नागपुर अधिवेशन का मतलब यह नहीं कि बंद हो जाए मुंबई के मंत्रालय का कामकाज : बांबे हाईकोर्ट 

Nagpur Convention does not mean that functioning of ministry should be stopped - HC
नागपुर अधिवेशन का मतलब यह नहीं कि बंद हो जाए मुंबई के मंत्रालय का कामकाज : बांबे हाईकोर्ट 
नागपुर अधिवेशन का मतलब यह नहीं कि बंद हो जाए मुंबई के मंत्रालय का कामकाज : बांबे हाईकोर्ट 

डिजिटल डेस्क, मुंबई। कृष्णा शुक्ला। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि नागपुर में विधानमंडल का अधिवेशन जारी होने का मतलब यह नहीं है कि मुंबई में मंत्रालय के कामकाज को बंद कर दिया जाए और वहां बनाए गए मुख्यालय खाली रहे।  हाईकोर्ट ने आरक्षित वर्ग के बच्चों की फीस की प्रतिपूर्ति किए जाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिए आदेश में यह तल्ख टिप्पणी की है। एसोसिएशन आफ मैनेजमेंट आफ एग्रिकल्चर एंड एग्रिकल्चर अलाइड कालेज ने उपरोक्त मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

याचिका में एसोसिएशन ने कहा  है कि हमने सरकार के शासनादेश के आधार पर आरक्षित वर्ग के छात्रों को बिना फीस के प्रवेश दिया था। लेकिन समाज कल्याण विभाग आरक्षित वर्ग के छात्रों के फीस की प्रतिपूर्ति को लेकर साल 2014-15 से 2017-18 के आवेदन नहीं स्वीकार कर रहा है। यह फीस चार करोड़ 21 लाख 62 हजार 890 रुपए है।

न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ के सामने जब यह याचिका सुनवाई के लिए आयी तो सरकारी वकील ने कहा कि इस बार विधानमंडल का मानसून सत्र मुंबई की बजाय नागपुर में हो रहा है। इसलिए फीस प्रतिपूर्ति करने से संबंधित विभाग के सभी लोग ड्युटी के लिए नागपुर चले गए है। लिहाजा अभी फीस प्रतिपूर्ति से जुड़े आवेदन पर कोई फैसला नहीं किया जा सकता है।

सरकारी वकील से मिली इस जानकारी पर हैरानी व नाराजगी व्यक्त करते हुए खंडपीठ ने कहा कि अधिवेशन के नागपुर में होने का मतलब यह नहीं है कि मुंबई में मंत्रालय का कामकाज बंद कर दिया जाए और यहां बने विभागों को खाली रखा जाए। यह सरकार की प्रतिष्ठा के लिए भी ठीक नहीं है।

खंडपीठ ने कहा कि आगे से हम सरकारी वकील से यह अपेक्षा नहीं करते है कि वह मामले की सुनवाई को टालने के लिए यह कहे कि अधिवेशन मुंबई के बाहर चल रहा है इसलिए विभाग के लोग आवेदन पर निर्णय नहीं ले सकते है। हम अधिकारी की अनुपलब्धता के आधार पर मामले की सुनवाई को नहीं टालेगे।

खंडपीठ ने कहा यदि किसी प्रकरण में हमे किसी अधिकारी की उपस्थिति की जरुरत पड़ी तो हम उसे नागपुर  से 24 घंटे में यहां बुलाएगे। खंडपीठ ने फिलहाल कोर्ट में मौजूद अधिकारी को कहा है कि वह याचिकाकर्ता की ओर से किए फीस प्रतिपूर्ति को लेकर किए गए आवेदन पर दो सप्ताह के भीतर निर्णय ले अन्यथा हमे उसे मासिक वेतन से वंचित रखने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी। 

 

Created On :   11 July 2018 3:44 PM GMT

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