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आंदोलन - डेढ़ साल से चल रहा किसानों का धरना, मामला मुआवजा का

पुन: सर्वे कर प्रतिवेदन बनाने में लगे छह माह, अब अंतिम रिपोर्ट का हो रहा इंतजार
डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा/सौंसर। ग्राम नंदेवानी का मोहगांव जलाशय स्थल, गुरुवार को सुबह 8.30 बजे बड़ी संख्या में किसान यहां पहुंचे, एक घंटे धरना दिया और 9.30 बजे खेतों में काम पर लौट गए। यह सिलसिला बीते डेढ़ साल यानी 19 जनवरी 2020 से चल रहा है। किसानों की मांग है कि सर्वे में अनियमितता के कारण कम मिले मुआवजा का पुन: निर्धारण किया जाए।छह माह पहले उग्र धरना आंदोलन पर प्रशासन ने किसानों की मांगों पर पुन: सर्वे के निर्देश दिए थे। 8 विभागों को सर्वे कर रिपोर्ट तीन सप्ताह के भीतर देना था, इसके लिए छह माह लग गए। अब सिंचाई विभाग को अंतिम रिपोर्ट तैयार करना है। मुआवजा की पुन: निर्धारण प्रक्रिया को लेकर किसान संतुष्ट नहीं है। किसानों का कहना है कि सर्वे के आधार पर तैयार की गई समरी पर हमें भरोसा नहीं हैै। भू-अर्जन में संपत्ति के रिकार्ड में गड़बड़ी करने से किसानों का आर्थिक नुकसान हुआ है। प्रशासन किसानों से न्याय करेगा, इसकी उम्मीद कम ही है। बांध डूब क्षेत्र के 250 एवं अन्य संपत्ति विस्थापन के 100 किसानों को 27 करोड़ से अधिक मुआवजा पांच वर्ष पूर्व बंट चुका है। 83 करोड़ की लागत से बन रहे मोहगांव जलाशय से 10 गांवों में सिंचाई होगी, वहीं पांढुर्ना व मोहगांव नगर की जलआपूर्ति होना है। गौरतलब है कि आंदोलन में 194 किसान शामिल है, जिनकी छूटी हुई संपत्ति का उन्हें मुआवजा नहीं मिला है।
किसान गिना रहे गड़बड़ी
मुआवजा निर्धारण में प्रशासन स्तर पर कैसे गड़बड़ी की गई, की जानकारी किसान सामने ला रहे हंै। किसान प्रल्हाद गोहिते ने बताया कि भू-अर्जन के लिए हुए सर्वे में सिंचाई विभाग ने खेती की सिंचाई नदी के पानी से होना दिखाया है, जबकि किसानों के खेतों में कुएं और बोरवेल लगे हंै, इस का मुआवजा नहीं मिला। धनवत गोहिते बताते हंै कि उसके खेत में आठ फीट ऊंचे संतरे के पेड़ थे, विभाग ने इसे छोड़ देने से कम मुआवजा मिला। सूरज जलाल बताता हंै कि उसे मकान का मुआवजा नहीं दिया गया। पंछीलाल गजामे का खेत डूब क्षेत्र में आया है फिर भी उसे मुआवजा नहीं दिया गया। अमूमन यही स्थिति आंदोलनरत अन्य किसानों की है।
न्याय के लिए आंदोलन
किसान हर दिन बड़ी संख्या में नियमित रूप से आंदोलन स्थल पर पहुंच रहे हंै। राधेलाल मानमोड़े का कहना है कि हमें हमारा वास्तविक हक चाहिए, वह नहीं मिला, इसलिए आंदोलन कर रहे हैं। रामू उइके का कहना है कि प्रशासनिक अधिकारी विशेषत: सिंचाई विभाग की अनियमितता से उनका आर्थिक नुकसान हुआ है। अमित गजामे का कहना है कि मुआवजा कम बांटना पड़े, इसलिए जानबूझकर पहले सर्वे में कुछ संपत्तियां छोड़ दी गई।
इनका कहना है
भू-अर्जन यह प्रावधान है कि सर्वे में कोई संपत्ति छूट गई या अनियमित्ता हुई है तो उसे सुधारक मुआवजा दिया जाए। इसी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हंै।
सुदामा मानमोड़े, किसान
प्रशासन के निर्देश पर पुन: किए गए सर्वे की रिपोर्ट आ गई है। अब इसके आधार पर अंतिम सूची तैयार करने का काम चल रहा है।
नितेश साहू, एसडीओ सिंचाई विभाग
सिंचाई विभाग से सर्वें रिपोर्ट की अंतिम सूची प्राप्त होने के बाद उसे एसडीएम को सौंपी जाएगी। किसानों की मांग पर ही सर्वे कराया है। अब उन्हें आंदोलन खत्म करना चाहिए।
महेश अग्रवाल तहसीलदार
Created On :   5 Aug 2021 6:35 PM IST