नागपुर: 5000 बेड वाले जम्बो अस्पताल की निकली हवा

Nagpur: 5000-bed Jumbo hospital failed due to coronavirus patients
नागपुर: 5000 बेड वाले जम्बो अस्पताल की निकली हवा
नागपुर: 5000 बेड वाले जम्बो अस्पताल की निकली हवा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमित मरीजों को लेकर अफरा-तफरी की स्थिति है। बेड नहीं मिलने से लोगों को जान गंवानी पड़ रही है। इस बीच जम्बो अस्पताल की मांग सामने आ रही है। ऐसे में मनपा के तेजतर्रार आयुक्त रहे तुकाराम मुंढे ने कलमेश्वर मार्ग स्थित राधास्वामी सत्संग मंडल की जमीन पर बनाए गए 5 हजार बेड के अस्पताल को लेकर सवाल पूछे जा रहे हैं। फिलहाल इस जम्बो अस्पताल का बोरिया-बिस्तर लपेट दिया गया है। मनपा के एक बड़े अधिकारी ने कहा कि वहां रखे गए बेड और बिस्तर को मनपा के अस्पतालों में भेज दिया गया है। अब वहां सिर्फ तंबू खड़ा है। सत्संग मंडल के प्रवेश द्वार पर खड़े सुरक्षा गार्ड का कहना है कि अब मनपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है। अंदर कुछ बचा नहीं है। एक भी बेड नहीं है। मनपा के बड़े अधिकारी इस पर बोलने से बच रहे हैं।

शहर के अस्पतालों पर फोकस
सत्तापक्ष व प्रशासन का दावा है कि जम्बो अस्पताल में खर्च होने वाली एनर्जी को अब मनपा और शहर के कोविड अस्पतालों में लगाया जाएगा। कलमेश्वर मार्ग पर मेडिकल स्टाफ से लेकर ऑक्सीजन और सड़क, पानी, सीवरेज तक की समस्या थी। ऐसे में वहां सुविधाएं उपलब्ध कराना संभव नहीं था। इसलिए शहर के अस्पतालों को सुविधाएं देने पर फोकस किया जाएगा। एक सुझाव यह भी आया कि जम्बो अस्पताल की बजाए शहर के मंगल कार्यालय, बड़े सभागृह में ही बेड और ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध करा दी जाती है, तो काफी हद तक समस्याओं का समाधान हो सकता है।

राज्य का था पहला सबसे बड़ा कोविड सेंटर
अप्रैल-मई में तत्कालीन आयुक्त तुकाराम मुंढे ने राधास्वामी सत्संग मंडल के सहयोग से कलमेश्वर मार्ग पर 5 हजार बेड की क्षमता वाला जम्बो अस्पताल तैयार किया था। वहां बेड लगाए गए थे। बाकायदा महाराष्ट्र का सबसे पहला और सबसे बड़ा कोविड सेंटर कम समय में बनाने का ढिंढोरा भी पीटा गया था। दावा किया गया था कि भविष्य में मरीज बढ़ेंगे, तब मरीजों को भटकना नहीं पड़ेगा। वहां सुविधाएं दी जाएंगी। मेडिकल स्टाफ से लेकर सभी तरह की व्यवस्था करने का दंभ भरा गया था। इन दावों की धज्जियां तब उड़ गईं, जब जून में तेज आंधी और बारिश में अस्पताल की छत उड़ गई थी। तब प्रशासन ने अपने दावों पर पूरी तरह चुप्पी साध ली। 

सच बोलने से बच रहे
जब तक तुकाराम मुंढे रहे, वे भी इस मामले में शांत रहे। मुंढे ने जिन अधिकारियों पर इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी, अब वे भी इस पर बोलने से बच रहे हैं। एक जिम्मेदार अधिकारी से बात करने पर उन्होंने कहा कि मुंढे ने उनके हिस्से में जो काम दिया था, वह काम किया। इसके अलावा उनके पास कोई जिम्मेदारी नहीं थी। एक बड़े अधिकारी ने कहा कि हमारा काम सिर्फ स्ट्रक्चर खड़ा करना था। बाद में क्या हुआ, हमें जानकारी नहीं है। वहां के बेड और बिस्तर मनपा अस्पतालों में शिफ्ट कर दिए हैं। हाल में कोविड की जिम्मेदारी सौंपी गई एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें जिम्मेदारी संभाले अभी सिर्फ दो दिन हुए हैं, उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। 

सुविधाएं देना संभव नहीं
कलमेश्वर मार्ग पर जिस जम्बो अस्पताल की घोषणा की गई थी, वहां सुविधाएं देना संभव नहीं है। मेडिकल स्टाफ से लेकर ऑक्सीजन तक की बड़ी समस्या है। सड़क, पानी, सीवरेज आदि सुविधाएं देना भी मुश्किल है। ऐसे अपर्याप्त व्यवस्था में अस्पताल बनाना संभव नहीं है। इसकी बजाए शहर के अस्पतालों में सुविधाएं देना ज्यादा बेहतर है। -पिंटू झलके, सभापति, स्थायी समिति मनपा

Created On :   17 Sep 2020 11:38 AM GMT

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