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भांडाफोड़ : जानिए, नागपुर में कैसे लगा 100 करोड़ का सट्टा, क्या है इसका गोवा कनेक्शन ?
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मंगलवार को जामठा में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले गए एकदिवसीय मैच पर जमकर सट्टेबाजी हुई। नागपुर और गोवा में बैठे सटोरियों के बीच करीब 100 करोड़ का सट्टा लगा। सट्टेबाजाें का ताजा रेट 50/52 रहा। हमने सट्टेबाजी के गोरखधंधे को जानने की कोशिश की हैै। नाम नहीं छापने की शर्त पर कुछ सटोरियों से बात कर उनका हिसाब-किताब समझा। एक मिनट में दो से तीन बार सटाेरिए को सट्टा लगाने के लिए फोन कॉल आते रहते हैं, लेकिन इसके अलावा एक और लाइन होती है जिसे पोपट लाइन कहा जाता है। सटोरियों को इस लाइन के जरीए हर बॉल की जानकारी 6 सेकंड पहले मिल रही थी। यह लाइन दिल्ली-मुंबई से जुड़ी होती है, जिसके लिए सटाेरिए को 3000 रुपए महीना देना होता है। इसके छोटे सटोरियों के लिए वॉट्सएप ग्रुप बना होता है, जिस पर बड़े सटाेरिए लगातार अपडेट कर रहे थे।
उधर खेल प्रेमियों के लिए मंगलवार शानदार रहा। भारत ने आस्ट्रेलिया पर शानदार जीत दर्ज की। अंतिम ओवर तक चले मैच में कसी हुई गेंदबाजी ने मैच का उत्साह बढ़ा दिया। विराट के शतक ने लोगों में उत्साह बनाए रखा। संतरानगरी में सुबह से ही क्रिकेट का माहौल रहा। लोगों में जामठा स्थित वीसीए के मैदान पर पहुंचने की होड़ मची हुई थी। सुबह 11 बजे से ही लोग जामठा पहुंचने लगे थे। ट्रेफिक ने लोगों की परेशानी बढ़ाई, लेकिन मैच के जुनून के आगे लोगों का हौसला नहीं टूटा। मैदान के बाहर लोगों ने जमकर खरीदी की। धोनी और कोहली की टी-शर्ट और चहरे पर तिरंगे की मुस्कान लेकर लंबी लाइन से गुजरकर लोगों ने मैदान में प्रवेश किया। अन्दर आते ही खिलाडियों के अभ्यास सत्र के दौरान लोगों ने ताली बजाकर उनका हौसला बढ़ाया। मैच शुरू होते ही दर्शकों ने इंडिया इंडिया के नारे लगाए।
मैच के दौरान लकड़गंज थानांतर्गत दो स्थानों पर चल रहे क्रिकेट सट्टा अड्डे पर पुलिस ने छापा मारा। इन दोनों अड्डों से 5 क्रिकेट बुकियों को पुलिस ने धर-दबोचा। कुछ आरोपी भागने में सफल हो गए। पुलिस सूत्रों के अनुसार, विष्णु कॉम्प्लेक्स में तीसरी मंजिल पर श्री जी टूर एंड ट्रैवल्स कंपनी के कार्यालय में चल रहे क्रिकेट सट्टा अड्डे पर छापा मारा। इस अड्डे से चार क्रिकेट बुकियों को गिरफ्तार किया गया है। धराए गए क्रिकेट बुकियों में विशेष चतुर्भुज चुग चिखली ले आउट कलमना, अजहर खान, पवन राजेश आहूजा सूर्य नगर, मयूर लेखवानी और श्रीराम उर्फ राम धुर्वे जुनी मंगलवारी निवासी शामिल हैं। यह अड्डा हितेश जुमनानी चला रहा था। इस अड्डे पर भारत और आस्ट्रेलिया के बीच नागपुर के जामठा में चल रहे क्रिकेट मैच पर लाइव मैच देखते हुए मोबाइल पर सट्टे की लागवाड़ी और खायवाली कर रहे थे। अड्डे से लैपटॉप, टीवी, सेटअप बॉक्स, दर्जनों मोबाइल फोन, कैलक्युलेटर, नकदी 12 हजार रुपए सहित अन्य सामग्री सहित करीब 4.31 लाख रुपए का माल जब्त किया गया
सूत्रों के मुताबिक पुलिस को भी जानकारी है कि, महानगर में कब, कहां और कौन सट्टा लगवा रहा है, लेकिन आरोप है कि, कई बार पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करती, बताया जा रहा है कि, हर थाने में पैसा बंधा है, जो काली कमाई के हिसाब से दिया जाता है, मसलन बुकी के पास ज्यादा सट्टेबाज हैं, तो उतना ज्यादा पैसा थाने पहुंचा दिया जाता है। खबर है कि, एक बुकी 10 से 15 हजार रुपए तक पहुंचा देता है।
जरीपटका सट्टेबाजी का हब बन गया है। बुकी मोबाइल पर सट्टा लगवाते हैं, दरअसल मोबाइल में इनके कोड होते हैं, जो गोवा में बैठे एजेंट के लिए कोड वर्ड का काम करते हैं। अक्सर पुलिस रेड पड़ने पर यह लोग मोबइल फेंक देते हैं, जिससे उनके काम करने का पूरा सिस्टम सीक्रेट रहता है।
सबसे ज्यादा सट्टा क्रिकेट पर लगाया जा रहा है। हर बॉल, हर टीम और हर खिलाड़ी पर सट्टा लगता है। जैसे एक ओवर,1 बॉल या कोई बैट्समैन कितने रन बना सकता है। इसमें मोबाइल कनेक्शन खास है, दरअसल मुख्य सटोरियों से फंटर को कनेक्शन दिया जाता है। मैच की पहली गेंद से लेकर टीम की जीत तक भाव चढ़ते-उतरते हैं। अगर किसी ने दांव लगाया, फिर वह कम करना चाहता है, तो एजेंट को कोड वर्ड में जानकारी देनी होती है। दांव की कीमत 10 पैसे से शुरु होकर 5 हजार तक होती है। जीत गए तो रेट के हिसाब से तीन गुना मिलता है और हारे तो डबल नुकसान होगा। सट्टे पर पैसे लगाने वाले को फंटर भी कहते हैं। बुकी हिसाब-किताब रखता है।
फोन के अलावा लैपटॉप से भी काम चल रहा था। पूरा डेटा इस लैपटॉप में सेव होता है। यह लैपटॉप गोवा में बैठे सटोरिए के लैपटॉप से जुड़ा होता है। यदि कुछ गड़बड़ होती है, तो यहां बैठा सटोरिया डेटा डिलिट कर देता है, लेकिन गोवा में बैठे सटोरिए के पास वह डेटा सुरक्षित रहता है। इसके अलावा यह कारोबार रेस्त्रां, किराना दुकान और आउट पर पर रूम लेकर चलाया जा रहा है। नाम गुप्त रखने पर 1 सटोरिए ने बताया कि, सट्टे का धंधा चलाने के लिए पुलिस को भी मोटी रकम पहुंचाई जाती है। हर एक बुकी के नीचे कई सट्टेबाज होते हैं, जो अपने मनपसंद आंकड़ों पर सट्टा लगा कभी मोटी रकम उठाते हैं, तो कभी नुकसान का सामना भी करना पड़ता है। देखा जाए तो सट्टेबाजी एक नशे की तरह ही है, शार्टकट से पैसा कमाने की ललक आखिर में कंगाली की कगार तक पहुंचा ही देती है। सटोरिए उनकी इसी कमजोरी का फायदा उठाते हैं।
Created On :   6 March 2019 4:27 PM IST