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शिक्षा प्रणाली से हो स्टूडेंट्स का सर्वांगीण विकास - राज्यसभा सांसद अजय संचेती

डिजिटल डेस्क,नागपुर। राज्यसभा सांसद अजय संचेती ने कहा कि बच्चों का सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं बल्कि सर्वांगीण विकास वाली शिक्षा प्रणाली लागू होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वैसे तो संस्कार देने का काम माता-पिता करते हैं और शिक्षा देने का कार्य शिक्षक करते हैं। आनंद अच्छी पुस्तकें पढ़ने से, अच्छे व्यक्तियों से मिलने से मिलता है। आनंद मन का होता है। हमारे देश में भी आनंद का इंडेक्स होना चाहिए। अजय संचेती ने सोमवार को शहर के सिविल लाइंस स्थित चिटणवीस सेंटर में आयोजित छठवें अंतरराष्ट्रीय प्राचार्य सम्मेलन के उद्गाटन समारोह में यह बात कही। उन्होंने कहा कि, ऐसी शिक्षा पद्धति स्कूलों को अपनानी होगी जिसमें बच्चों का पूरा-पूरा विकास हो। इस वर्ष "जनरेटिंग हैपी माइंड्स-थॉट बिहाइंड एजुकेशन" कार्यक्रम की थीम रखी गई ।
अच्छे विचार विकसित करें
कार्यक्रम में उपस्थित सभी मान्यवरों ने इस अवसर पर अपने-अपने विचार रखे। कुछ ने शिक्षा क्षेत्र की खामियों की ओर ध्यान आकर्षित किया तो कुछ ने परिवर्तन की गुंजाइश बताई। विज्ञान भारती संस्था के सचिव जयंत सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि, आज अच्छे विचारों को विद्यार्थियों में विकसित करने की अत्यंत आवश्यकता है। यही विज्ञान का दृष्टिकोण है। मानसोपचार विशेषज्ञ एस. नीलकंठन ने कहा कि, आज आत्म निरीक्षण की भी आवश्यकता है। केवल व्यक्तिगत अच्छे कर्म और व्यक्ति का सामाजिक संबंध इसी से प्रत्येक व्यक्ति को आनंद मिल सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए आज पालकों को आवश्यक है कि वे अपने बच्चों को सकारात्मक विचार दें। विवेक सरन ने भी विचार व्यक्त किए। पहले दिन के सत्र समापन के दौरान, ‘की नोट’ पर आधारित प्रश्नों के ज्यादा से ज्यादा सही उत्तर देने वाले प्रतिनिधियों को पुरस्कृत किया गया। प्रस्तावना संयोजिका डाॅ. मृणालिनी दस्तुरे ने रखी। विशेष अतिथियों मंे राजेश घई तथा सी. पी. विश्वनाथ उपस्थित थे। सह संयोजिका रसिका कस्तुरे ने कार्यक्रम की सफलता के लिए अथक प्रयास किया। संयोजक देवेन दस्तुरे ने आभार माना।
Created On :   28 Nov 2017 11:47 AM IST