राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो भाजपा उन मतदाताओं को अपने पाले में समेटने की रणनीति में सफल नहीं हो पायी है जो 2014 के चुनाव में कांग्रेस के विरोध में गए थे। बसपा उम्मीदवार मोहन गायकवाड़ ने 96,433 व आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार अंजली दमानिया ने 69,081 वोट पाए थे। उन दोनों उम्मीदवारों को मिले वोट 1,65,511 के विभाजन के लिए कई बार रणनीति विचार मंथन भी हुआ। लेकिन मत विभाजन नहीं हो पाया। इस बार आम आदमी पार्टी की भूमिका में वंचित आघाडी थी। बसपा व वंचित आघाडी के उम्मीदवार 60 हजार तक भी वोट नहीं ले पाए। विभाजन नहीं हो पाने के कारण 1,65,511 वोटों का लाभ सीधे कांग्रेस को मिला। यह वोट भाजपा के जीत के अंतर को भी कम कर गया। राजनीतिक जानकार के अनुसार भाजपा ने इस बार पिछले चुनावों की तुलना में काफी वोट लिए है। 2014 में 10.84 लाख मतों में से 5.87 लाख मत भाजपा को मिले थे। भाजपा को मिला मत प्रतिशतांक 54 था। इस बार 11.82 लाख मतदान में से 6.60 लाख यानी 56 प्रतिशत मतदान भाजपा को मिला है। 73 हजार मतों की बढ़ोतरी हुई है। भाजपा के विरोध में जानेवाले परपंरागत मतों का विभाजन नहीं हो पाने से ही भाजपा की जीत का अंतर 2.85 लाख से घटकर 2.16 लाख हुआ है। भाजपा के चुनाव प्रमुख रहे सुधाकर देशमुख कहते हैं कि सीधे मुकाबले में इस तरह की स्थिति बन जाती है। लेकिन भाजपा की हर स्तर पर बढ़त है। अब तक नागपुर लोकसभा के लिए किसी उम्मीदवार को जितने वोट नहीं मिले उतने इस बार मिले है। 2009 व उससे पहले के चुनावों को देखा जाए तो कांग्रेस उम्मीदवार 3.02 लाख से लेकर 4.84 लाख वोट ही ले पाए हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अतुल लोंढे कहते हैं कि इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देशभर में जनाधार मिला है। स्थानीय विषयों का महत्व नहीं रहा है। ऐसे में नागपुर में भाजपा की लीड कम होना निश्चित ही कांग्रेस के परंपरागत जनाधार का परिणाम है। पिछले 4 चुनावों की तुलना में इस बार कि खासियत रही है कि बसपा को पूरी तरह से नागपुर में नकार दिया गया है।
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दैनिक भास्कर हिंदी: कांग्रेस की झोली से खिसके वोटों ने रोकी भाजपा की लीड, बसपा से जमाल निलंबित
डिजिटल डेस्क, नागपुर। इस चुनाव में कांग्रेस की झोली से खिसके वोटों ने भाजपा की लीड रोक ली। जीतना तय है, केवल यह तय होना बाकी है कि जीत का अंतर कितना होगा। पहले 3 लाख के करीब से जीते थे। अब 5 लाख के पार तक पहुंचेंगे। नागपुर में लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के ज्यादातर पदाधिकारियों का यह दावा था। जनचर्चा में भी भाजपा की जीत पर अधिक शक नहीं किया जाता रहा। कांग्रेस की चुनौती खड़े करने की कोशिश व दावों को मुंगेरीलाल के हसीन सपने तक कहा गया। मतपेटी खुली। आरंभ से ही भाजपा आगे रही। लेकिन जीत का अंतर पहले के रिकार्ड तक नहीं पहुंच पाया। पराजित व परास्त कांग्रेस यह तो कह ही सकती है कि जीत का अंतर नहीं बढ़ने देने के दावे पर वह सफल रही है। जातिवाद की राजनीति के आरोप के साथ कांग्रेस के हर दावे को कुछ भाजपाई यूं ही जवाब भी दे सकते हैं। लेकिन भाजपा के ही कुछ लोग खुले मन से स्वीकार रहे हैं कि जीत का अंतर अपेक्षा से कम रहा है। मत विभाजन की रणनीति व संभावना पर एक तरह से पानी फिरा है। 2014 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार नितीन गडकरी ने 2 लाख 85 हजार मतों के अंतर से जीत पायी थी। उनके मुकाबले में कांग्रेस के 4 बार चुने गए लोकसभा सदस्य थे। उम्मीदवार के तौर पर गडकरी का वह पहला लोकसभा चुनाव था। इस बार गडकरी के विरोध का कोई कारण भी नहीं दिखता था। लोकसभा में पहुंचने के बाद उन्होंने विकास की राजनीति के मामले में देश में खास पहचान बनायी है। केंद्र सरकार के निर्णायक लोगों की पंक्ति में वे शामिल है। नागपुर में 70 हजार करोड़ के विकास कार्य के अलावा विविध मामलों में उनके कार्य की चर्चा होती रहती है। जननेता की छवि भी बनी है। ऐसे में भी इस बार उनका जीत का अंतर केवल 2.16 लाख तक रह गया है।


उधर लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार रहे मोहम्मद जमाल को बसपा ने पार्टी से निलंबित कर दिया है। आरोप है कि लोकसभा चुनाव में जमाल ने पार्टी विरोधी कार्य किया। नागपुर में बसपा के चुनाव प्रभारी रहे नागोराव जयकर को भी निलंबित कर दिया गया है। इनके अलावा सोलापुर के पार्टी उम्मीदवार राहुल सरोदे, औरंगाबाद के जिलाध्यक्ष महेंद्र सोनवणे व नगरसेवक आनंदा चंदनशिवे का निलंबित कर दिया गया है। जारी पत्र में कहा गया है कि पार्टी के प्रदेश प्रभारी अशोक सिद्धार्थ व प्रमोद रैना के आदेश पर यह कार्रवाई की जा रही है। गौरतलब है कि मोहम्मद जमाल बसपा के नगरसेवक भी हैं। पार्टी सूत्र के अनुसार चुनाव के दौरान जमाल व जयकर सहित अन्य कुछ पदाधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। जमाल उम्मीदवार होते हुए भी अन्य दल के नेताओं के संपर्क में थे। जयकर के सहयोग से वे ऐसे कार्य किए जा रहे थे तो संगठन विरोधी है। हालांकि पार्टी की ओर से फिलहाल इन पदाधिकारियों की पार्टी विरोधी गतिविधियों का खुलासा नहीं किया गया है। लेकिन सूत्र बताते हैं कि चुनाव के दौरान प्रदेश स्तर के पदाधिकारियों से भी समन्वय के साथ काम नहीं करने के कारण इन पदाधिकारियों की शिकायत पार्टी प्रमुख से भी की गई। जयकर बसपा के जिलाध्यक्ष भी रहे हैं। यह भी बताया जा रहा है कि नागपुर व अमरावती के मामले में कुछ पदाधिकारियों में मतभेद था। चुनाव के दौरान आर्थिक लेनदेन को लेकर भी शिकायतें की जा रही थी। अमरावती के मामले में प्रदेश प्रभारियों की शिकायत की गई। जिसमें अंदरुनी तौर पर आरोप लगाए गए कि नागपुर के कुछ पदाधिकारी जानबूझकर मतभेद को बढ़ावा दिए जा रहे हैं। एक दल के बड़े नेताओं के साथ बसपा के कुछ पदाधिकारियों की अलग अलग बैठक भी चर्चा में रही। इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया के लिए बसपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश साखरे से फोन पर संपर्क का प्रयास किया गया। लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

बात नागपुर मध्य की करें तो, आंतरिक सर्वे में मध्य नागपुर में प्रतिकुल हालात होने की रिपाेर्ट के बावजूद भाजपा ने मध्य नागपुर में जबरदस्त सुधार करते हुए कांग्रेस प्रत्याशी पर बढ़त 22497 वोटों की बढ़त बनाई। हलबा बहुल मध्य नागपुर में हलबा के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर है। भाजपा ने उत्तर नागपुर छोड़ बाकी सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त कायम रखी। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले भाजपा ने शहर के मतदाताओं का मन टटोलने के लिए आंतरिक सर्वे किया था। सर्वे में मध्य नागपुर व उत्तर नागपुर भाजपा के लिए प्रतिकुल बताया गया था। दक्षिण-पश्चिम, पूर्व, पश्चिम व दक्षिण नागपुर को पार्टी के लिए अनुकुल बताया गया था। सर्वे की रिपोर्ट के बाद भाजपा ने मध्य व उत्तर नागपुर में विशेष ध्यान दिया। हलबा बहुल मध्य नागपुर में हलबा समाज की नाराजी खुलकर दिखाई दे रही थी। गल्ली से दिल्ली तक भाजपा की सरकार होने के बावजूद हलबा समाज के लोगों की नौकरी जाने व जाति प्रमाणपत्र नहीं मिलने का मुद्दा यहां चरम पर था। 70 फीसदी से ज्यादा लोग भाजपा के खिलाफ सुर मिला रहे थे। इसके बाद यहां सबसे ज्यादा तादाद मुस्लिमों की है। गडकरी के नाम पर जितने वोट मिल जाए, इसी से पार्टी को संतुष्ट रहने की मजबूरी थी। भाजपा ने घर-घर जाकर हलबा समाज से संपर्क किया। केंद्रीय मंत्री गडकरी खुद हलबा बहुल इलाके में घुमे आैर वोट मांगे। किसी चीज की यहां कमी नहीं होने दी। 23 मई को जो नतीजे आए, उसमें मध्य नागपुर से भाजपा को 96346 आैर कांग्रेस को 73849 वोट मिले। यानी भाजपा ने यहां कांग्रेस पर 22497 वोट की बढ़त बनाई। हालांकि उत्तर नागपुर से भाजपा को कांग्रेस की अपेक्षा 8910 वोट कम मिले। उत्तर नागपुर दलित बहुल एरिया है। भाजपा को यहां 87781 और कांग्रेस के नाना पटोले को 96691 वोट मिले। आंतरिक सर्वे में यहां 25 हजार वोटों के नुकसान का अनुमान बताया जा रहा था। भाजपा ने वोटों के नुकसान को कम जरूर किया। बाकी बची चार विधान सभा क्षेत्र दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम, पूर्व व दक्षिण नागपुर में भाजपा को जबरदस्त बढ़त मिली। मध्य व उत्तर नागपुर आगामी विधान सभा में भाजपा के लिए सिरदर्द बन सकता है। यहां अभी भाजपा के विधायक है।
स्वास्थ्य योजना: आरोग्य संजीवनी पॉलिसी खरीदने के 6 फ़ायदे
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आरोग्य संजीवनी नीति का उपयोग निस्संदेह कोई भी व्यक्ति कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह बिल्कुल सस्ती है और फिर भी आवेदकों के लिए कई गुण प्रदान करती है। यह रुपये से लेकर चिकित्सा व्यय को कवर करने में सक्षम है। 5 लाख से 10 लाख। साथ ही, आप लचीले तंत्र के साथ अपनी सुविधा के आधार पर प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं। आप ऑफ़लाइन संस्थानों की यात्रा किए बिना पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन कर सकते हैं। आरोग्य संजीवनी नीति सामान्य के साथ-साथ नए जमाने की उपचार सेवाओं को भी कवर करने के लिए लागू है। इसलिए, यह निस्संदेह आज की सबसे अच्छी स्वास्थ्य योजनाओं में से एक है।
• लचीला
लचीलापन एक बहुत ही बेहतर पहलू है जिसकी किसी भी प्रकार की बाजार संरचना में मांग की जाती है। आरोग्य संजीवनी पॉलिसी ग्राहक को अत्यधिक लचीलापन प्रदान करती है। व्यक्ति अपने लचीलेपन के आधार पर प्रीमियम का भुगतान कर सकता है। इसके अलावा, ग्राहक पॉलिसी के कवरेज को विभिन्न पारिवारिक संबंधों तक बढ़ा सकता है।
• नो-क्लेम बोनस
यदि आप पॉलिसी अवधि के दौरान कोई दावा नहीं करते हैं तो आरोग्य संजीवनी पॉलिसी नो-क्लेम बोनस की सुविधा देती है। उस स्थिति में यह बोनस आपके लिए 5% तक बढ़ा दिया जाता है। आपके द्वारा बनाया गया पॉलिसी प्रीमियम यहां आधार के रूप में कार्य करता है और इसके ऊपर यह बोनस छूट के रूप में उपलब्ध है।
• सादगी
ग्राहक के लिए आरोग्य संजीवनी पॉलिसी को संभालना बहुत आसान है। इसमें समान कवरेज शामिल है और इसमें ग्राहक के अनुकूल विशेषताएं हैं। इस पॉलिसी के नियम और शर्तों को समझने में आपको ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ेगी। इससे पॉलिसी खरीदना आसान काम हो जाता है।
• अक्षय
आरोग्य संजीवनी स्वास्थ्य नीति की वैधता अवधि 1 वर्ष है। इसलिए, यह आपके लिए अपनी पसंद का निर्णय लेने के लिए विभिन्न विकल्प खोलता है। आप या तो प्रीमियम का भुगतान कर सकते हैं या योजना को नवीनीकृत कर सकते हैं। अंत में, आप चाहें तो योजना को बंद भी कर सकते हैं।
• व्यापक कवरेज
यदि कोई व्यक्ति आरोग्य संजीवनी पॉलिसी के साथ खुद को पंजीकृत करता है तो वह लंबा कवरेज प्राप्त कर सकता है। यह वास्तव में स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों से संबंधित बहुत सारे खर्चों को कवर करता है। इसमें दंत चिकित्सा उपचार, अस्पताल में भर्ती होने के खर्च आदि शामिल हैं। अस्पताल में भर्ती होने से पहले से लेकर अस्पताल में भर्ती होने के बाद तक के सभी खर्च इस पॉलिसी द्वारा कवर किए जाते हैं। इसलिए, यह नीति कई प्रकार के चिकित्सा व्ययों के खिलाफ वित्तीय सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में एक समग्र दृष्टिकोण है।
• बजट के अनुकूल
आरोग्य संजीवनी स्वास्थ्य योजना एक व्यक्ति के लिए बिल्कुल सस्ती है। यदि आप सीमित कवरेज के लिए आवेदन करते हैं तो कीमत बिल्कुल वाजिब है। इसलिए, जरूरत पड़ने पर आप अपने लिए एक अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल का विकल्प प्राप्त कर सकते हैं।
निष्कर्ष
आरोग्य संजीवनी नीति समझने में बहुत ही सरल नीति है और उपरोक्त लाभों के अलावा अन्य लाभ भी प्रदान करती है। सभी सामान्य बीमा कंपनियां ग्राहकों को यह पॉलिसी सुविधा प्रदान करने के लिए बाध्य हैं। हालांकि, यह सरकार द्वारा प्रायोजित नहीं है और ग्राहक को इस पॉलिसी की सेवाएं प्राप्त करने के लिए भुगतान करना होगा। इसके अलावा, अगर वह स्वस्थ जीवन शैली का पालन करता है और उसे पहले से कोई मेडिकल समस्या नहीं है, तो उसे इस पॉलिसी को खरीदने से पहले मेडिकल टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। हालाँकि, इस नीति के लिए आवेदन करते समय केवल नीति निर्माताओं को ही सच्चाई का उत्तर देने का प्रयास करें।
SSC MTS Cut Off 2023: जानें SSC MTS Tier -1 कटऑफ और पिछले वर्ष का कटऑफ
डिजिटल डेस्क, भोपाल। कर्मचारी चयन आयोग (SSC) भारत में केंद्रीय सरकारी नौकरियों की मुख्य भर्तियों हेतु अधिसूचना तथा भर्तियों हेतु परीक्षा का आयोजन करता रहा है। हाल ही में एसएससी ने SSC MTS और हवलदार के लिए अधिसूचना जारी किया है तथा इस भर्ती हेतु ऑनलाइन आवेदन भी 18 जनवरी 2023 से शुरू हो चुके हैं और यह ऑनलाइन आवेदन 17 फरवरी 2023 तक जारी रहने वाला है। आवेदन के बाद परीक्षा होगी तथा उसके बाद सरकारी रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा।
एसएससी एमटीएस भर्ती हेतु परीक्षा दो चरणों (टियर-1 और टियर-2) में आयोग के द्वारा आयोजित की जाती है। इस वर्ष आयोग ने Sarkari Job एसएससी एमटीएस भर्ती के तहत कुल 12523 पदों (हवलदार हेतु 529 पद) पर अधिसूचना जारी किया है लेकिन आयोग के द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार भर्ती संख्या अभी अनिश्चित मानी जा सकती है। आयोग के द्वारा एसएससी एमटीएस भर्ती टियर -1 परीक्षा अप्रैल 2023 में आयोजित की जा सकती है और इस भर्ती परीक्षा हेतु SSC MTS Syllabus भी जारी कर दिया गया है।
SSC MTS Tier 1 Cut Off 2023 क्या रह सकता है?
एसएससी एमटीएस कटऑफ को पदों की संख्या तथा आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की संख्या प्रभवित करती रही है। पिछले वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष भर्ती पदों में वृद्धि की गई है और संभवतः इस वर्ष आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है तथा इन कारणों से SSC MTS Cut Off 2023 बढ़ सकता है लेकिन यह उम्मीदवार के वर्ग तथा प्रदेश के ऊपर निर्भर करता है। हालांकि आयोग के द्वारा भर्ती पदों की संख्या अभी तक सुनिश्चित नहीं कि गई है।
SSC MTS Tier 1 Expected Cut Off 2023
हम आपको नीचे दिए गए टेबल के माध्यम से वर्ग के अनुसार SSC MTS Expected Cut Off 2023 के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं-
• वर्ग कटऑफ
• अनारक्षित 100-110
• ओबीसी 95 -100
• एससी 90-100
• एससी 80-87
• पुर्व सैनिक 40-50
• विकलांग 91-95
• श्रवण विकलांग 45-50
• नेत्रहीन 75-80
SSC MTS Cut Off 2023 – वर्ग के अनुसार पिछले वर्ष का कटऑफ
उम्मीदवार एसएससी एमटीएस भर्ती हेतु पिछले वर्षों के कटऑफ को देखकर SSC MTS Cut Off 2023 का अनुमान लगा सकते हैं। इसलिए हम आपको उम्मीदवार के वर्गों के अनुसार SSC MTS Previous Year cutoff के बारे में निम्नलिखित टेबल के माध्यम से बताने जा रहे हैं-
• वर्ग कटऑफ
• अनारक्षित 110.50
• ओबीसी 101
• एससी 100.50
• एससी 87
• पुर्व सैनिक 49.50
• विकलांग 93
• श्रवण विकलांग 49
• नेत्रहीन 76
SSC MTS के पदों का विवरण
इस भर्ती अभियान के तहत कुल 11994 मल्टीटास्किंग और 529 हवलदार के पदों को भरा जाएगा। योग्यता की बात करें तो MTS के लिए उम्मीदवार को भारत के किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से कक्षा 10वीं उत्तीर्ण होना चाहिए। इसके अलावा हवलदार के पद के लिए शैक्षणिक योग्यता यही है।
ऐसे में परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए यह बेहद ही जरूरी है, कि परीक्षा की तैयारी बेहतर ढंग से करें और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करें।
रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय: वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का पहला मैच रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने 4 रनों से जीत लिया
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के स्पोर्ट ऑफिसर श्री सतीश अहिरवार ने बताया कि राजस्थान के सीकर में वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का आज पहला मैच आरएनटीयू ने 4 रनों से जीत लिया। आज आरएनटीयू विरुद्ध जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के मध्य मुकाबला हुआ। आरएनटीयू ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। आरएनटीयू के बल्लेबाज अनुज ने 24 बॉल पर 20 रन, सागर ने 12 गेंद पर 17 रन और नवीन ने 17 गेंद पर 23 रन की मदद से 17 ओवर में 95 रन का लक्ष्य रखा। लक्ष्य का पीछा करने उतरी जीवाजी यूनिवर्सिटी की टीम निर्धारित 20 ओवर में 91 रन ही बना सकी। आरएनटीयू के गेंदबाज दीपक चौहान ने 4 ओवर में 14 रन देकर 3 विकेट, संजय मानिक ने 4 ओवर में 15 रन देकर 2 विकेट और विशाल ने 3 ओवर में 27 रन देकर 2 विकेट झटके। मैन ऑफ द मैच आरएनटीयू के दीपक चौहान को दिया गया। आरएनटीयू के टीम के कोच नितिन धवन और मैनेजर राहुल शिंदे की अगुवाई में टीम अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ब्रह्म प्रकाश पेठिया, कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने खिलाड़ियों को जीत की बधाई और अगले मैच की शुभकामनाएं दीं।