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राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बड़े पैमाने पर मिली स्वीकृति
डिजिटल डेस्क, नागपुर. खुशी की बात है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति को देश में बड़े पैमाने पर स्वीकृति मिली है। अनेक स्तर पर उसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उसको प्रभावी तरीके से अमल में लाने की जिम्मेदारी अब शैक्षणिक नेतृत्व की है। फाइनेंस ऑडिट से ज्यादा परफार्मेंस ऑडिट की आवश्यकता है। यह बात मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय सड़क यातायात व राजमार्ग मंत्री नितीन गडकरी ने कही। वह रिसर्च फॉर रिसर्जंस फाउंडेशन (आरएफआरएफ) के तत्वावधान में आयोजित कॉन्फ्रेंस ऑफ एकेडमिक लीडरशिप (सीएएल-4) शैक्षणिक नेतृत्व की दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन के अवसर पर शनिवार को दोपहर विश्वेश्वरैया नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीएनआईटी) के परिसर स्थित सभागार में बोल रहे थे।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री रामदेवबाबा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट के चेयरमैन सत्यनारायण नुवाल, मुख्य वक्ता के रूप में भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर और विश्वेश्वरैया नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीएनआईटी) नागपुर के निदेशक डॉ. प्रमोद पडोले मंच पर उपस्थित थे।
जो अच्छा है, उसे स्वीकार करो : केन्द्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि लीडर और फॉलोवर में अधिक अंतर नहीं होना चाहिए। आपकी टीम आपके साथ चले और उसमें स्पिरिट होना चाहिए। लीडर यदि टीम बनाकर उसका समन्वय नहीं कर सकता है तो उसका कोई अर्थ नहीं है। शक्ति होने के साथ ही उसका उपयोग करना भी आना अत्यन्त आवश्यक है। उन्होंने कहा कि जो राष्ट्र निर्माण के बारे में सोचते हैं वह 100 वर्ष के बारे में सोचते हैं। शॉटकर्ट आपको छोटा कर देता है। हमारी 25 साल बाद की पीढ़ी संस्कारी के साथ ज्ञान और शक्ति से सम्पन्न हो। शिक्षा रोजगार से पहले व्यवसायी विमुखी होनी चाहिए। रिसर्च आवश्यकता आधारित होना चाहिए। भविष्य के लिए सोचो और जो अच्छा है, उसे स्वीकार करो। स्वामी विवेकानंद ने पहले ही कह दिया था कि 21वीं सदी भारत की होगी, उसके लिए आप विचार करें और सभी क्षेत्र में काम करें।
त्याग का अधिक महत्व है : विशिष्ट अतिथि श्री नुवाल ने कहा कि उद्योग के साथ शिक्षा क्षेत्र से जुड़ा हूं। कॉलेज में संस्कार लाने पर काम कर रहे हैं। मुगल, अंग्रेज उसके बाद अन्य लोगों ने भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया। हमने अपनी संस्कृति का प्रसार करने का काम नहीं किया, तो हम पीछे रह जाएंगे। हमारी संस्कृति भोग में भी त्याग की है। त्याग का अधिक महत्व है। चरित्र को छोड़कर पर्सनालिटी पर ध्यान दे रहे हैं, जबकि पर्सनालिटी पर्सोना से आया, जो यूनान में प्रस्तुति देने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक मुखौटा हुआ करता था, उससे यह शब्द निकलकर आया है। आने वाले समय में लोग पर्सनालिटी को छोड़कर चरित्र पर ही विश्वास करेंगे।
जो अंदर है, वही बाहर आए : कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए श्री कानिटकर ने कहा कि विश्वविद्यालयों में ऐसी शिक्षा मिलने लगे कि जो अंदर है, वही बाहर आए। बाह्य आडंबर को बनाने की जरूरत नहीं है। 2 हजार वर्ष में से डेढ़ हजार वर्ष तक भारत का दुनिया की जीडीपी में 46 से 66% योगदान रहा है। यह बात इकोनॉमिक हिस्ट्री ऑफ द वर्ल्ड में लिखा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति जो चाहती है, उसे 66 पेज की रिपोर्ट में सार्थकता और सफलता के साथ दे दिया है। यह सब सिर्फ शासन के करने से नहीं होगा। उसे धरातल पर भी लाना है। यह शैक्षणिक नेतृत्व पर निर्भर करता है कि उसको अमल में लाने के लिए किस प्रकार से प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा कि गुरुकुल में कुलगुरु होता था। उसका मतलब कुटुंब प्रमुख होता था। आरएफआरएफ एक मात्र ऐसा संगठन होगा, जिसका 200 शिक्षा संस्थानों के साथ सहमति-पत्र है। 10 हजार से अधिक शोधकर्ताओं से सीधा संपर्क है। इस कार्यक्रम में भी करीब 180 से सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर होने वाले हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने काम जारी
वीएनआईटी के निदेशक ने कहा कि आरएफआरएफ के साथ यह हमारी दूसरी संगोष्ठी है। इसके पूर्व 2016 में हुई थी। हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए 2 साल से काम कर रहे हैं। संगोष्ठी में विभिन्न शिक्षा सत्रों का आयोजन किया जाएगा। इसमें कई प्रमुख बिंदुओं पर चर्चा होने वाली है। इस दौरान उन्होंने वीएनआईटी में चल रहे विभिन्न उत्कृष्ट योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी।
विभिन्न सत्रों का आयोजन : कार्यक्रम में देश के चुनिंदा करीब 200 शिक्षाविद् आमंत्रित थे। इसमें केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य शासन से सम्बद्ध विश्वविद्यालय और निजी विश्वविद्यालय के कुलपति, आईआईएम, आईआईटी और एनआईटी के निदेशक शामिल हुए। दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में विभिन्न सत्रों का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम के समापन सत्र रविवार को आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. राजेश बिनीवाले और आभार प्रदर्शन आरएफआरएफ के सचिव राजेंद्र पाठक ने किया।
विकल्प तैयार करें : कार्यक्रम में इस्पात उद्योग का उदाहरण देते हुए केंद्रीय मंत्री गडकरी ने कहा कि अगर आप किसी मामले में विकल्प तैयार नहीं करते हैं, तो एकाधिकार हो जाता है, जो समाज और देश के लिए घातक तथा घमंड का कारण बनता है। इस्पात के दाम बढ़ते जा रहे हैं, तो हम इसका विकल्प भी तैयार कर रहे हैं।
Created On :   24 April 2022 5:13 PM IST