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विचारधारा अलग, लक्ष्य सिर्फ एक था-आजादी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। यहां आजादी के आंदोलन के दौरान देशभर में अनेक संगठनों का जन्म हुआ। इन संगठनों में से कुछ राष्ट्रीय, तो कुछ स्थानीय स्तर पर अंगरेजों के खिलाफ विविध मुहिम चला रहे थे। सबका लक्ष्य एक था, अपने अधिकार व न्याय के लिए अंगरेजों के खिलाफ लड़ना और देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराना था। ऐसे ही अनेक संगठनों की कार्यप्रणाली का साक्षी नागपुर जिला रहा है। यहां 1930 से 1947 तक कई संगठन इतिहास के स्वर्णअध्याय बने, हालांकि अब उनमें से अधिकतर संगठन नहीं हैं, लेकिन उनका योगदान नहीं भुलाया जा सकता है।
फॉरवर्ड ब्लॉक
1939 में नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने अखिल हिंदू फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की। 18 जून 1940 को इस पार्टी का दूसरा अधिवेशन नागपुर में हुआ। अधिवेशन का उद्देश्य अंगरेजों की गुलामी से मुक्ति व पूर्ण स्वातंत्र्य था। अधिवेशन में स्वतंत्रता के बाद सत्ता जनता के हाथों में रखने की घोषणा की गई। इसके बाद सुभाष बाबू भूमिगत हो गए। नागपुर शाखा ने रामभाऊ रुईकर के नेतृत्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कामगारों को स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने का आह्वान इसी पार्टी ने किया था। 1942 के आंदोलन में रुईकर गिरफ्तार कर लिए गए। तीन साल जेल में रहने के बाद 1945 में रुईकर फिर दोगुने जोश से सक्रिय हुए। 1946 में मिल कामगारों की हड़ताल का नेतृत्व किया। 24 फरवरी से 23 मार्च 1947 तक चले शिक्षक आंदोलन का नेतृत्व भी रुईकर ने किया था।
कम्युनिस्ट पार्टी
1933 में नागपुर में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई। कॉमरेड जयवंत, कॉ. पी.डी. मराठे, कॉ. एस.वाय. कुलकर्णी, कॉ. मोटे ने इस पार्टी का काम शुरू किया। कामगार वर्ग से एस. चौथमल, मारोती मेश्राम आदि पार्टी से जुड़े। 1932 से 1937 तक पार्टी ने कामगारों के हित में काम किया। सी. पी. एंड बेरार प्रांत के मिल कामगारों को संगठित कर उन्हें अपने अधिकार के लिए लड़ना सिखाया। इनकी सारी गतिविधियां अंगरेजों की नीति के खिलाफ थीं।
अखिल भारतीय हिंदू महासभा
अखिल भारतीय हिंदू महासभा की स्थापना 1915 में हुई थी। नागपुर में इस संगठन का विस्तार 11 नवंबर 1923 को हुआ। नागपुर शाखा में सरदार गुजर, राजे लक्ष्मणराव भोसले, काडीकर, डॉ. परांजपे, विश्वनाथ केलकर आदि कार्यरत थे। 1938 में नागपुर में हिंदू महासभा का अधिवेशन हुआ था। इस अवसर पर स्वातंत्र्यवीर सावरकर का सत्कार कर जुलूस निकाला गया था। सावरकर के नेतृत्व में निजाम के खिलाफ सत्याग्रह किया गया था, इसका प्रमुख केंद्र नागपुर था। सत्याग्रह में आचार्य नरेंद्र देव, भैयाजी दाणी, तात्या पहलवान, हरिकिशन वर्मा आदि ने हिस्सा लिया था। उस समय हिंदू महासभा सावधान नामक अखबार के माध्यम से लोगों को जागरूक कर रहा था। बाद में इस अखबार पर रोक लगा दी गई। 1947 तक हिंदू राष्ट्रवादी प्रचार का केंद्र नागपुर रहा था।
ऑल इंडिया शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन
18 व 19 जुलाई 1942 को सीपी एंड बेरार प्रांत के अस्पृश्य प्रतिनिधियों की परिषद शहर के माउंट होटल में हुई थी। परिषद के स्वागताध्यक्ष जी. टी. मेश्राम थे। परिषद में डॉ. बाबासाहब आंबेडकर ने भाषण दिया। इस परिषद में ही अस्पृश्य आंदोलन का बिगुल फूंका गया था। दो दिवसीय चर्चा के बाद एक करार मंजूर किया गया। इसके अनुसार ऑल इंडिया शेड्युल्ड कास्ट फेडरेशन की स्थापना की गई। उसके बाद सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू हुए। 1946 में सरकार से अपने अधिकार व न्याय की मांग के लिए विधानभवन के सामने विशाल सत्याग्रह किया गया। यहां का सेंट्रल जेल सत्याग्रहियों से भर गया था। तत्कालीन मध्यप्रांत के मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल ने जब फेडरेशन की मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया, तब जाकर सत्याग्रह खत्म हुआ।
सशस्त्र क्रांतिकारक संगठन
कोलकाता, पुणे और नाशिक की तर्ज पर नागपुर में भी सशस्त्र क्रांतिकारक संगठन बनाने का प्रयास किया गया। 1904 से 1906 के बीच डॉ. भवानी शंकर नियोगी और डॉ. गोपालराव देशमुख ने शिवसमर्थ सेवा मंडल की स्थापना की। इस मंडल में जयकृष्ण पंथ, उपाध्ये, डॉ. पांडुरंग खानखोजे, रामलाल वाजपेयी व अप्पासाहेब हल्दे भी शामिल थे। मंडल का लक्ष्य देश में सशस्त्र क्रांति था। इस मंडल की गुप्त बैठकें महल के वाईकर बाड़े में हुआ करती थीं, लेकिन कुछ समय बाद मंडल के कार्यकर्ता बिखरने लगे। पांडुरंग खानखोजे व रामलाल बाजपेयी ने दूसरा मंडल तैयार किया। मंडल का कोलकाता के सशस्त्र क्रांतिकारक संगठनों से संपर्क था।
इसके बाद कृष्णराव मराठे ने नाशिक की अभिनव भारत नामक संगठन की शाखा प्रारंभ की। इसमें वासुदेव फडणवीस, राजाभाऊ डांगरे, वामनराव घोरपड़े, बाबूराव हरकरे, रा. वि. काली, बालासाहेब नाफडे और गोपालराव हुद्दार शामिल थे।
समाजवादी पार्टी
1920 से 1934 तक ट्रेड यूनियन, कम्युनिस्ट पार्टी, इंडिपेंडेंस ऑफ इंडिया लीग आदि के माध्यम से समाजवादी विचारधारा का प्रचार कार्य शुरू था। इसे संगठन का स्वरूप देने का पहला प्रयास 1934 में किया गया। उस समय जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया, आचार्य नरेंद्र देव आदि नेताओं के मार्गदर्शन में समाजवादी वर्ग तैयार हुआ। इस वर्ग ने कांग्रेस की विचारधारा को समाजवादी मोड़ देने का प्रयास शुरू किया। इसकी शाखा नागपुर में रामभाऊ रुईकर, पी. वाई. देशपांडे, डॉ. काशीकर ने शुरू की। 1936 तक शाखा निष्क्रिय होने से पार्टी के राष्ट्रीय सदस्य हरिहरनाथ शास्त्री व एम. आर. मसानी नागपुर आए और शाखा को क्रियान्वित किया।
आचार्य दांडेकर ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ली। वे सी. पी. एंड बेरार प्रांत शाखा के महासचिव बने। मगनलाल बागड़ी व बी. एम. मुखर्जी अन्य प्रमुख सदस्य बने। इस दौरान मगनलाल बागड़ी, श्याम नारायण कश्मीरी और दांडेकर ने लाल सेना की स्थापना की।
Created On :   16 Aug 2021 5:01 PM IST