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एमआईएम ने महाराष्ट्र में उतारे 52 उम्मीदवार, आंबेडकर से नहीं बन सकी सहमति

डिजिटल डेस्क, मुंबई। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) ने महाराष्ट्र की 52 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारें हैं। पार्टी अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने उम्मीद जताई है कि पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार न सिर्फ पार्टी का मत प्रतिशत बढ़ेगा बल्कि सीटों की भी संख्या ज्यादा होगी। प्रकाश आंबेडकर की बहुजन वंचित आघाडी से गठबंधन न हो पाने पर ओवैसी ने कहा कि सीट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों में सहमति नहीं बन पाई लेकिन वे आंबेडकर को अपना बड़ा भाई मानते हैं और मानते रहेंगे। ओवैसी के मुताबिक राज्य में विपक्षी दलों को एकजुट करने की जिम्मेदारी उनकी नहीं कांग्रेस और राकांपा की है।
शुक्रवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी ने सभी जातियों और समुदायों के उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है और पार्टी राज्य के पिछड़े और दबेकुचले लोगों की आवाज बनना चाहती है। भाजपा विरोधी वोट बंटने से जुड़े सवाल पर ओवैसी ने कहा कि सभी दलों को साथ लेकर चलना उनकी नहीं कांग्रेस और राकांपा की जिम्मेदारी थी। राज्य में 370 के मुद्दे पर प्रचार के भाजपा के ऐलान पर ओवैसी ने कहा कि भाजपा की सरकार बनने के बाद राज्य में 14 हजार किसानों ने आत्महत्या की है। यही नहीं कर्जमाफी के बाद भी साढ़े चार हजार किसानों ने मौत को गले लगा लिया है। देश में बेरोजगारी की दर छह फीसदी पहुंच गई है जो अब तक सबसे ज्यादा है।
राज्य में उद्योग धंधे बंद हो रहे हैं। जीएसटी भी कम इकठ्ठा हुआ है। भाजपा ऐसे गंभीर मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है। एनआरसी के मुद्दे पर ओवैसी ने कहा कि भाजपा नागरिकता से जुड़े विधेयक में बदलाव करना चाहती है जिससे मुसलमानों के अलावा सभी धर्म के लोगों को भारत की नागरिकता देने का रास्ता साफ हो सके लेकिन संविधान धर्म के आधार पर नागरिकों से भेदभाव की इजाजत नहीं देता और हम इसके खिलाफ लड़ेंगे। दरअसल इस तरह के कानून मोहम्मद अली जिन्ना के दो राष्ट्र के सिद्धांत को ही सही ठहराएंगे जबकि हमारे पूर्वजों ने जिन्ना को ठुकराकर इस देश और संविधान को चुना है। ओवैसी ने कहा कि एनआरसी में 19 लाख लोगों के नाम आने के बाद भाजपा खुद परेशान है और उसे इससे बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा है। ओवैसी ने एक बार फिर राज्य के पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण देने की मांग की साथ ही आदित्य ठाकरे के चुनावी मैदान पर उतरने पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि शायद रिमोट कंट्रोल काम नहीं कर रहा है इसीलिए ठाकरे परिवार को मैदान में उतरना पड़ा है।
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Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
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भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।