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उपराजधानी में 800 से अधिक अवैध मोबाइल टॉवर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराजधानी में जगह-जगह मोबाइल टॉवर लगाए गए हैं। मनपा प्रशासन की ओर से शहर में मोबाइल टॉवर की संख्या लगभग 800 बताई गई। शुरुआत में 3 वर्ष के लिए 425 टॉवर लगाने को मनपा ने अनुमति दी थी। इसकी समयावधि समाप्त हो चुकी है। यानी जितने भी टॉवर हैं, सभी अवैध हैं। अवैध टॉवर लगाने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई, यह सवाल सदस्यों ने उपस्थित किया। मनपा प्रशासन की ओर से जवाब दिया गया कि 29 जनवारी 2019 को एक वर्ष के लिए अस्थायी टॉवर लगाने का प्रस्ताव मंजूर किया गया था। इस प्रस्ताव के अनुसार कार्रवाई चल रही है। टॉवर लगाए जाने वाले प्रस्तावित निर्माणकार्य की अनुमति, परिसर के लोगों की सहमति तथा नियम के अनुसार अन्य बिंदुओं पर पड़ताल करने के बाद अनुमति दी जाएगी। इस विषय पर महापौर ने टॉवर की फ्रिक्वेंसी के मानवी जीवन पर होने वाले दुष्परिणाम से बचने के लिए उपाययोजना की दृष्टि से जिम्मेदारी निश्चित करने का सदन को आश्वस्त किया। सभी जोन के सहायक आयुक्तों से उनके कार्य क्षेत्र में लगाए गए टॉवरों की जानकारी 7 दिन के अंदर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।
शहर जलसंकट से जूझ रहा है। एक दिन बाद जलापूर्ति की जा रही है। वहीं लीकेज दुरुस्ती के नाम पर बार-बार शटडाउन किया जाता है। लीकेज से कितना पानी बर्बाद हुआ, इसकी जानकारी नगरसेविक आभा पांडे ने मांगी। उनके सवाल पर निश्चित आंकड़ा उपलब्ध नहीं होने का जवाब दिया गया। पांडे ने कहा कि कन्हान डब्ल्यूटीपी ट्रिपिंग के लिए कई बार जलापूर्ति बंद रखी जाती है। डब्ल्यूटीपी का रजिस्टर और प्रत्यक्ष आंकड़ों में काफी अंतर रहने का उन्होंने आरोप लगाया। महापौर ने लीकेज से बर्बाद होने वाले पानी के आंकड़े जुटाकर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। चर्चा में नेता प्रतिपक्ष तानाजी वनवे ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2012-2013 में 301 बार शटडाउन किया गया। सूचना अधिकार से प्राप्त आंकड़े उनके पास हैं। इस सवाल पर अधिकारियों ने बताया कि इसमें लीकेज मरम्मत के अलावा अन्य कारणों से भी शटडाउन किए जाने का उल्लेख है, परंतु शटडाउन के चलते कितना पानी व्यर्थ बह गया, इसका जवाब अधिकारी नहीं दे पाए।
Created On :   23 Aug 2019 4:15 PM IST