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नाबालिग का आईक्यू वयस्क जैसा, बालिग मानकर ही चलेगा ट्रायल
डिजिटल डेस्क, नागपुर. हत्या के मामले में आरोपी एक नाबालिग युवक को वयस्क मान कर ही ट्रायल कोर्ट में मुकदमा चलेगा। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने यह फैसला दिया है। यह घटना 15 दिसंबर 2017 की है। इस नाबालिग आरोपी ने अपने दो साथियों के साथ मिल कर वर्धा में कुछ लोगों पर हमला कर दिया था। इसमें से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई, तो अन्य दो गंभीर रूप से घायल हो गए थे। मामले में पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भादंवि 302, 307, 201, 34 और आर्म्स एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। मामले में आरोपी की जन्म तारीख 10 फरवरी 2000 है, लिहाजा घटना के वक्त उसकी उम्र 17 वर्ष 10 महीने की थी। ^इस मामले में आरोपी नाबालिग जुविनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 2(12) के तहत "बच्चे" की श्रेणी में आता है, लेकिन उसकी उम्र 16 वर्ष से अधिक होने और उसके अपराध की गंभीरता को देखते हुए बाल न्यायालय के प्रधान मजिस्ट्रेट ने उसकी मानसिक और शारीरिक जांच करवाने का आदेश दिया। अदालत यह जानना चाहती थी कि क्या आरोपी शारीरिक रूप से यह अपराध करने में सक्षम था और क्या वह अपनी करतूत का प्रभाव समझ पाने की मानसिक क्षमता रखता था? वर्धा में मनोचिकित्सकों ने आरोपी की जांच की और पाया कि आरोपी का "आईक्यू" वयस्कों जैसा है। इस रिपोर्ट के आधार पर प्रधान मजिस्ट्रेट ने फैसला लिया कि आरोपी का मुकदमा एक वयस्क के रूप में बाल न्यायालय के सामने चलना चाहिए। आरोपी ने इस फैसले को पहले वर्धा के अतिरिक्त सत्र न्यायालय में चुनौती दी, 19 जनवरी 2022 को वहां से याचिका खारिज होने के बाद हाईकोर्ट की शरण ली।
सोच समझकर किया था अपराध
हाईकोर्ट में उसके वकील की दलील थी कि आरोपी के अपराध को "गंभीर अपराध" नहीं माना जा सकता, लेकिन हाईकोर्ट ने मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद माना कि इस मामले में दिख रहा है कि आरोपी ने अपने साथियों के साथ मिल कर समान मंशा और सोची-समझी योजना के तहत इस घटना को अंजाम दिया। ऐसे में उसका अपराध गंभीर नहीं है, इस दलील में कोई दम नहीं है। हाईकोर्ट ने प्रधान मजिस्ट्रेट के आदेश को सही मान कर आरोपी की याचिका खारिज कर दी।
Created On :   24 Jun 2022 8:00 PM IST