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मनी लांडरिंग के आरोप में NCP नेता खड़से को समन, जमीन सौदे से जुड़े मामला में दामाद गिरफ्तार
डिजिटल डेस्क, मुंबई। जमीन घोटाला मामले में दामाद की गिरफ्तारी के बाद राकांपा नेता एकनाथ खड़से की भी मुश्किल बढ़ गई है। प्रवर्तन निदेशालय ने खड़से को समन भेजकर गुरूवार यानी 8 जुलाई को सुबह 11 बजे सवालों के जवाब देने ईडी के मुंबई स्थित कार्यालय में हाजिर करने को कहा है। इस मामले में खड़से से एक बार पहले भी पूछताछ की जा चुकी है।
जमीन सौदे से जुड़े मामला में दामाद गिरफ्तार
राज्य के पूर्व राजस्व मंत्री और राकांपा नेता एकनाथ खड़से के दामाद गिरीश चौधरी को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लांडरिंग के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुणे के भोसरी इलाके में साल 2016 में हुए एक जमीन के सौदे के मामले में यह गिरफ्तारी हुई है। गिरफ्तारी के बाद चौधरी को ईडी ने पीएमएलए अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 12 जुलाई तक जांच एजेंसी की हिरासत में भेज दिया गया।
चौधरी को मंगलवार को पूछताछ के लिए बुलाया गया था। इसके बाद देर रात तक पूछताछ चली। इस दौरान जांच एजेंसी ने कई दस्तावेजों की छानबीन की और बुधवार सुबह उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में इसी साल जनवरी में ईडी ने खड़से से करीब छह घंटे पूछताछ की थी। आरोप है कि 31 करोड़ रुपए कीमत की सरकारी जमीन सिर्फ तीन करोड़ 70 लाख रुपए में खरीदी गई थी। जमीन चौधरी के नाम पर खरीदी गई थी और इसके लिए चार फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया गया था। जांच एजेंसी जमीन की खरीद के लिए इस्तेमाल की गई रकम के स्त्रोत और वास्तविक कीमत से काफी कम कीमत पर जमीन की खरीद के जुड़े मामले की जांच कर रही है। बता दें कि खड़से ने पिछले साल अक्टूबर महीने में भाजपा को छोड़कर राकांपा में शामिल हो गए थे। दिसंबर में उन्हें जांच एजेंसी ने समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था। शुरूआत में कोरोना संक्रमण का हवाला देकर वे पेश नहीं हुए थे। उन्होंने मामले में राहत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
सुनवाई के दौरान ईडी ने अदालत को बताया था कि खड़से मामले में आरोपी नहीं हैं, उनसे बस मामले में पूछताछ की जानी है। लेकिन जांच में सहयोग न करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई का जा सकती है। इसके बाद इसी साल जनवरी में खड़से ईडी के सामने पेश हुए थे। जमीन खरीद मामले में अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगने के बाद खड़से ने साल 2016 में देवेंद्र फडणवीस की अगुआई वाली भाजपा सरकार से इस्तीफा दे दिया था।
साल 2017 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने खड़से, उनकी पत्नी मंदाकिनी, चौधरी और जमीन के असली मालिक अब्बास उकानी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी, लेकिन एसीबी ने जांच के बाद खड़से को मामले में क्लीनचिट दे दी थी। उकानी से जमीन साल 1971 में एमआईडीसी ने अधिग्रहित की थी। मुआवजे से नाखुश उकानी ज्यादा मुआवजे या जमीन लौटाने की मांग करते हुए अदालत गए थे। खड़से ने 12 अप्रैल 2016 को विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर उकानी को जमीन वापस करने या ज्यादा मुआवजा देने के निर्देश दिए थे। इसके कुछ ही दिनों बाद उकानी ने जमीन खड़से की पत्नी और दामाद को बेच दी थी।
Created On :   7 July 2021 6:38 PM IST