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मोबाइल ने बदला ट्रैंड, फोटोग्राफी भी एेसी की बस बोल उठे तस्वीर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मोबाइल कैमरे ने फोटोग्राफी का स्टाइल बदल दिया है। जो कुछ भी मन में आता है, बस कैद कर लिया जाता है। कैमरे पहले की तरह कॉम्पलिकेटेड नहीं रह गए हैं। आजकल हर किसी के पास मोबाइल कैमरा है, जिससे सेल्फी खींचने के साथ ही हर एक चीज को कैमरे में कैद किया जा रहा है। अपनी मनचाही हर चीज कैमरे में कर ली जाती है, पर हाथ में कैमरा होने का मतलब ये नहीं कि कैसी भी फोटो खींच लें। इसके लिए फोटोग्राफी की समझ होना जरूरी है। भले ही नए-नए तरह के कैमरे आ गए हैं, पर मोबाइल कैमरे का क्रेज युवाओं से लेकर हर वर्ग में है। वर्ल्ड फोटोग्राफी-डे पर शहर के युवा फोटोग्राफर्स से चर्चा के दौरान उन्हाेंने फोटोग्राफी के टिप्स और किस तरह से फोटोग्राफी करना बेहतर है, इस बारे में जानकारी दी।
फोटोग्राफी के लिए विजन जरूरी
फोटोग्राफर वैष्णवी गुज्जेवार का कहना है कि आज भले ही लोग महंगे कैमरे खरीद लेते हैं पर फोटोग्राफी करना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। मोबाइल कैमरा चलाने के लिए भी समझ होनी चाहिए। एक बेहतर फोटो खींचने के लिए विजन, सब्जेक्ट, लाइटिंग के साथ अन्य बहुत सारी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। पहले रोल वाले कैमरों का चलन था, पर टेक्नोलॉजी में बदलाव आया और आज हर तरह के कैमरे मार्केट में मौजूद हैं। एक अच्छी फोटो लेने का प्रयास सभी करते हैं। जब मोबाइल कैमरे से तस्वीर सही नहीं आती है, तो फोटोग्राफर की कद्र बढ़ जाती है। मैंने क्रूज पर फोटोग्राफी की है, वो फोटोग्राफी का भी अलग तरीका है जो कि आसान नहीं है।
नेट से भी मिलती है जानकारी
फोटोग्राफर रोहित खरे के मुताबिक आजकल युवा की सुबह और रात नेट से ही होती है। नेट से उन्हें हर तरह की जानकारी मिलती है साथ ही कई टिप्स भी सीखने को मिलती है। कोई भी कैमरा हो, जब तक ऑब्जेक्ट और लाइट सहीं नहीं होगी, तब तक फोटो अच्छी नहीं आ सकती है। अब फोटोशाॅप की तकनीक से फोटो में सुधार किया जा सकता है। नेट पर कई ऐसे एेप्स मौजूद हैं, जो बेस्ट फोटोग्राफी के तरीके समझाते हैं। हम युवा नेट से टिप्स लेकर फोटोग्राफी को अलग ही आयाम देना चाहते हैं।
विचार होने से हाेती है अच्छी फोटोग्राफी
आवंती आर्या का कहना है कि फोटोग्राफर को हर समय कैमरा साथ में रखना चाहिए, साथ ही पूरे समय उसके दिमाग में विचार होने चाहिए। वो जिस भी चीज को देखे, उसके मन में यही विचार आए कि इसी कैसे फोटोग्राफी की जा सकती है। असल चित्र में तकनीकी रूप में कितना ही अच्छा क्यों न हो, वह तब तक अच्छी नहीं हो सकती है, जब तक उसमें विचार न हो। जिस तरह एक पेंटिंग हजार शब्दों के बराबर होती है, उसी तरह फोटोग्राफी में भी ऐसी ही होनी चाहिए। व्यक्ति फोटो देखते ही उस पर अपने विचार प्रस्तुत कर सके, फोटोग्राफर को उसे समझाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।
Created On :   19 Aug 2018 4:47 PM IST