हेै ताकि योजना का संचालन कर समूह भी दो पैसे की आमदनी कर सकें। भारी भरकम बजट और खाद्यान्न मिलने के कारण आमदनी की संभावना ज्यादा रहती है इसीलिये शुरूआती दौर से ही रसूखदारों ने न कि अपने-अपने समूह बना लिये बल्कि अपरोक्ष रूप से अपने अधीन ही समूहों का संचालन कर रहे हैें। यही वजह है कि स्कूलों में मध्यान्ह भोजन की न तो गुणवत्ता रह गई और न ही कोई मतलब निकल रहा है। इतना जरूर है कि शासन का पैसा करोड़ों में बच्चों के नाम पर व्यय हो रहा है। उधर शासन प्रशासन भी समूहों को रसूखदारों के कब्जे से बाहर नहीं निकाल पाया है।
कहां कितनी व्यय हो रही राशि
जनपद कुसमी - 992906
जनपद मझौली - 1972616
जनपद रामपुर नैकिन - 2408405
जनपद सीधी - 3567970
जनपद सिहावल - 2978429
Created On :   4 March 2020 9:12 AM GMT