देह व्यवसाय के चंगुल से निकली नाबालिग की कस्टडी के लिए सामने आई मां

Nagpur : Mother came in front for the custody of rescued daughter
देह व्यवसाय के चंगुल से निकली नाबालिग की कस्टडी के लिए सामने आई मां
देह व्यवसाय के चंगुल से निकली नाबालिग की कस्टडी के लिए सामने आई मां

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले के छोटा बरेसिया की एक महिला ने रिट याचिका दायर की है। उसका कहना है कि देह व्यापार के चंगुल से छुड़ाकर नागपुर के करुणा महिला वसतीगृह में रखी गई उसकी बेटी की कस्टडी उसे नहीं दी जा रही है। नागपुर और यवतमाल के बाल कल्याण समितियों के वह लगातार चक्कर काटती रही, पर दोनों समितियां उसे सिर्फ घुमाती रहीं। अंतत: बच्ची की कस्डटी प्राप्त करने के लिए उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

अपनी याचिका में इस महिला ने मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए 5 लाख रुपए मुआवजा देने का आग्रह भी हाईकोर्ट से किया है। इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान पीड़ित किशोरी को भी कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। मामले में सरकारी पक्ष ने दावा किया है कि याचिका दायर करने वाली महिला पीड़ित किशोरी की मां है ही नहीं, उसका दावा झूठा है। ऐसे में बच्ची की कस्टडी याचिकाकर्ता महिला को नहीं सौंपी जानी चाहिए। सभी पक्षों को सुनकर हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 21 फरवरी को रखी है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड. टी.जी. बन्सोड़ ने पक्ष रखा। 

रिश्तेदारों ने फंसाया
दरअसल, इस किशोरी को उसके गांव से बबिता नामक उसकी ही रिश्तेदार यवतमाल जिले के वणी ले गई। यहां उसकी दूसरी रिश्तेदार रेखा पर किशोरी से देह व्यवसाय कराने के आरोप हैं। गुप्त जानकारी के आधार पर वणी पुलिस ने 28 नवंबर 2018 को उसके घर पर छापा मार कर दोनों महिलाओं के खिलाफ नाबालिग से देह व्यवसाय कराने का मामला दर्ज किया था।

यवतमाल की बाल कल्याण समिति ने क्षेत्र में पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण किशोरी को नागपुर बाल कल्याण समिति के अधिकार क्षेत्र वाले शहर के पाटणकर चौक स्थित करुणा महिला वसतीगृह भेज दिया था। इसके बाद किशोरी की मां को घटना की जानकारी मिली। उसने बच्ची की कस्टडी के लिए पहले वसतीगृह में गुहार लगाई। वहां से उसे यवतमाल बाल कल्याण समिति के पास भेजा गया। यवतमाल की समिति ने उसे नागपुर की समिति से गुहार लगाकर बच्ची की कस्टडी प्राप्त करने को कहा। नागपुर की समिति ने उसकी अर्जी खारिज कर दी। इसके बाद उसने हाईकोर्ट की शरण ली है। मामले में मां का यह भी दावा है कि उसकी बच्ची नाबालिग नहीं, बल्कि बालिग है। मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। 

Created On :   19 Feb 2019 2:08 PM IST

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