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नागपुर का मेंटल हास्पिटल पड़ा खुद बीमार, लगातार हो रही मरीजों की मौत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर-छिंदवाड़ा रोड स्थित नेल्सन चौक (पागलखाना चौक) पर है प्रादेशिक मनोचिकित्सालय। इसे वर्ष 1904 में स्थापित किया गया था। उम्मीद थी कि मानसिक रोगों से ग्रस्त लोगों का यहां इलाज होगा और वे ठीक होकर अपने घर जाएंगे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यहां हुई घटनाएं न सिर्फ इस चिकित्सालय की छवि को बिगाड़ा बल्कि लोगों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है। अब यह अस्पताल मरीजों की मौत के मामले में कुख्यात हो चला है। यहां मरीजों के हाथ-पांव बांधकर उनकी पिटाई करने, समय पर दवा उपलब्ध न होने, स्वच्छता का अभाव होने की खबरे सुर्खियों में रहती हैं।
पिछले कुछ वर्षों में यहां दाखिल अनेक मरीज काल के गाल में समा गए लेकिन उनकी मौत का स्पष्ट कारण ज्ञात नहीं हो सका। यह मामला राज्य की विधानसभा में भी उठाया गया जिसमें संतोषजनक जवाब न संबंधित मंत्री दे सके और न ही अस्पताल प्रशासन। पिछले मई माह में ही इस अस्पताल में 8 मरीजों की मौत हो हुई है। इस घटना को लेकर भी तरह-तरह की चर्चा है।
अस्पताल प्रशासन पर मरीजों की मौत को लेकर संदेह व्यक्त किया जा रहा है। पागलखाना चौक स्थित मेंटल हास्पिटल (प्रादेशिक चिकित्सालय) में पिछले एक माह में 8 मरीजों की मौत ने सवालिया निशान लगा दिया। मामले में अस्पताल प्रशासन पर चिकित्सा में लापरवाही बरते जाने सहित अनेक गंभीर आरोप लग रहे हैं। बावजूद इसके मामले पर पर्दा डालने का प्रयास किया जा रहा है। मृतकों में 3 महिला व 5 पुरुषों शामिल हैं। पागलखाना में उपचार न मिल पाने के कारण इन मरीजों को शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था जहां उनकी मौत हो गई।
चर्चा है कि इन मरीजों के इलाज में विलंब हुआ। हालत बिगड़ने पर उन्हें शासकीय वैद्यकीय अस्पताल में भर्तीय कराया गया जहां उपचार के दौरान उनकी माैत हो गई। इससे पहले भी मेंटल हास्पिटल में उपचार न मिल पाने के कारण अनेक मरीजों की मौत हो चुकी है। अस्पताल प्रशासन इस मामले में चुप्पी साधे नजर आ रहा है।
मरीजों के हाथ-पांव बांधकर रखा जाता है
इस अस्पताल में ऐसी अनेक घटनाएं हुई है जिससे अस्पताल प्रशासन संदेह के घेरे में आ गया है। मरीजों के हाथ-पांव बांधकर उन्हें सामान्य मरीजों के कक्ष में रखे जाने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। मरीजों की मृत्यु, अस्पताल में मरीजों का योग्य इलाज न होना, अत्यावश्यक दवाओं की कमी, अस्पताल के चतुर्थ श्रेणी कर्मियों द्वारा मरीजों से मारपीट की घटनाएं जैसी आदि शिकायतें मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन से पहले भी की हैं।
खलती है दवा की कमी
मेंटल हास्पिटल में पिछले कई दिनाें सें दवाओं की कमी हाेने की जानकारी मिल रही है। दवा उपलब्ध न होने के कारण अक्सर मरीजों की हालत बिगड़ने लगती है। इस स्थिति में अस्पताल प्रशासन मरीजों के परिजनों को बाहर से दवा लाने की सलाह देता है। दवा उपलब्ध न होने के कारण हालत गंभीर होने पर मरीजों को शासकीय वैद्यकीय अस्पताल में दाखिल किया जाता है। ऐसे मरीजों की अधिकतर मौत हो जाती है। इस अस्पताल के बाह्य रुग्ण विभाग में अप्रैल माह में 4708 मरीज इलाज के लिए पहुंचे थे जिसमें से 2785 पुरुष व 1898 महिला ,15 किशोर व 10 किशोरियां शामिल हैं। इन मरीजों में से अधिकांश को दवा न होने का कारण बताकर दवा बाहर से लेने की सलाह दी गई।
मरीजों को पीटने का आरोप
मानसिक रोग से ग्रस्त मरीजों के साथ मारपीट की घटनाओं से भी अस्पताल प्रशासन दागदार हो रहा है। बताया जाता है कि हालत बिगड़ने पर मरीजों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों द्वारा लातों-घूंसों से पीटा जाता है। कुछ मृत मरीजों के पोस्टमार्टम में भी यह तथ्य उजागर हुए हैं। बावजूद इसके अस्पताल प्रशासन इस प्रकार की घटनाओंे को सामान्य करार देते हुए लगाए गए मारपीट के आरोपाें को सिरे से खारिज कर देता है।
CCTV के बावजूद हो रहीं घटनाएं
मेंटल हास्पिटल में महिला वॉर्ड में CCTV नहीं लगाया गया है जबकि शेष हिस्से CCTV की निगरानी में हैं। बावजूद इसके यहां हो रहीं घटनाएं संदेहास्पद बन गई हैं। पागलखाने में मानसिक रोगियों की भर्ती उनके रिश्तेदार, पुलिस द्वारा और न्यायालय के आदेश पर की जाती है। यहां कुछ मरीज लंबे अरसे से इलाज करा रहे हैं तो कुछ बहुत जल्द ही मौत के शिकार हो जाते हैं।
अस्पताल के बारे में भ्रामक प्रचार हो रहा
मरीजों की मौत के मामले में पिछले कुछ दिनों से तरह-तरह की खबरें प्रकाशित की जा रही है लेकिन हकीकत को जानने का प्रयास नहीं हो रहा है। अस्पताल में मरीजों की हालत बिगड़ने पर उन्हें मेडिकल में भर्ती कराया जाता है। यहां उपचार के दौरान जिन मरीजों की मौत होती है, पोस्टमार्टम के बाद रिपोर्ट में मौत के कारणों का भी खुलासा हो जाता है। हमारे पास मृत मरीजों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट है जिसमें मौत के कारण स्पष्ट हैं। भ्रामक प्रचार से मरीजों व उनके रिश्तेदारों में खौफ का माहौल है। इस अस्पताल में इलाज की पूरी व्यवस्था है तथा जो लोग सस्ते में इलाज कराना चाहते हैं, भ्रामक खबरों से घबराकर इस अस्पताल से वे लोग दूर हो रहे हैं।
डॉ. प्रवीण नवखरे, उप अधीक्षक, मेंटल हास्पिटल
Created On :   5 Jun 2018 4:22 PM IST