राज्यमंत्री राठौड़ को नोटिस, सरकारी निधि का दुरुपयोग करने पर मांगा जवाब

Minister Rajyavardhan Rathod receives notice for misuse of public funds
राज्यमंत्री राठौड़ को नोटिस, सरकारी निधि का दुरुपयोग करने पर मांगा जवाब
राज्यमंत्री राठौड़ को नोटिस, सरकारी निधि का दुरुपयोग करने पर मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने राज्यमंत्री और वाशिम जिले के पालकमंत्री संजय राठौड़ को सरकारी निधि के दुरुपयोग पर केंद्रित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता चंद्रकांत ठाकरे ने अपनी याचिका में मुद्दा उठाया गया है कि राज्यमंत्री राठौड़ के पत्र के बाद वाशिम जिलाधिकारी ने राज्य इनोवेशन स्कीम के तहत 6 करोड़ 67 लाख 46 हजार की निधि जारी कर दी। इससे न तो इनोवेशन का कोई काम हो रहा है और न ही राज्य इनोवेशन काउंसिल से इसकी मंजूरी ली गई है।

मामले में याचिकाकर्ता का पक्ष सुनकर कोर्ट ने जिलाधिकारी के निर्णय पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्यमंत्री राठौड़, जिलाधिकारी और राज्य नियोजन विभाग सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.फिरदौस मिर्जा ने पक्ष रखा।

यह है मामला 
याचिकाकर्ता की दलील है कि क्षेत्र में इनोवेशन स्कीम के नाम पर जो बड़ी निधि जारी हुई है, उसका उपयोग किसी भी प्रकार के इनोवेशन के लिए नहीं किया जा रहा है। राज्य सरकार ने 4 मार्च 2014 को जीआर जारी करके राज्य इनोवेशन काउंसिल का गठन किया था। 27 अगस्त 2014 को एक और  जीआर जारी किया, जिसके अनुसार जिला नियोजन समितियों (डीपीसी) के लिए निर्धारित बजट का 3.5 प्रतिशत हिस्सा जिले में नए उपक्रम शुरू करने के लिए खर्च करने की अनुमति दी गई। सरकार ने स्पष्ट किया कि इसका 0.5 हिस्सा इनोवेशन काउंसिल के पास जमा कराना होगा।

याचिकाकर्ता ने नियमों का हवाला देते हुए कोर्ट में कहा है कि काउंसिल की बैठकों के बीच में 90 दिनों का अंतर नहीं होना चाहिए। साल में तीन बैठकें होनी चाहिए। मगर वर्ष 2018 में काउंसिल की न ही कोई बैठक हुई है और न ही वर्ष 2017-18 में कोई नया प्रस्ताव मंजूर हुआ, लेकिन मार्च 2018 में वाशिम जिलाधिकारी ने इनोवेशन स्कीम के तहत 6 करोड़ 67 लाख 46 हजार रुपए की निधि जारी कर दी। जिलाधिकारी ने राज्यमंत्री संजय राठौड़ के पत्र के बाद यह निधि जारी की। इस निधि से एक सभागृह का निर्माण किया जा रहा है, जो किसी प्रकार से इनोवेशन की श्रेणी में नहीं आता और न ही राज्य इनोवेशन काउंसिल ने इसकी मंजूरी दी है।  याचिकाकर्ता ने इस मामले की शिकायत जिलाधिकारी और राज्य मंत्री दोनों से की। कोई हल नहीं निकलने पर हाईकोर्ट की शरण ली। 

Created On :   19 Jun 2018 11:42 AM IST

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