माझी मेट्रो का काम जर्मन मेट्रो से भी तेज

My Metros work faster than the German metro  -  Visitor team
माझी मेट्रो का काम जर्मन मेट्रो से भी तेज
माझी मेट्रो का काम जर्मन मेट्रो से भी तेज

डिजिटल डेस्क, नागपुर। माझी मेट्रो का काम जर्मनी की मेट्रो की तुलना तेज हो रहा है। नागपुर में यात्रियों को लेकर निश्चित अवधि के पहले ही मेट्रो दौड़ सकेगी। ऐसा विश्वास मेट्रो प्रोजेक्ट को 4 हजार करोड़ का कर्ज देने वाली जर्मनी की केएफडब्ल्यू एजेंसी के दक्षिण एशिया प्रादेशिक व्यवस्थापक यास्मीन तौफीक ने जताया है। शनिवार को न्यू एयरपोर्ट से खापरी स्टेशन की जॉय राइड के दौरान वह पत्रकारों से चर्चा करते हुए बोल रहे थे। उन्होंने मेट्रो की डिजाइन अद्भुत होने की बात भी कही।

राइड के दौरान आर्थिक सहायता करने वाली सांघिक मंत्रालय के दक्षिण एशिया विभाग के भारत के प्रमुख डॉ. वोल्फ्रोम क्लेन के नेतृत्व में नागपुर पहुंची टीम में वरिष्ठ अधिकारी लिस्बेथ मुलेर, विभाग प्रमुख सुजेन डोरासिल, केएफडब्ल्यू बैंक के दक्षिण एशिया विभाग के व्यवस्थापक यास्मीन तौफीक, केएफडब्ल्यू के भारत के नागरी विकास क्षेत्र के विशेषज्ञ पास्कल सावेड्रा, यातायात विभाग के प्रधान अभियंता पीटर रूनी, स्वाति खन्ना, भारत के नागरी विकास विभाग की अधिकारी ममता बत्रा आदि का टीम में समावेश था। 

प्रोजेक्ट वक्त से पहले पूरा होने के पूरे आसार 
तौफीक ने कहा कि, मेट्रो प्रोजेक्ट वक्त से पहले पूरा होने के पूरे आसार हैं। काम काफी तेज है। टिकट बेचकर मिलने वाले पैसों पर निर्भर न रहते हुए मेट्रो परिसर में व्यावसायिक तौर पर जगह उपलब्ध कराकर महामेट्रो का बहुत अच्छा मॉडल तैयार किया है। बकाया राशि में 50 प्रतिशत राशि प्रॉपर्टी डेवलपमेंट से मिलने के आसार हैं। अब तक कुल 4 हजार करोड़ कर्ज की राशि में से 25 प्रतिशत राशि मेट्रो को देने की बात भी उन्होंने कही।

पहले चरण का काम खत्म होने के बाद दूसरे चरण में शुरू होने वाले मेट्रो के काम के लिए कर्ज देने के में अब तक कोई गतिविधि नहीं है। इस दिशा में कोई प्रस्ताव आने पर जांच-पड़ताल कर आगे निर्णय लिया जाएगा। ठाणे, पुणे व नागपुर मेट्रो के लिए कर्ज को लेकर भी उनका सकारात्मक रुख नजर आया। 

प्रोजेक्ट के लिए कर्ज देने वाली जर्मन कंपनी की टीम ने जॉय राइड के दौरान कहा 
डॉ. वोल्फ्रोम क्लेन ने मेट्रो के साथ फीडर सेवा भी अच्छी रहने की बात पर जोर दिया। उन्होंने कहा, दिए गए कर्ज से बस, साइकिल फीडर सेवा उपलब्ध होगी। यह प्रोजेक्ट पर्यावरण से तालमेल बनाने वाला होने से भविष्य में इससे नागरिकों के जीवन में बदलाव देखने मिल सकता है। जर्मनी की नीति के अनुसार कर्ज दिया जा रहा है। कर्ज देने से पहले हर पहलू को सही ढंग से परखा जा रहा है।

आगामी पांच सालों में भारत में आठ हजार करोड़ रुपये विभिन्न प्रोजेक्ट के लिए कर्ज के रुप में देने का करार भारत सरकार से हु्आ है। इसमें तामिलनाडु में बिजली पर चलने वाली बस का प्रोजेक्ट भी शामिल है। जॉय राइड में महामेट्रो के महाव्यवस्थापक अनिल कोकाटे, वित्त विभाग के शिवामाथन, मेट्रो रख-रखाव महाव्यवस्थापक उराडे, अखिलेश हडवे आदि उपस्थित थे। 

Created On :   6 May 2018 3:27 PM IST

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