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मां पार्वती को बहन और भगवान शंकर को मानते हैं बहनोई

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। चौरागढ़ में स्थित महादेव मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बिंदु है। महाशिवरात्रि, कार्तिक पूर्णिमा सहित विविध पर्व त्यौहारों के अवसर पर यहां पर आस्था का सैलाब उमड़ता है। इसी तरह होली पर्व पर भी यहां पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। भक्तजन भगवान महादेव को गुलाल लगाने के बाद होली खेलने की शुरुआत करते हैं। महादेव पहाडिय़ों को भगवान शंकर का कैलाश पर्वत के बाद दूसरा घर माना जाता है। इन्हीं महादेव पहाडिय़ों में प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण पचमढ़ी की वादियों में स्थित है महादेव मंदिर चौरागढ़। महाराष्ट्र के कुछ ग्रामीण अंचलों में मां पार्वती को बहन एवं भगवान शंकर को बहनोई माना जाता है। इसी के चलते होली पर महाराष्ट्र व मप्र के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान महादेव को गुलाल लगाने पहुंचते हैं।
महादेव पहाडिय़ों को माना जाता है दक्षिण का कैलाश पर्वत
मान्यता है कि महादेव पहाडिय़ों पर भगवान शंकर ने लीला रची थी। इसलिए महादेव पहाडिय़ों को महादेव का दूसरा घर और दक्षिण का कैलाश पर्वत माना जाता है। जानकारों के अनुसार महादेव पहाडिय़ां नर्मदा और ताप्ती नदियों के बीच स्थित हैं। सतपुड़ा अंचल के पचमढ़ी के साथ ही छिंदवाड़ा का हिस्सा भी महादेव पहाडिय़ों में आता है। इन्ही महादेव पहाडिय़ों पर समुद्र तल से करीब 4200 फीट की ऊंचाई पर स्थित है चौरागढ़ महादेव मंदिर।
इनका कहना है...
॥भगवान शंकर की नगरी चौरागढ़ में महाराष्ट्र वासियों का होली मनाने का सिलसिला बरसों पुराना है। हर वर्ष हजारों की संख्या में श्रद्धालु भगवान शंकर को गुलाल लगाकर ही होली का त्यौहार मनाने की शुरुआत करते हैं।
-राघवेंद्र वसूले, सदस्य हर हर महादेव सेवा समिति चौरागढ़
॥मैं पिछले 25 वर्षों से देख रहा हूं कि महाराष्ट्र के श्रद्धालु पचमढ़ी चौरागढ़ पहुंचकर सर्वप्रथम भोले शंकर को रंग गुलाल लगाकर होली की शुरुआत करते हैं। इस दौरान वे पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ भगवान शंकर के गीत गाते हुए अपनी यात्रा को पूरी करते हैं।
-इंद्रमोहन भीमनवार, सचिव
हर हर महादेव सेवा समिति चौरागढ़
॥हमें धुरेंडी के सप्ताह भर पहले से लगातार होली खेलने का आनंद लेते हुए भगवान शंकर के भक्तों को देखकर बेहद प्रसन्नता होती है कि वे भारतीय संस्कृति और परंपरा को आज भी श्रद्धा भक्ति भाव के साथ मनाते आ रहे हैं।
-नीलाद्री डेहरिया गोलू
Created On :   16 March 2022 11:33 PM IST