अब कूरियर सेवा से जुड़ेंगे मुंबई के डिब्बेवाले, 13 साल के बच्चे ने बदल दी सोच

Mumbai Dibbewala will join courier service, 13-year-old boy launched an APP-based service
अब कूरियर सेवा से जुड़ेंगे मुंबई के डिब्बेवाले, 13 साल के बच्चे ने बदल दी सोच
अब कूरियर सेवा से जुड़ेंगे मुंबई के डिब्बेवाले, 13 साल के बच्चे ने बदल दी सोच

डिजिटल डेस्क, मुंबई। नौकरीपेशा लोगों के दफ्तरों में भोजन पहुंचाने वाले डिब्बेवाले अब कूरियर सेवा के क्षेत्र में उतरेंगे। डिब्बेवालों ने मुंबई में कक्षा 8वीं में पढ़ने वाले 13 साल के तिलक मेहता द्वारा विकसित किए गए एप आधारित पेपर एन पार्सल कूरियर सेवा से जुड़ने का फैसला किया है। बुधवार को डिब्बेवालों की मौजूदगी में तिलक ने अपना एप को लॉच किया। पत्रकारों से बातचीत में मुंबई डिब्बा वाला एसोसिएशन के अध्यक्ष सुभाष तलेकर ने कहा कि हम लोग अतिरिक्त आमदनी के लिए कूरियर सेवा से जुड़े हैं। तलेकर ने कहा कि महानगर के डिब्बे वाले हर महीने 10 से 15 हजार रुपए कमाते हैं।

इतने कम पैसे में घर का खर्च चलाना मुश्किल होता है। इसलिए कई डिब्बे पार्टटाइम रिक्शा और घर-घर सुबह पेपर पहुंचाने का काम करते हैं। इसलिए हमने इन कामों के बजाय कूरियर सेवा से जुड़ने का फैसला किया है। जो डिब्बे वाले अपनी आय बढ़ाने चाहते हैं, वह इससे जुड़ सकते हैं। फिलहाल 300 डिब्बे वाले कूरियर सेवा से जुड़े हैं। तलेकर ने कहा कि हमें कूरियर सेवा के माध्यम से हर महीने लगभग 5 हजार रुपए अतिरिक्त पैसे मिलने की उम्मीद है। तलेकर ने कहा कि दोपहर में डिब्बे वाले अपना काम खत्म करने के बाद ही कूरियर सेवा का काम करेंगे।

पेपर एन पार्सल के संस्थापक तिलक मेहता ने कहा कि हमारी सेवा की विशेषता यह है कि कूरियर से भेजा जाने वाला सामान उसी दिन शाम को मिल जाएगा। कूरियर सेवा के लिए कम से 40 रुपए देने पड़ेंगे। अधिकतम 3 किलो के सामान को कूरियर के जरिए भेजा जा सकता है। इसके लिए पेपर एन पार्सल कूरियर सेवा का एप डाउनलोड करना पड़ेगा। एप में कूरियर भेजने की जानकारी देने के बाद हमारे प्रतिनिधि खुद घर आकर सामान ले जाएंगे। हर दिन दोपहर 2 बजे तक सामना भेजने के लिए पंजीयन करना पड़ेगा। जिसके बाद शाम 7 बजे तक सामना की डिलवरी हो जाएगी। तिलक ने बताया कि कूरियर सेवा में हमने करीब 200 लोगों को नियुक्ति की है। इसके अलावा डिब्बे वालों की मदद से यह सेवा चलाई जाएगी।

पेपर एन पार्सल के सीईओ घनश्याम पारेख ने कहा कि साल 2019 के आखिर तक कम से कम 1 लाख डिलवरी दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि कंपनी ने साल 2020 तक 100 करोड़ रुपए के टर्नओवर का लक्ष्य रखा है। पारेख ने कहा कि अगले छह महीने के बाद यह कूरियर सेवा दिल्ली सहित दूसरे मेट्रो शहरों में शुरू करने का विचार है।

ऐसे आया सेवा शुरू करने का विचार 

तिलक ने कहा कि एक दिन मैं अपने चाचा के घर पर गया हुआ था। वहां पर मैं अपनी किताब भूल गया। फिर मैं उस किताब को कूरियर के जरिए मंगाना चाहा तो वह काफी महंगा पड़ रहा था और उसी दिन नहीं मिल सकता था। इसके बाद मैंने मुंबई के डिब्बेवालों के बारे में सोचा। क्योंकि मुंबई के डिब्बे वाले सुबह में लोगों के घर से भोजन का डिब्बा लेकर जाते हैं और शाम को वापस घर में खाली डिब्बा पहुंचा देते हैं। इसको देखते हुए मैं मुंबई के डिब्बे वालों से मिला। उनके काम के तरीके को समझने के बाद कूरियर सेवा शुरू किया। तिलक के पिता विशाल मेहता एक लॉजिस्टिक कंपनी में चीफ एक्जक्यूटिव पद पर काम कर चुके हैं।

बाल मजदूरी के दायरे में नहीं आएगा

तिलक ने कहा कि मेरी उम्र 13 साल है लेकिन मुझे नहीं लगता है कि कूरियर सेवा का मेरा यह काम बाल मजूदरी के दायरे में आएगा। क्योंकि एप आधारित कूरियर सेवा शुरू करने का आइडिया ही मेरा है। मैंने खुद ही इसको विकसित किया है।

डिब्बे वालों में फूट 

मुंबई में डिब्बे वालों के कई संगठन कार्यरत हैं। लेकिन कूरियर सेवा के क्षेत्र से जुड़ने को लेकर डिब्बे वालों में मतभेद है। इस कारण अभी केवल डिब्बा वाला एसोसिएशन संगठन से जुड़े डिब्बे वाले कूरियर के काम के लिए तैयार हुए हैं। इस संगठन के अध्यक्ष तलेकर ने कहा कि यह काम ऐच्छिक है। हम लोगों ने जबरदस्ती नहीं की है। डिब्बे वाले अपने इच्छा के अनुसार फैसला ले सकते हैं। 
 

Created On :   18 July 2018 3:28 PM GMT

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