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मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे : टोल वसूली को लेकर सरकार को 6 सितंबर तक निर्णय लेने का निर्देश
डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे के टोल के मुद्दे पर 6 सितंबर तक निर्णय लेने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार अपने निर्णय में यह स्पष्ट करे कि वह एक्सप्रेस वे पर टोल बंद करना चाहती है या फिर सिर्फ हल्के वाहनों (लाइट मोटर वेहिकल) को टोल से छूट देना चाहती है अथवा टोल को जारी रखना चाहती है।
जस्टिस अभय ओक व जस्टिस रियाज छागला की बेंच ने कहा कि टोल के विषय में निर्णय लेते समय सरकार के इस विषय पर राज्य के पूर्व मुख्य सचिव सुमित मलिक की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट में दी गई सिफारिशों पर भी गौर करे और उस पर निर्णय ले। इसके साथ ही मुंबई-पुणे-एक्सप्रेस वे पर अब तक ठेकेदार ने कितना टोल वूसला है।
इसकी जानकारी भी महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास महामंडल सरकार के पास रखे। बेंच ने कहा कि यदि ठेकेदार ने टोल वसूली को लेकर हुए अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन किया है तो सरकार उसके खिलाफ कानून के मुताबित कार्रवाई करे। क्योंकि टोल के रुप में वसूले गए पैसो का दुरुपयोग न हो। यह देखना भी सरकार की जिम्मेदारी है।
मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे पर टोल वसूली पर रोक लगाने की मांग को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता प्रवीण वाटेगांवकर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिाक में मांग की गई है कि मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे पर म्हैसकर ऐंटरप्रायजेस प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए टोल वसूली के ठेके को रद्द किया जाए। क्योंकि ठेकेदारा ने अनुंबध के तहत मुंबई-पुणे एक्सप्रेस वे प्रोजेक्ट की लागत को वसूल लिया है। फिर भी वह 2030 तक टोल वसूल को जारी रखना चाहता है।
ठेकेदार के खिलाफ मामला नहीं बनता
इस बीच राज्य सरकार ने प्रकरण की जांच लेकर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की ओर से तैयार की गई रिपोर्ट भी बेंच के सामने पेश की। और यह स्पष्ट किया कि फिलहाल ठेकेदार के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए हम उसके खिलाफ मामला नहीं दर्ज करेगे।
Created On :   4 July 2018 1:10 PM GMT