नागपुर यूनिवर्सिटी ने वापस ली गाइड की सेवानिवृत्ति से जुड़ी शर्त

Nagpur University withdrew the disputed condition for PhD Guide
नागपुर यूनिवर्सिटी ने वापस ली गाइड की सेवानिवृत्ति से जुड़ी शर्त
नागपुर यूनिवर्सिटी ने वापस ली गाइड की सेवानिवृत्ति से जुड़ी शर्त

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने पीएचडी गाइड पर लगाई गई अपनी विवादित शर्त को पीछे ले ली है।  अप्रैल 2018 में जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति में तीन वर्ष से कम का समय बचा था, विवि ने ऐसे शिक्षकों को पीएचडी गाइड बनने से प्रतिबंधित कर दिया था। इससे पीएचडी करने के इच्छुक सैकड़ों अभ्यर्थियों को इस वर्ष रिसर्च शुरू करने से चूकने की नौबत आ गई थी। दैनिक भास्कर ने शुक्रवार को यह मामला प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इधर विवि के इस फैसले का शिक्षक और शोधार्थी भारी विरोध कर रहे थे। विवि के कुछ प्राध्यापकों ने कुलगुरु डॉ.सिद्धार्थविनायक काणे से मिल कर इसका समाधान करने की अपील की थी। अब विवि ने यह शर्त हटा दी है। कुलगुरु डॉ.काणे ने भास्कर से बातचीत में बताया कि विश्वविद्यालय इस शर्त को ही पीएचडी अधिसूचना से हटा रहा है। अब तीन वर्ष तो दूर की बात अगर शिक्षक की सेवानिवृत्ति में तीन दिन भी शेष हो तो वह गाइड के रूप में अपने कर्तव्य का वहन कर सकते हैं। विवि के इस निर्णय से सैकड़ों शोधार्थियों को राहत मिलेगी। क्योंकि नागपुर विवि से मान्यता प्राप्त गाइड में अधिकांश संख्या ऐसे शिक्षकों की थी, जिनकी सेवानिवृत्ति को तीन वर्ष से भी कम का समय बचा था।

यह है नियम

इस सत्र में जारी की गई पीएचडी की अधिसूचना में विवि ने इसके लिए प्रबंध कर रखे हैं। शोधार्थी को पीएचडी पोर्टल पर पंजीयन के लिए गाइड का नाम चुन कर उसकी जन्मतिथि फीड करनी है। पहले विवि ने स्पष्ट किया था कि अगर कोई शिक्षक पीएच.डी का गाइड बनना चाहता है, तो उसके रिटायरमेंट को तीन वर्ष से कम का समय नहीं होना चाहिए, अन्यथा उसे गाइड बनने की अनुमति नहीं मिलेगी। अब इसे सुधारा जाएगा। 

प्राध्यापकों ने किया था विरोध

दरअसल, विवि की अधिसूचना के अनुसार प्रोफेसर स्तर के गाइड को 8 शोधार्थी, एसोसिएट स्तर के गाइड को 6 शोधार्थी और असिस्टेंट प्रोफेसर स्तर के गाइड को 4 शोधार्थी रखने की अनुमति दी है। चूंकि पहले से ही नागपुर विवि के अधीन रिसर्च सेंटर्स पर गाइड की कमी थी, इसलिए इस वर्ष तीन वर्ष वाली शर्त को जोड़ने से यह हुआ कि गाइड का एक बड़ा वर्ग अपात्र होने की कगार पर पहुंच गया। प्राध्यापक इस शर्त का विरोध कर रहे थे। जानकारी के अनुसार, विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ प्राध्यापक ने विवि कुलगुरु को पत्र लिख कर इस समस्या के समाधान की मांग की थी, जिसके बाद विवि ने शर्त हटा दी है।

Created On :   15 April 2018 5:27 PM IST

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