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फोन टैपिंग मामले में मुंबई पुलिस ने दर्ज किया देवेंद्र फडणवीस का बयान
डिजिटल डेस्क, मुंबई। फोन टैपिंग मामले में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने रविवार को पूर्व उपमुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस का बयान दर्ज किया। दक्षिण मुंबई के मलाबार हिला इलाके में स्थित फडणवीस के सरकारी आवास सागर पर एसीपी नितिन जाधव और पुलिस निरीक्षकों ने करीब दो धंटे फडणवीस से फोट टैपिंग से जुड़े मामले में सवालों के जवाब मांगे। इस दौरान बंगले के बाहर सुरक्षा के लिए बड़ी संख्या में पुलिसवालों को तैनात किया गया था।पूछताछ के बाद फडणवीस ने आरोप लगाया कि पुलिस मामले में उन्हें आरोपी बनाने की कोशिश कर रही है। रश्मी शुक्ला से जुड़े फोन टैपिंग मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने इससे पहले नोटिस भेजकर फडणवीस को बयान दर्ज करने साइबर पुलिस स्टेशन में बुलाया था लेकिन बाद में उन्हें कहा गया कि पुलिस बयान दर्ज करने उनके घर आएगी। मामले में मुंबई पुलिस की साइबर सेल ने पांच अज्ञात आरोपियों के खिलाफ अवैध रुप से फोन टैप करने और गोपनीय दस्तावेज लीक करने के मामले में ऑफीशियल सीक्रेट्स एक्ट, आईटी एक्ट और आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है। खुफिया विभाग की शिकायत के आधार पर यह एफआईआर दर्ज की गई है। एफआईआर दर्ज होने से पहले राज्य के तत्कालीन मुख्य सचिव रहे सीताराम कुंटे ने अपनी रिपोर्ट में आईपीएस अधिकारी रश्मी शुक्ला पर गोपनीय दस्तावेज लीक करने का आरोप लगाया था। शुक्ला पर खुफिया विभाग की प्रमुख रहते नाना पटोले, आशीष देशमुख, बच्चू कडू, संजय काकडे समेत कई नेताओं के फोन टैप करने का आरोप है।
आरोपी बनाने की हो रही कोशिश-फडणवीस
बयान दर्ज करने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने आरोप लगाया कि मामले में पुलिस ने उन्हें पहले जिन सवालों की सूची भेजी थी उससे अलग सवाल पूछे गए। फडणवीस ने कहा कि वे घोटाला सामने लाने वाले विसलब्लोवर हैं लेकिन पुलिस ने उनसे आरोपी की तरह सवाल पूछे। फडणवीस ने कहा कि उन्हें आरोपी बनाने की कोशिश की जा रही है। फडणवीस ने कहा कि मुंबई पुलिस की एक टीम मेरे पास आई थी। 30 मई 2021 को महाराष्ट्र में हुए तबादले घोटाले के कागजात मैंने गृहसचिव को सौंपा था। एक लिफाफा दिखाते हुए मीडिया को बताया था कि मेरे पास संवेदनशील दस्तावेज हैं महाराष्ट्र में करोड़ों रुपए का तबादला घोटाला हुआ है और इसके कागजात मैं केंद्रीय गृह सचिव को सौंप रहा हूं। इसी दिन मैंने वह दस्तावेज उन्हें सौंपा था। इससे बौखलाई सरकार ने अपराध दर्ज किया कि कागजात बाहर कैसे गए। इससे पहले मुझे सवालों की सूची भेजी गई थी वह एक गवाह के तौर पर था लेकिन जो टीम आई थी उसने जो सवाल पूछे उससे लगा कि मैंने ही गोपनीयता कानून का उल्लंघन किया और मैं ही आरोपी हूं। मैंने सारे सवालों के जवाब दिए और बताया कि मैंने कागजात प्रेस में नहीं दिए। राज्य सरकार छह महीने तक घोटाले की रिपोर्ट को दबाकर बैठी थी। मैने रिपोर्ट को बाहर निकाला, मामले में राज्य सरकार आरोपी थी इसलिए उसे रिपोर्ट नहीं सौंप सकता था साथ ही मामले में आईपीएस अधिकारियों के नाम थे जिनकी कांपिटेंट अथॉरिटी केंद्रीय गृह सचिव होता है इसलिए सारी चीजें उन्हें सौंपी। मैं विपक्ष का नेता हूं मुझे कानून के तहत संरक्षण मिला हुआ है लेकिन सामान्य नागरिक के तौर पर भी विसलब्लोवर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत मैं विसलब्लोवर हूं। अगर सरकार को और पुलिस को लगता है कि कोई गोपनीय दस्तावेज लीक हुए तो मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि मलिक ने पत्रकारों के सामने दस्तावेज पेश किए थे। मैं जिस तरह सरकार के मंत्री की दाऊद के रिश्तों को उजागर किया और विपक्ष के नेताओं को फंसाने की साजिश बाहर लाई इससे बौखलाई सरकार ने दबाव डालने के लिए नोटिस दिया लेकिन मैं किसी दबाव में नहीं आऊंगा।
Created On :   13 March 2022 8:03 PM IST