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57 प्लॉटों का ‘म्यूटेशन’ रद्द होने पर उड़ी प्लाट धारकों की नींद

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोराड़ी रोड मौजा भोखारा क्षेत्र में प्लाट खरीदने वाले प्लाट धारकों की नींद उड़ी हुई है। जमीन की खरीदी बिक्री में भारी भ्रष्टाचार उजागर होते ही 57प्लाटों का म्यूटशन रद्द कर दिया है। बता दें कि महालक्ष्मी हाउसिंग सोसायटी के जिन प्लॉटों को टाउन प्लानिंग अथाॅरिटी की मंजूरी नहीं थी, बावजूद इसके एक-एक कर 57 प्लॉटों का ‘म्यूटेशन’ हो गया। 58वां प्लॉटधारक इसी आधार पर ‘म्यूटेशन’ करवाने पहुंचा और समय पर नहीं होने संबंधी शिकायत की। इसकी जांच हुई तो पूरे मामले का खुलासा हुआ। इसके चलते अभी तक हुए 57 प्लॉटों का एक साथ ‘म्यूटेशन’ रद्द कर दिया गया। इस फैसले से प्लॉटधारकों में हड़कंप मचा हैै। उन्होंने फैसले के खिलाफ राज्य सूचना आयुक्त से गुहार लगाई है।
यह है पूरा मामला
कोराड़ी रोड मौजा भोखारा स्थित ईडन गार्डन के पीछे महालक्ष्मी हाउसिंग सोसायटी में करीब 90 प्लॉट हैं। यहां करीब 25 मकान हैं आैर अब तक 57 प्लॉटों का ‘म्यूटेशन’ हो चुका था। इस ‘म्यूटेशन’ के खिलाफ प्रज्ञाशील बोधिरत्न संविधान अधिकार संरक्षण परिषद ने 25 दिसंबर 2015 को जिला प्रशासन से शिकायत की थी। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन उपविभागीय अधिकारी ने सभी ‘म्यूटेशन’ रद्द करने का आदेश 2016 में तहसीलदार को दिया था। साथ ही इस पर सुनवाई लेकर संबंधितों का पक्ष जानने को भी कहा था। इस आदेश के अनुसार तहसीलदार नागपुर ग्रामीण ने प्लॉटधारकों को सुनवाई में बुलाया आैर उनका पक्ष जाना। इसके बाद सभी 57 ‘म्यूटेशन’ रद्द कर दिए। सुनवाई के दौरान मुख्य फोकस इस बात पर रहा कि नक्शा मंजूर नहीं है आैर टाउन प्लानिंग अथाॅरिटी की मंजूरी नहीं ली गई है। लिहाजा, तहसीलदार के इस फैसले को राज्य सूचना आयुक्त के पास चुनौती दी गई है। राज्य सूचना आयुक्त ने अपील मंजूर कर ली है। सुनवाई की तारीख तय नहीं हो सकी है।
खून-पसीने की कमाई से खरीदे प्लॉट
प्लॉट धारक श्यामसुंदर डहरवाल का कहना है कि सभी ने खून-पसीने की कमाई से प्लॉट खरीदे हैं। उन्होंने सवाल किया कि जब ले-आउट सही है आैर सभी की सेल डीड (बिक्री पत्र) सही है, तो ‘म्यूटेशन’ क्यों नहीं हो सकता। शासन-प्रशासन को उसी वक्त सेल डीड रोक देनी चाहिए थी। अब कई लोगों ने बैंक व फाइनांस कंपनियों से कर्ज लेकर मकान बनाए हैं। ऐसे में यह आदेश ठीक नहीं है। आरटीआई में प्रज्ञाशील बोधिरत्न परिषद के पत्र के बारे में जानकारी मांगी तो जानकारी नहीं दी गई। यहां तक कि शिकायत-पत्र फर्जी होने का आरोप लगाया गया। सभी प्लॉट धारक एकजुट होकर प्रशासन के फैसले का विरोध करते हुए उचित मंच पर न्याय मांगेंगे।
पहले भी सुर्खियों में रहा ले-आउट
यह ले-आउट इसके पूर्व भी सुर्खियों में रहा है। यहां 57 प्लॉटों के ‘म्यूटेशन’ हुए। सीपीडब्ल्यूडी के पूर्व अभियंता श्यामसुंदर डहरवाल अपने प्लॉट नं. 11 व 28 का ‘म्यूटेशन’ कराने तहसीलदार ग्रामीण के पास पहुंचे थे। तत्कालीन तहसीलदार ने ‘म्यूटेशन’ करने से इनकार कर दिया। तब उन्होंने जिलाधीश से गुहार लगाई गई। जिलाधीश के आदेश पर पूरे मामले की जांच हुई। आवेदनकर्ता का तर्क था कि जब 57 प्लॉटों का ‘म्यूटेशन’ हो सकता है, तो उसी ले-आउट में मेरे लिए अलग नियम क्यों? इसके बाद मामला एडीआे के पास पहुंचा आैर वहां से ‘म्यूटेशन’ रद्द करने का फरमान तहसीलदार कार्यालय पहुंचा।
एनएमआरडीए की नजर
फिलहाल शहर सीमा छोड़कर 25 किलो मीटर का दायरा नागपुर महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण (एनएमआरडीए) अर्थात मेट्रो रीजन के दायरे में आ गया है। एनएमआरडीए ने गूगल मैपिंग के जरिये इस क्षेत्र में सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। जिन्होंने अनधिकृत रूप से निर्माणकार्य किया है या 2010 के बाद जिन्होंने निर्माणकार्य किया है, उन सभी लोगों को नोटिस देने जारी है। अब तक सैकड़ों लोगों को नोटिस जारी किया जा चुका है। ऐसे में अब टाउन प्लानिंग अथाॅरिटी की मंजूरी नहीं मिलने वाले भी सैकड़ों मामले सामने सकते है। गौरतलब है कि नागपुर जिले में भू-माफिया ने बड़े पैमाने पर लोगों को गुमराह कर प्लाट बेचे है। जिसमें न टाउन प्लानिंग की मंजूरी ली गई न ग्रामपंचायतों की। बेसा-बेलतरोडी सहित अनेक क्षेत्र ऐसे है, जहां नियमों का ताक पर रखकर प्लाट बेचने के मामले सामने आए थे। इन सभी की दिक्कतें एनएमआरडीए की वजह से बढ़ सकती है।
एसडीआे के दिशा-निर्देशों का पालन किया : उपविभागीय अधिकारी (एसडीआे) ने सभी ‘म्यूटेशन’ रद्द कर इस संबंध में सुनवाई लेने को कहा था। एसडीआे के 2016 के इस आदेश पर संबंधितों का पक्ष सुना गया। टाउन प्लानिंग अथाॅरिटी की मंजूरी नहीं मिलने आैर नक्शा मंजूर नहीं होने के कारण सुनवाई के बाद सभी 57 ‘म्यूटेशन’ रद्द कर दिए गए। एसडीआे के दिशा-निर्देशों का पालन किया गया।
-सुशांत बनसोडे, तहसीलदार नागपुर ग्रामीण.
Created On :   13 Jan 2018 4:00 PM IST