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मंत्रियों के विभागों का नहीं हुआ बंटवारा, बिना विभागों के मंत्रियों का होने जा रहा है पहला अधिवेशन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आगामी 16 दिसंबर से विधानमंडल का शीतकालीन अधिवेशन नागपुर में शुरू होने जा रहा है। सोमवार से सचिवालय का कामकाज शुरू हो गया है। अधिवेशन को अब सप्ताह से भी कम समय है, लेकिन विभागों का बंटवारा नहीं होने से सरकारी विभाग भी उदासीन है। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि संसदीय कार्य विभाग, गृह विभाग को छोड़कर मुंबई से उपराजधानी में अन्य किसी विभाग के बड़े अधिकारी या कर्मचारी नहीं पहुंचे हैं। हैदराबाद हाउस में विभागों के कक्ष तो तैयार किए गए, लेकिन अधिकारी नहीं होने से कार्यालय सूने पड़े हैं। यही स्थिति विधानसभा और विधानपरिषद के प्रश्नोत्तर और ध्यानाकर्षण (लक्षवेधी) कक्ष के हैं। विभागों के मंत्री नहीं होने से न प्रश्नोत्तर के जवाब तय हुए और न ध्यानाकर्षण प्रस्ताव है। प्रश्नोत्तर व ध्यानाकर्षण शाखा कक्ष भी नहीं पहुंचा है। ऐसे में अन्य विभागों के पास भी फिलहाल कोई काम नहीं है। विशेष यह कि विभागों का बंटवारा नहीं होने से मंत्रियों के केबिन भी बिना नामफलक के सजे हुए है। अगर अधिवेशन से पहले मंत्रियों को विभागों का बंटवारा नहीं होता है तो शायद इतिहास में यह पहला अधिवेशन होगा, जिसे बिना विभागों के मंत्रिया का अधिवेशन कहा जाएगा।
विभागों का नहीं हुआ बंटवारा
प्रशासन में करीब 42 विभाग हैं। 28 नवंबर को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ छह मंत्रियों ने शपथ ली थी। लेकिन इन सभी छह मंत्रियों को अभी तक विभागों का बंटवारा नहीं किया गया है और न मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ है। सभी विभाग मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पास हैं। नागपुर अधिवेशन करीब आ चुका है, फिर भी किसी मंत्री के पास विभाग नहीं है। इसका सीधा असर विधानमंडल के नागपुर अधिवेशन पर हो रहा है। विभागों की तैयारियां प्रभावित हुई हैं। प्रश्न नहीं आने से विभागों ने अभी तक किसी भी मुद्दे पर अपनी रिपोर्ट या जवाब तक तैयार नहीं किए हैं। बस, नियमित कामकाज चल रहा है। सरकार बनने में एक महीने से अधिक का समय लगने से विधायकों को भी प्रश्न पूछने के लिए समय कम पड़ गया है। ऐसे में सभागृह के अंदर समय पर पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या अधिक रहने की संभावना जताई गई है। इसके लिए विधायक विविध आयुधों का इस्तेमाल करेंगे। फिलहाल विदर्भ के लिहाज से यह अधिवेशन काफी महत्वपूर्ण होता है।
कौन लेगा जिम्मेदारी
विदर्भ के सभी जिलों से नागरिक अपनी-अपनी समस्याएं लेकर नागपुर पहुंचते हैं। कोई धरना-आंदोलन के जरिये सरकार का ध्यान आकर्षित करता है, तो कोई मोर्चे निकालकर सरकार से गुहार लगाता है। विशेष यह कि संबंधित विभागों के मंत्री आंदोलनकारियों के सामने जाकर उन्हें सरकार की ओर से आश्वासन देते हैं। मंत्री खुद जाने से आंदोलनकारियों को भी एक उम्मीद बंधती है कि उनके संघर्ष को सकारात्मक प्रतिसाद मिला है। लेकिन मंत्रियों के पास विभाग ही नहीं होने से मंत्रियों के सामने भी प्रश्न उपस्थित हो रहे हैं। सवाल किया जा रहा है कि क्या सभी प्रश्नों के जवाब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे अकेले देंगे या फिर पूर्व की सरकार पर इसकी जिम्मेदारी डालेंगे। खुद अधिकारी भी इसे लेकर असमंजस की स्थिति में हैं।
Created On :   10 Dec 2019 2:11 PM IST