जहां कभी बहती थी ज्ञान की गंगा, वहां अब असामाजिक तत्वों ने डाला डेरा, प्रशासन कुंभकर्णी नींद में

Municipal corporation school, anti social elements nagpur maharashtra
जहां कभी बहती थी ज्ञान की गंगा, वहां अब असामाजिक तत्वों ने डाला डेरा, प्रशासन कुंभकर्णी नींद में
जहां कभी बहती थी ज्ञान की गंगा, वहां अब असामाजिक तत्वों ने डाला डेरा, प्रशासन कुंभकर्णी नींद में

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  एक वक्त ऐसा था, जब शहर के मनपा स्कूल बच्चों से भरे नजर आते थे, लेकिन बदलता दौर कहें या लोगों की सोच, आज इन स्कूलों में गिने-चुने बच्चे भी नजर नहीं आते हैं। परिणामस्वरूप लंबे समय से शहर के कई स्कूल बंद पड़े हैं। इन स्कूलों पर किसी का कोई ध्यान नहीं है। या यूं कहा जाए जहां मिलता था ज्ञान, आज वहां नहीं है किसी का ध्यान। यह इमारतें न किसी कार्यालय के उपयोग में लायी गईं, न ही इसे ताला बंद कर रखा गया। इन इमारतों की हालत यह अत्यंत खराब हो गई है। ‘दैनिक भास्कर’ ने कुछ ऐसे ही बंद स्कूलों का जायजा लिया तो कहीं घोड़े बंधे मिले, तो कहीं असामाजिक तत्व का डेरा। यहां तक कि स्कूलों को लोगों ने पेशाबघर बना लिया है। बावजूद संबंधित प्रशासन का इस पर कोई ध्यान नहीं है। 

घोड़ों का अस्तबल बना दिया
प्रभाग क्र.-20 अंतर्गत बंगाली पंजा नामक परिसर में मराठी उच्च प्राथमिक शाला वर्षों से बंद अवस्था में है। कभी यहां पहली कक्षा से 7वीं तक बच्चे शिक्षा ग्रहण करते थे, लेकिन  बच्चों की कमी के चलते यह स्कूल बंद कर दिया गया। मनपा की उपेक्षा के कारण जर्जर हुई इस इमारत में परिसर में आज लोग घोड़े बांध रहे हैं। वहीं चारा आदि रखते हैं। इसके अलावा कई लोग आकर यहां बैठते हैं। इमारत की हालत इतनी खराब हो गई है कि, कभी-भी गिर सकती है। ऐसा लगता है, जैसे प्रशासन किसी अनहोनी राह देख रहा है। 
 
बालक मंदिर में दिन भर जुआ, रात में पार्टी 

पांचपावली अंतर्गत बालक मंदिर के हाल भी खराब है। यहां असामाजिक तत्वों को दिनभर जुआ खेलते हुए देखा जा सकता है। रात होते ही यहां शराब आदि की पार्टी चलती है। जिससे परिसर में रहने वाले लोग परेशान हैं। यहां अनहोनी की आशंका बन रही है। लष्करीबाग की मराठी प्राथमिक शाला में भी असामाजिक तत्वों का डेरा देखा जा सकता है। 

प्रशासन ने पलटकर  तक नहीं देखा 
जागनाथ बुधवारी परिसर में मराठी प्राथमिक शाला है। यह स्कूल बंद होने के बाद संबंधित विभाग ने यहां पलटकर तक नहीं देखा। आज यह स्कूल किसी खंडहर से कम नहीं है।  

स्कूल को बना दिया पेशाबघर 
वार्ड क्र.-66 अंतर्गत हंसापुरी में संत गुलाब बाबा उर्दू प्राथमिक शाला। इस स्कूल में कभी बच्चे पढ़ते थे। आज पांच साल से ज्यादा हो गए यह स्कूल बंद पड़ा है। इसका कोई रख-रखाव नहीं है। बंद होने के बाद प्रशासन ने यहां झांक कर तक नहीं देखा। स्कूल में ताला तक नहीं लगाया गया। पूरा स्कूल कचरे से भरा हुआ है। खिड़कियों की ग्रिल तक लोग चुरा कर ले गए हैं। आज इसे शरारती तत्वों ने अपना डेरा बना लिया है।  
 


 

Created On :   20 Nov 2019 12:46 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story