बांबे हाईकोर्ट ने कहा- गर्भपात के लिए मनपा अपने अस्पतालों में बनाए मेडिकल बोर्ड

Municipal Corporations should make medical board in hospitals - HC
बांबे हाईकोर्ट ने कहा- गर्भपात के लिए मनपा अपने अस्पतालों में बनाए मेडिकल बोर्ड
बांबे हाईकोर्ट ने कहा- गर्भपात के लिए मनपा अपने अस्पतालों में बनाए मेडिकल बोर्ड

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि 20 सप्ताह से अधिक समयावधि वाले भ्रूण के गर्भपात  मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर महानगरपालिकाएं अपने अस्पतालों में मेडिकल बोर्ड बनाने पर विचार करें। इससे सरकारी अस्पताल पर भी काम का बोझ कम होगा और गर्भपात के लिए आवेदन करनेवाली महिलाओं को भी राहत मिलेगी। फिलहाल मुंबई के केईएम व जेजे अस्पताल में 20 सप्ताह से अधिक के गर्भपात की सुविधा उपलब्ध है। 

न्यायमूर्ति अभय ओक व न्यायमूर्ति एमएस सोनक की खंडपीठ ने कहा कि यदि कोई महिला वसई व विरार इलाके में रहती है तो उसे मुंबई आना काफी मुश्किल है। इसलिए मुंबई मनपा अपने उपनगरीय अस्पताल में मेडिकल बोर्ड बनाने पर विचार करें। इसी तरह खंडपीठ ने पुणे महानगरपालिका को भी कहा कि वह भी अपने अस्पताल में इस तरह का बोर्ड बनाने पर विचार करे। क्योंकि कई बार हर जिले में मेडिकल बोर्ड के लिए लगनेवाले विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं होते हैं। इसलिए महानगरापलिकाएं अपने अस्पतालों में मेडिकल बोर्ड बनाने पर विचार करे।

खंडपीठ ने राज्य सरकार को इस विषय पर चर्चा करने के लिए संबंधित विभाग के लोगों की बैठक बुलाने को कहा है। इस दौरान मुंबई मनपा की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव चव्हाण ने कहा कि उन्हें इस मामले में जरुरी निर्देश लेने के लिए वक्त दिया जाए। इसके बाद खंडपीठ ने मामले की सुनवाई एक सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी। 

इस बीच खंडपीठ ने कहा कि दुष्कर्म का शिकार होने के चलते गर्भपात के लिए आनेवाली पीड़िताओं को मुआवजों की प्रक्रिया को असान बनाने के लिए पुलिस स्टेशन स्तर पर उनके फार्म भरने की व्यवस्था की जाए। खंडपीठ ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को इस संबंध में सभी पुलिस स्टेशनों को निर्देश जारी करने को कहा है। 
 

Created On :   4 Oct 2018 3:27 PM GMT

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