MLA उठाएंगे सत्र का मजा, कहीं माानसून ना बन जाए सजा

MLAs of maharashtra will take fun of the monsoon session first time
MLA उठाएंगे सत्र का मजा, कहीं माानसून ना बन जाए सजा
MLA उठाएंगे सत्र का मजा, कहीं माानसून ना बन जाए सजा

नीरज दुबे,नागपुर। मानसून सत्र उपराजधानी में कराने की तिथि घोषित हो चुकी है। पहली बार राज्य का मानसून सत्र यहां होने जा रहा है। बारिश के दौरान होने वाले सत्र के दौरान कामकाज का मजा जहां MLA उठाएंगे वहीं मानसून के दौरान व्यवस्था की कमान संभालना प्रशासन के लिए किसी सजा से कम नहीं होगा।  सरकार ने 4 जुलाई से होने वाले सत्र को लेकर की जाने वाली तैयारी के बारे में प्रशासन से जानकारी मांगी है। हालांकि बारिश में सत्र कराना इतना आसान नहीं है। बारिश में शहर की व्यवस्था तो दूर, विधानभवन तक में इंतजाम नाकाफी होते हैं। इसके अलावा विधानभवन के ही पिछले हिस्से में बन रही सड़क के चलते ड्रेनेज व्यवस्था पूरी तरह से बंद है। आमतौर पर कुछ घंटों में 60 से 90 एमएम बारिश होने पर विधानभवन परिसर में ही जलजमाव की स्थिति बन जाती है। इसके अलावा विधानमंडल की हेरिटेज इमारत की छतों से पानी भी टपक सकता है। यही नहीं उपराजधानी के कई हिस्सों और विदर्भ में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए प्रशासन की राह को आसान नहीं माना जा सकता है। पुलिस व्यवस्था, सिंचाई और राजस्व जैसे महत्वपूर्ण प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी भी सरकार के कदम को प्रासंगिक नहीं मान रहे हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य के गठन के बाद से ही विधानमंडल का शीतसत्र नागपुर में हो रहा है लेकिन इस बार मानसून सत्र को उपराजधानी में होने जा रहा है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मुंबई स्थित विधायक निवास मनोरा का पुनर्निर्माण हो रहा है।

बन सकती है बाढ़ जैसी स्थिति

बरसात के दिनों में अब तक विधानभवन परिसर बंद रहने से देखभाल में ज्यादा दिक्कतें नहीं होती हैं। अलग-अलग स्थानों पर जमा पानी को पिछले हिस्से में निकालने के लिए मजदूर लगाए जाते हैं। इस हिस्से में ही करीब 150 अासन क्षमता की कैंटीन और 80 सदस्यों की बैठक व्यवस्था वाला ग्रंथालय, 15 राजनीतिक दलों के दफ्तर, बीएसएनएल, पोस्ट ऑफिस कार्यालय और अस्थायी बैंक की इमारत है। विधानमंडल के पिछले हिस्से में मौजूद इन इमारतों की जमीन सतह से काफी नीचे है, ऐसे में विधानमंडल की छतों और अन्य हिस्सों से आने वाले बरसात के पानी की निकासी में समय लगता है। तीन साल पहले इस हिस्से में 1 फीट गहरी नालियां भी बनाई गई थीं, लेकिन पर्याप्त सफाई और दुरुस्ती के अभाव में इससे तेजी से पानी के बाहर जाने की संभावना नहीं है। इतना ही नहीं इन नालियों का आगे विस्तार अन्न एवं खाद्य आपूर्ति विभाग के गोदाम के समीप होता है, लेकिन सीमेंट रास्तों के निर्माणकार्य और पेंविंग ब्लॉक लगाने के कारण  इस जगह पर नाला बंद हो चुका है। लगातार तीन घंटों में 60 से 90 मिमी की बरसात होने पर बाढ़ की जैसी स्थिति निर्माण हो सकती है। लोकनिर्माण विभाग द्वारा विधानमंडल परिसर की देखभाल के लिए सहायक अभियंता के नेतृत्व में 8 कर्मचारी और मजदूर लगाए जाते हैं, लेकिन अधिवेशन काल में तीन शिफ्ट में 60 कर्मचारियों और मजदूरों की व्यवस्था करने पर भी स्थिति से आसानी से नहीं निपटा जा सकेगा।


 
 

Created On :   16 April 2018 4:18 PM IST

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